कंबल के अंदर सो रहे थे बच्चे, ऊपर फन फैलाकर बैठ गया 6 फुट लंबा कोबरा, जानिए क्या हुआ
नई दिल्ली। जरा साचिए आप और आपका परिवार एक कंबल में आराम से सोया हो और उसके उपर 6 फुट का कोबरा सांप फन निकाले बैठा हो तो क्या होगा? सोचकर भी शायद सांसे थम जाएं लेकिन हरियाणा के सुल्तापुर में ऐसा ही हुआ है। जहां कंबल से लिपटा हुआ एक कोबरा मिला है। खास बात यह है कि जिस कंबल से सांप लिपटा हुआ था, उसी कंबल के अंदर दो बच्चे भी सो रहे थे। गनीमत रही कि सांप ने बच्चे को डसा नहीं, वरना बड़ी अनहोनी हो सकती थी। सांप की पहचान स्पैकटिकलड कोबरा के रूप में हुई है। इस घटना से आसपास के इलाके में कोहराम मच गया। जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक सांप की लंबाई 6 फुट थी। इनवायरमेंट ऐंड वाइल्ड लाइफ ने कोबरा को रेस्क्यू कर लिया है।
कंबल के ऊपर फन फैलाकर बैठा था कोबारा
पीड़ित परिवार ने कहा कि रात 12.30 बजे बेड पर कंबल के अंदर दो बच्चे सो रहे थे। बच्चों की मां ने जब कंबल के ऊपर सांप को देखा तो उनके होश उड़ गए। हिम्मत दिखाते हुए किसी तरह से बच्चों को जल्दी से उठाया और कंबल से बाहर निकाला। वहीं, वन विभाग के अनिल गंडास ने बताया कि कोबरा खिड़की के जरिये घर के अंदर घुस गया था, क्योंकि उसमें जाली नहीं थी। वहीं, घर के पीछे झाड़ियां भी हैं। उन्होंने कहा कि सांप अपने भोजन की तलाश में ही घरों मे घुसता है।
स्पैकटिकलड कोबरा को ही कहते हैं काला नाग
काला नाग- स्पैकटिकलड कोबरा। ये भारत के सबसे ज्यादा जहरीले साँपों मे से है। भारत मे हर साल लगभग 10 लाख लोगों को सांप काटता है जिनमें से 1 लाख की मौत होती है। उनमें से 50 हजार मौतों का ये अकेला जिम्मेदार होता है ये कोबरा। ये बहुत ही आक्रामक व तेज होता है। ये सामान्यतया पुरे भारतवर्ष मे ये पाया जाता है। ये सांप पुर्ण वयस्क होने पर आठ फुट या कभी कभार ज्यादा लंबा भी हो सकता है।
एक बाइट में कम से कम 0.5 एमएल जहर छोड़ता है
स्पैकटिकलड कोबरा में 1 सेकंड में लगभग 90 सेंटीमीटर तक वार करने की क्षमता है। स्पैकटिकलड कोबरा एक बाइट में कम से कम 0.5 एमएल जहर छोड़ता है। मनुष्य की मौत के लिए 12 एमएल जहर काफी होता है। लेकिन यदि सांप के काटने के बाद व्यक्ति को सहीं समय पर उचित उपचार मिल जाए तो उसकी जांन बच सकती है। लेकिन लोग जागरूकता के अभाव में सांप के कांटने पर झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ जाते है जिस कारण व्यक्ति की उचित इलाज न मिल पाने के कारण जान चली जाती है।