10 साल से PHD की डिग्री नहीं मिलने से डिप्रेशन में शोधार्थी, राष्ट्रपति से मांगी इच्छा मृत्यु की परमिशन
चंडीगढ़: हरियाणा में पीएचडी कर चुके कुछ शोधार्थियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से इच्छा मृत्यु की परमिशन मांगी है। इनका कहना है कि इन लोगों को आंध्र प्रदेश की एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी से पीएचडी करे हुए 10 साल से अधिक हो गए हैं लेकिन उन्हें अभी तक पीएचडी की डिग्री मिली है। इस वजह से वो डिप्रेशन में है और चाहते हैं कि राष्ट्रपति उन्हें इच्छा मृत्यु की परमिशन दें। उन्होंने कहा कि उन्हें जल्द से जल्द डिग्री दिलवाई जाए।
राष्ट्रपति से मांगी इच्छा मृत्यु की परमिशन
पीएचडी के शोधार्थियों ने जींद के डीसी डॉ आदित्य दहिया को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम एक ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन के माध्यम से शोधार्थियों ने कहा कि उन्होंने साल 2008-09 में आंध्र प्रदेश की एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया था। लेकिन करीब 10 साल बीत जाने के बाद भी उन्हें डिग्री नहीं मिली और हम अवसाद में है। इन छात्रों ने राष्ट्रपति से मांग की है कि उनकी डिग्री अगर जल्दी नहीं दिलवाई जाती है तो इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए। ये छात्र जींद के एक पंचायत के प्रधान बबली के साथ डीसी कार्यालय पहुंचे थे।
नौकरी की उम्र निकल गई है
इन शोधार्थियों का कहना है कि पीएचडी की डिग्री मिलने में देरी की वजह से इनकी नौकरी की उम्र निकल गई है। उन्होंने कहा कि जब हमने 2008.09 में दाखिला लिया था तो उस समय हमारी उम्र 32 से 34 साल थी, लेकिन अब 42 -44 साल से ज्यादा की हो गई है। उन्होंने कहा कि अब उनकी उम्र सरकारी या गैर सरकारी क्षेत्र में नौकरी की निकल गई है।
अधिकारियों से करेंगे बात
जींद के डीसी डॉ. आदित्य दहिया ने छात्रों के ज्ञापन पर कहा कि शोधार्थियों की मांगों को प्राथमिकता से सुलझाया जाएगा। इसके लिए यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से बातचीत की जाएगी और जल्द ही शोधार्थियों को डिग्री अवॉर्ड करवाई जाएगी। अगर इसमें सेंटर संचालक की कमी मिली तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
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