पाकिस्तान में क्या कभी मुस्लिम शरणार्थियों को दी गई नागरिकता? जानिए सच
नागरिकता नहीं देंगे।जानें पाकिस्तान ने अब तक किसी मुस्लिम शरणार्थी को पाकिस्तान में नागरिकता दी या नहीं? Pakistan PM has said that he will not give citizenship to any Muslim refugee in Pakistan. Whether Pakistan has given citizenship
बेंगलुरु। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान लगातार कश्मीर मुद्दे को लेकर दुनिया को अपनी तरफ करने की कोशिश में जुटे रहते हैं। इतना ही नहीं दुनिया भर में मुसलमानों का सबसे बड़ा हिमायती बनने का पीएम इमरान खान ढिढोरा पीटते रहते हैं। वहीं, इस बार उन्होंने भारत में लागू किए गए नागरिकता कानून को लेकर कहा है कि इस कानून के कारण लाखों मुस्लिमों को भारत छोड़ना पड़ेगा। ऐसे में भारत से आने वाले मुस्लिम शरणार्थियों को वह पाकिस्तान में न ही नागरिकता देंगे और न ही जगह देंगे।
यह बात उन्होंने स्विटजरलैंड के जेनेवा में आयोजित 'ग्लोबल फॉरम ऑफ रेफ्यूजी' में कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत में एक नागरिकता कानून को लागू किया गया है, जिसकी वजह से भारत के लाखों मुसलमान को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ेगा, इससे एक ऐसा शरणार्थी संकट पैदा होगा, जिसके आगे दुनिया के अन्य संकट छोटे लगेंगे। उन्होंने कहा कि इस शरणार्थी संकट की वजह से दक्षिण एशिया के दो परमाणु संपन्न देशों के बीच विवाद भी हो सकता है।
इस मुद्दे को लेकर दूसरे देशों से आग्रह करते हुए इमरान ने कहा कि पाकिस्तान विवादित कश्मीर में भारत द्वारा लगाए गए कर्फ्यू के मद्देनजर भारत से आने वाले अधिक शरणार्थियों को स्थान नहीं देगा। ऐसे में सवाल उठता है कि मुसलमानों का हिमायती बनने वाला पाकिस्तान ने क्या पहले कभी मुस्लिम शरणार्थियों को पाकिस्तान की नागरिकता दी है? आइए जानते हैं....
मुस्लिम शरणार्थियों को लेने से कर दिया था इंकार
पाकिस्तान में भारत और पाक के बंटवारे के कुछ वर्ष बाद पाकिस्तान ने मुस्लिम शरणार्थियों को अपने यहां लेने से इनकार कर दिया था। बंटवारे के बाद पहले जो परमिट सिस्टम बना था, वो जल्द ही पासपोर्ट सिस्टम में बदल गया। पाकिस्तान ने दक्षिण एशिया के मुसलमानों को नागरिकता देने की कोई गारंटी नहीं ली। 1956 में पाकिस्तान इस्लामिक राष्ट्र तो बन गया लेकिन सिर्फ मुस्लिम होने के नाम पर किसी को नागरिकता नहीं देता है। नागरिकता देने में वो मुसलमानों को किसी भी तरह की वरीयता नहीं देता है। कुल मिलाकर मुस्लिम राष्ट्र होने के नाम पर वो किसी भी मुसलमान को अपने यहां की नागरिकता दे रहे हैं ऐसा बिलकुल नही है।
भारत में रह रहे मुसलमानों को नहीं मिलती कोई राहत
भारत में रहने वाले मुसलमानों को पाकिस्तान जाने पर धर्म के आधार पर कोई राहत नहीं मिलती है। नियम कायदों के मुताबिक उन्हें भी वीजा हासिल करना पड़ता है। वीजा मिलने के बाद ही भारत में रह रहे शरणार्थी मुसलमान पाकिस्तान जा सकते हैं। ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान मुसलमान होने के नाम पर अपने यहां व्यवधानरहित एंट्री दे रहे हैं। पाकिस्तान मुस्लिम राष्ट्र हैं, लेकिन नागरिकता देने के सवाल पर वो मुसलमानों को वरीयता नहीं देते।
मुस्लिम राष्ट्र होने के बावजूद नहीं दे रहा मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता
गौरतलब है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान अपने यहां इस्लाम को राष्ट्रीय धर्म मानते हैं। पाकिस्तान ही नहीं बंग्लादेश और अफगानिस्तान भी मुस्लिम अल्पसंख्यकों की जिम्मेदारी नहीं लेते। पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे मुस्लिम राष्ट्र मुस्लिम शरणार्थियों को अपने यहां की नागरिकता नहीं दे रहे हैं। लेकिन भारत गैर मुसलमानों के लिए ऐसा करने वाला है। नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून बन जाने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जा सकेगी।
मोदी सरकार गैर मुस्लिमों को इसलिए दे रही नागरिकता
बता दें मोदी सरकार ने नागरिकता अधिनियम पास किया जिसके तहत 2015 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए छह धार्मिक अल्पसंख्यकों - हिंदू, पारसी, जैन, ईसाई, बौद्ध और सिखों से अवैध प्रवासियों को नागरिकता प्रदान की जाएगी। लेकिन इस बिल में इन देशों से मुस्लिमों को नागरिकता नहीं दी जाएगी क्योंकि सरकार का मानना है कि यह मुस्लिम बहुल देश हैं और इन देशों में मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा नहीं हो सकती है।
चीन से आए उइगर मुस्लिम को बसाया
पाकिस्तान ने सन 1951 में कम्युनिस्ट चीन के जिंगजियांग प्रमंडल से बड़ी संख्या में उईगर मुस्लिम कश्मीर में शरणार्थी के रूप में आये, उनके लिए जम्मू कश्मीर के संविधान में संशोधन कर इन सब लोगों को 1959 में श्रीनगर के ईदगाह इलाके में बसाया गया। ऐसा ही 1959 में चीन से प्रताड़ित हो कर आये तिब्बती मुस्लिमों के लिए भी किया गया।
उइगर मुसलमानों का ये है हाल
19वीं और 20वीं शताब्दी से ही उईगर मुसलमान पाकिस्तान आकर बसने लगे थे। कुछ व्यापार करने के लिए आए तो कुछ चीन में साम्यवादियों की सजा से बचने के लिए। पाकिस्तान में करीब 2000 उइगर मुसलमान हैं और दशकों से अपनी दबी पहचान के साथ जी रहे हैं। पाकिस्तान दुनिया भर के मुस्लिम अल्पसंख्यकों की आवाज उठाता रहता है लेकिन जब बात उइगर मुसलमानों की आती है तो इस्लामाबाद अपने ताकतवर पड़ोसी चीन को नाराज नहीं करना चाहता है। पाकिस्तान में भी उइगर मुसलमानों की आबादी बसी हुई है और उन्हें पता है कि चीन में मुस्लिमों के साथ क्या हो रहा है। अधिकतर लोगों के परिवार अभी भी चीन के शिनजियांग प्रांत में रह रहे हैं।
चीन के साथ कर रहा इन मुसलमानों पर अत्याचार
कुछ लोग तो अपने परिवार के सदस्यों से पिछले दो सालों से बात नहीं कर पाए हैं क्योंकि चीन ने उन्हें कैंप में कैद कर रखा है। यहां तक कि इनकी मौजूदगी का एहसास भी कम ही लोगों को है। उइगर समुदाय के कुछ सदस्यों का कहना है कि चीन के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने पर उन्हें पाकिस्तान के भीतर भी प्रताड़ित किया जा रहा है। इतना कुछ होने के बाजवूद चूंकि पाकिस्तान की सरकार पर चीन का दबाव है इसलिए वह चीन के खिलाफ उदगर मुसलमानों पर अत्याचार होने के बावजूद इस मुद्दे पर चीन की हिमायती बना हुआ है।
पाकिस्तान से तेजी से हो रहा पलायन
वर्ष1947 और 48 का पाकिस्तान वो मुल्क था जहां पहले से रहने वालों ने कुछ भी पूछे बगैर सबके लिए कैंप के दरवाजे खोल रखे थे क्योंकि भारत से अलग होने के बाद उन्हें अलग राष्ट्र बसाना था। लेकिन 1971 के गृह युद्ध के बाद से भारत से कबूल किए गए लोगों के साथ व्यवहार बदल गया। इतना ही नहीं अफगान शरणार्थियों को यूं क़बूल किया गया कि उनके आने के साथ साथ डॉलर और रियाल भी आएंगे। पिछले 67 बरसों का रिकॉर्ड देखा जाए तो बेशक पाकिस्तान शरणार्थियों को स्वीकार करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश है। लेकिन आज वही पाकिस्तान अंदरूनी और बाहरी पलायन करने वाली की संख्या के लिहाज से दुनिया के पांच बड़े प्रभावित देशों में शुमार होने लगा है।
पाकिस्तान से इसलिए लोग कर रहे पलायन
9/11 के बाद से अब तक पाकिस्तान के अंदर कम से कम 20 लाख लोग जान और माल और इज़्ज़त बचाने के लिए एक से दूसरी जगह जा चुके हैं। इनमें सबसे बड़ी संख्या में शरणार्थी लोग क़बायली इलाकों में सात ज़िलों से संबंध रखते हैं। यहां के लाखों लोग सन 1980 के बाद से हथियार बंद चरमपंथियों और धार्मिक कट्टरपंथियों के दो पाटों के बीच फंसे हैं।
बलूचिस्तान में बुगटी क़बायली इलाक़ों से भारी संख्या में पलायन हो रहा है। बुगटियों के अलावा बलूचिस्तान से मानवाधिकार आयोग के ताज़ा आंकड़ो के अनुसार पिछले पांच बरस के दौरान तीन लाख लोग बलूचिस्तान छोड़ गए हैं। इनमें लगभग दो लाख हज़ारा और अन्य शिया, एक लाख पंजाबी और ग़ैर पंजाबी लोग और हिंदू समुदाय के लगभग दस हज़ार लोग शामिल हैं।
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तीन देशों से भारत में आए 84,772 मुस्लिम शरणार्थी
मार्च 2016 में शरणार्थियों के सवाल पर जवाब देते हुए तत्कालीन गृह मंत्रालय किरण रिजिजू ने इसका जवाब दिया था। उन्होंने बताया था कि 1 दिसंबर 2014 के स्थिति के अनुसार भारत के विभिन्न राज्यों में दुनिया भर से कुल 2,89,394 शरणार्थी हैं, जिनमें से 1,16,085 शरणार्थी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए थे। ऐसे में तीन देशों के कुल 1,16,085 शरणार्थियों में जेपीसी के 31,313 गैर मुस्लिम शरणार्थी को घटाने पर साफ पता चलता है कि देश में रह रहे पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए 84,772 शरणार्थी मुस्लिम हैं।
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