क्या कांग्रेस में राहुल-प्रियंका के 'अक्खड़' रवैए के खिलाफ बज चुका है बिगुल ?
नई दिल्ली- कांग्रेस से निलंबित किए गए प्रवक्ता संजय झा के दावों को आधिकारिक तौर पर खारिज करने के बाद पार्टी में जिस तरह से आखिरकार चिट्ठी बम फूटा है, उससे बहुत सी बातें बाहर आ चुकी हैं। एक तो यह कि पार्टी के ज्यादातर नेता आज भी गांधी परिवार का नेतृत्व चाहते हैं। लेकिन, यह भी साफ है कि सारे नेता अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर राहुल गांधी या प्रियंका गांधी या उनकी टीम की कथित 'मनमानी' के लिए भी अब तैयार नहीं हैं। पार्टी के कुछ नेताओं में सोनिया गांधी के बच्चों के कथित 'मनमर्जी' खिलाफ इस तरह का शुरुआती बिगुल बजता स्पष्ट नजर आने लगा है। हालांकि, फिलहाल कोई भी नेता अपना नाम जाहिर नहीं होने देना चाह रहा, लेकिन उनकी समझ यही है कि अगर पार्टी को नई पीढ़ी से कनेक्ट होना है तो गांधी परिवार से ही तीन-तीन नेतृत्व को सामने रखना सही नहीं होगा और पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
राहुल-प्रियंका के बर्ताव के चलते कांग्रेस में घमासान?
कहने को राहुल गांधी पिछले 15 महीने पहले कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ चुके हैं, लेकिन बावजूद इसके उनके आलाकमान वाले रवैए में बने रहने और चुनावों में मिली हार ने आखिरकार कुछ वरिष्ठ नेताओं को दबी जुबान में ही सही लगता है कि उनके खिलाफ आवाज उठाने के लिए मजबूर कर दिया है। माना जा रहा है कि इसी वजह से कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर राहुल गांधी के 'अक्खड़' रवैए और राहुल और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा की टीम के लोगों द्वारा पार्टी के मामलों में बेवजह की दखलंदाजी को सुधारने की मांग की है। सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश और गांधी परिवार के समर्थन में कुछ नेताओं के वोकल होने की वजह से पार्टी के अंदर का घमासान जिस तरह से बाहर निकलकर आ रहा है, उसकी वजह यही है।
'कुछ अस्वीकार्य बर्ताव को ठीक करने की जरूरत'
कांग्रेस के अंदर बदलाव की मांग करने वाले एक नेता ने नाम नहीं बताने की शर्त पर मीडिया से कहा है, 'जब हमने संगठन में पूरी तरह से बदलाव और एक सही नेतृत्व की मांग की है, तो इसका मतलब ये भी है कि कुछ अस्वीकार्य बर्ताव को ठीक करने और पूरी व्यवस्था को लोकतांत्रिक बनाने की जरूरत है। ' उनका ये भी कहना है कि, 'हम आंतरिक चर्चा की मांग करके पार्टी की सेवा का काम कर रहे हैं, उन लोगों की तरह नहीं जो कि चुपचाप भुगतने के लिए तैयार हैं।' लेकिन, पार्टी नेतृत्व ने जिस तरह से शारीरिक दूरी के साथ कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक को मानने से इनकार कर दिया, उससे इन नेताओं को यही लगा कि मौजूदा नेतृत्व,'उठाए गए गंभीर मुद्दों पर चर्चा को टालना चाहता है।'
राहुल के 'अक्खड़' रवैए के चलते घमासान?
लेकिन, कांग्रेस के जिन नेताओं ने पार्टी के संचालन को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, उसमें बहुत लोगों का नजरिया राहुल गांधी के काम करने के तरीके और बर्ताव को लेकर बहुत ही नकारात्मक है। इनकी शिकायत है कि राहुल ने जिस अवधि में अध्यक्ष नहीं रहते हुए भी उसकी तरह काम किया है, उनका व्यवहार बहुत ही 'अक्खड़' रहा है। उन्होंने इस बात की शिकायत की है कि राहुल ने वरिष्ठ नेताओं की ओर से बैठकों के अनुरोध को कई दिनों या महीनों तक टालना अपना आदत बना लिया है। इतना ही नहीं उनकी शिकायत है कि इस दौरान राहुल की टीम के कुछ सदस्यों ने अपने दायरे से आगे जाकर 'पार्टी में नियुक्तियों समेत संगठनात्मक मामलों में दखलंदाजी करते हैं।' एक नेता ने कहा है,'पार्टी के मामलों में निजी स्टाफ के किसी सदस्य को क्यों दखलंदाजी करना चाहिए? वो कब से नेता बन गए? उनमें राहुल की ओर से नेताओं को कॉल करने की हिम्मत कहां से आ रही है? और उन्हें कांग्रेस के घटते खजाने से मोटे पैसे दिए जा रहे हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत ये सब हमें शर्मसार करता है।'
राहुल-प्रियंका की रणनीति पर सवाल
सोनिया गांधी ने पार्टी के नेताओं की चिट्ठी पढ़कर जो अंतरिम अध्यक्ष पद छोड़ने की बात कही, वह यूं ही नहीं हुआ। असल में कई नेताओं ने उनके बेटे राहुल गांधी ही नहीं, उनकी बेटी प्रियंका गांधी के रवैये के खिलाफ भी अपनी नाराजगी जाहिर कर करना शुरू कर दिया है। पिछली सीडब्ल्यूसी बैठक में अपने भाई राहुल गांधी को बचाने के लिए उन्होंने जिस तरह से कुछ वरिष्ठ नेताओं को निशाना बनाया था, वह कुछ वरिष्ठ नेताओं को नागवार गुजरा है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा है, 'पिछली सीडब्ल्यूसी बैठक में, प्रियंका राहुल के समर्थन में यह कहकर उठ खड़ी हुईं कि उनके भाई के अलावा कोई भी प्रधानमंत्री मोदी पर हमला नहीं करता है।' उस नेता का कहना है कि प्रियंका को ऐसा बर्ताव करने से पहले इस तथ्य को ध्यान में रखना चाहिए कि 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव और 2019 के आम चुनाव की रणनीति टीम राहुल ने ही तैयार की थी।
परिवार के 3 सदस्यों के पास कमान तो कैसे चलेगा काम ?
यही नहीं पिछले साल आम चुनाव के परिणाम देखकर राहुल ने पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ जिस तरह से सीधा मोर्चा खोला था और उसी बहाने पार्टी की अध्यक्षता से कन्नी काट लिया था, उससे चोटिल हुए नेताओं की बातें अब सियासी भड़ास बनकर बाहर निकलने लगी हैं। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि राहुल खुद अमेठी सीट हार गए थे, लेकिन तब उन्होंने पी चिदंबरम, कमलनाथ और अशोक गहलोत जैसे नेताओं को अपने बेटों को टिकट दिलाने के लिए हमला बोला था। उनमें से एक नेता ने कहा, 'आखिरकार कोई भी सहयोगी यह सब कबतक चुपचाप सहता रहेगा।' हालांकि, इन नेताओं का कहना है कि वे निजी तौर पर गांधी परिवार के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उनमें से कुछ का कहना है कि यह सोचना होगा कि, 'क्या एक ही परिवार के तीन सदस्यों के हाथों में पार्टी का नेतृत्व रहना युवा पीढ़ी की सोच से मेल खा सकता है।'
इसे भी पढ़ें- कमलनाथ और दिग्विजय सिंह बोले- सोनिया गांधी ही बनी रहें कांग्रेस अध्यक्ष