क्या कंगना रनौत से आखिर हार मान गई शिवसेना ?
नई दिल्ली- कल तक बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ बयानबाजी में सारी सीमाएं लांघने वाली महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी शिवसेना के तेवर आज पूरी तरह से नरम पड़ गए। जबकि, कल की घटना के बाद रनौत ने तो आज भी पूरी तरह से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ ही निशाना साधना जारी रखा है। उधर, कंगना को हिमाचल प्रदेश सरकार और मुंबई में बॉलीवुड से जुड़े संगठन की ओर से भी समर्थन मिलना शुरू हो गया है। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ होगा कि अब शिवसेना नेता संजय राउत ने ये कहना शुरू कर दिया है कि उनके लिए यह एपिसोड अब खत्म हो चुका है।
शिवसेना के ढीले पड़ गए तेवर
एक दिन पहले तक अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ चीख-चीख कर बयान देने वाले शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत के तेवर गुरुवार को अचानक नरम दिखाई पड़े। उन्होंने कहा है कि पार्टी के लिए कंगना रनौत 'एपिसोड' अब खत्म हो चुका है। उनकी बोलती पर यह असर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात के बाद पड़ा है। उन्होंने मीडिया वालों से कहा है,'कंगना रनौत का एपिसोड खत्म हो चुका है। हम तो इसे भूल भी चुके हैं। हम अब अपने रोजाना के सरकारी और सामाजिक कार्यों में व्यस्त हो चुके हैं।' उन्होंने कहा कि उन्होंने पार्टी के कुछ कार्यक्रमों को लेकर सीएम से मुलाकात की है।
'सामना' के लिए संपादकीय लिखने तक बरकरार थे तेवर
गुरुवार के 'सामना' के अंक में भी कंगना के खिलाफ पार्टी के वही तेवर देखाई पड़े थे। 'सामना' में 33 साल की अभिनेत्री कंगना रनौत के दफ्तर को बीएमसी द्वारा गिराने की कार्रवाई के बारे में लिखा गया कि 'हां उखाड़' लिया। असल में इसके जरिए कंगना की उस चुनौती का जवाब देने की कोशिश की गई, जिसमें उन्होंने कहा था कि मुंबई किसी की बाप की नहीं है, 9 तारीख को आ रही हूं, जो उखाड़ सकते हो उखाड़ लो। लेकिन, अब जानकारी ये है कि पार्टी ने शिवसैनिकों से कह दिया है कि कंगना को निशाना बनाना छोड़ दें।
Recommended Video
आखिर शिवसेना के सुर शांत होने की वजह क्या रही?
हालांकि, राउत ने उन मीडिया रिपोर्टों को नकारा है, जिसमें पार्टी नेतृत्व के एनसीपी चीफ शरद पवार और कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी से नसीहत दिए जाने की अटकलें थीं। लेकिन, शरद पवार ने सार्वजनिक तौर पर बुधवार को इस विवाद से पल्ला झाड़कर उद्धव ठाकरे को इसे तूल नहीं देने का इशारा कर दिया था। उन्होंने कहा था कि मुंबई में कई अवैध निर्माण हैं, लेकिन कंगना की प्रॉपर्टी पर बीएमसी की कार्रवाई ने लोगों को इसपर बोलने का मौका दे दिया है। जानकारी के मुताबिक उन्होंने उद्धव से मीटिंग के दौरान भी इसपर ऐतराज जताया है। यही नहीं महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भी बड़े अधिकारियों को तलब करके कल की घटना के लिए राज्य सरकार को सख्त हिदायतें दी हैं और जानकारी के मुताबिक उन्होंने केंद्र को भी घटना की इत्तला दी है। उसके बाद संजय राउत बहुत भोलेपन से यह भी सफाई दे चुके हैं कि उन्हें नहीं पता कि बीएमसी ने कंगना के दफ्तर को तोड़ने जैसा कदम क्यों उठाया। जबकि, बीएमसी में मातोश्री की जानकारी के बिना पत्ता भी हिलना नामुमकिन है। क्योंकि, उसपर शिवसेना का कब्जा है।
मुंबई पुलिस को भी सरकार से मिल गया शांत रहने का इशारा!
शिवसेना नेताओं की अकड़ ढीली पड़ने और बॉम्बे हाई कोर्ट से बीएमसी की कार्रवाई को गलत ठहराए जाने का असर मुंबई पुलिस पर भी पड़ता नजर आ रहा है। मुंबई में कंगना रनौत के खिलाफ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ गलत शब्दों का इस्तेमाल करने के आरोप में दो शिकायतें की गई हैं। इन शिकायतों के मुताबिक बुधवार को कंगना ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें सीएम के लिए अपमानजनक शब्द इस्तेमाल किए गए। मसलन, उन्होंने उद्धव के लिए 'तू' का प्रयोग किया-' उद्धव ठाकरे, तुझे क्या लगता है?' शिकायतकर्ता ने सीएम को बदनाम करने के लिए उन्हें 'बॉलीवुड माफिया' के साथ संबंध जोड़ने का भी आरोप लगाया है। लेकिन, इस मामले में मुंबई पुलिस ने कोई एफआईआर नहीं लिखी है और सिर्फ शिकायत लेकर ही छोड़ दिया है।
कंगना के तेवर और सख्त हो चुके हैं
उद्धव ठाकरे और संजय राउत से ठीक उलट कंगना रनौत के तेवर गुरुवार को और सख्त दिखाई पड़े। उन्होंने तीन ट्वीट के जरिए सीएम उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा। पहले में उन्होंने लिखा- "जिस विचारधारा पे श्री बाला साहेब ठाकरे ने शिवसेना का निर्माण किया था आज वो सत्ता के लिए उसी विचारधारा को बेचकर शिवसेना से सोनिया सेना बन चुकी है। जिन गुंडों ने मेरे पीछे मेरा घर तोड़ा उनको सिविक बॉडी मत बोलो, संविधान का इतना बड़ा अपमान मत करो।"
उद्धव को कंगना ने वंशवाद का नमूना कहा
दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा- "तुम्हारे पिताजी के अच्छे कर्म तुम्हें दौलत तो दे सकते हैं, मगर सम्मान तुम्हें खुद कमाना पड़ता है, मेरा मुंह बंद करोगे मगर मेरी आवाज मेरे बाद सौ फिर लाखों में गूंजेगी, कितने मुंह बंद करोगे? कितनी आवाज़ें दबाओगे? कब तक सच्चाई से भागोगे तुम कुछ नहीं हों सिर्फ़ वंशवाद का एक नमूना हो।" तीसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा- "मैं इस बात को विशेष रूप से स्पष्ट करना चाहती हूं कि महाराष्ट्र के लोग सरकार द्वारा की गयी गुंडागर्दी की निंदा करते हैं, मेरे मराठी शुभचिंतकों के बहुत फ़ोन आ रहे हैं, दुनिया या हिमाचल में लोगों के दिल में जो दुःख हुआ है वो यह कतई ना सोचो कि मुझे यहां प्रेम और सम्मान नहीं मिलता।"
कंगना के पक्ष में बढ़ने लगा है समर्थन
जहां, शिवसेना और उसके कर्ताधर्ता बैकफुट पर नजर आ रहे हैं, वहीं कंगना रनौत का समर्थन बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को इंडियन मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर एसोसिएशन (IMPPA) की ओर से इसके अध्यक्ष टीपी अग्रवाल ने कंगना के समर्थन में एक बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है- 'ये सब ना तो सरकार के लिए अच्छा है और ना ही कंगना रनौत के लिए। महाराष्ट्र सरकार या बीएमसी की ओर से की गई कार्रवाई पूरी तरह से गलत है और उसकी निंदा होनी चाहिए।' इस बीच कंगना ने अपने दफ्तर को हुए नुकसान का जायजा लिया है। जानकारी के मुताबिक बीएमसी की ओर से हुई कार्रवाई में उन्हें करीब 2 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
हिमाचल प्रदेश सरकार का भी खुलकर समर्थन
इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ट्वीट कर कंगना रनौत का समर्थन दिखाया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "हम हिमाचल की बेटी का अपमान सहन नहीं कर सकते। महाराष्ट्र सरकार ने हिमाचल की बेटी कंगना रणौत के साथ जो राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से अत्याचार किया है यह अत्यंत चिंताजनक एवं निंदनीय है। हमारी सरकार व देश की जनता इस घटनाक्रम में हिमाचल की बेटी कंगना के साथ खड़ी है।"