हरियाणा विधानसभा चुनाव: पहली बार संगठित मुहिम से कांग्रेस ने बदला प्रचार का माहौल, बना सकती है बढ़त
नई दिल्ली- भारतीय चुनाव के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हो रहा है कि हरियाणा में पूरी कांग्रेस एकजुट होकर चुनाव मैदान में डटी है। पार्टी के सभी बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा और वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला संगठित होकर और बेहद प्रभावी तरीके से सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ चुनावी मुहिम में उतरे हुए हैं। प्रदेश में जब से चुनाव प्रचार का अभियान शुरू हुआ था, कहा जा रहा था कि मैदान में बीजेपी के मुकाबले में कोई है ही नही। लेकिन, शुरुआती समझ को धता बताते हुए कांग्रेस ने चुनावी माहौल को ही बदल डाला है। भाजपा प्रदेश के चुनाव में भी राष्ट्रीय मुद्दों को ही तरहजीह दे रही है, लेकिन कांग्रेस ने न केवल अपने संकल्प पत्र में बल्कि, चुनाव अभियान में भी जनता के सरोकार से जुड़े मुद्दों को उठाया है।
खुद अपना एजेंडा तय कर मैदान में उतरी है पार्टी
कांग्रेस इसबार हरियाणा में सीधे स्थानीय मुद्दों पर फोकस रख रही है, वह विरोधियों के एजेंडे के जाल में नहीं उलझ रही है और यही वजह है कि वह अपना मैसेज सीधे मतदाताओं के जेहन में उतारने में कामयाब होती नजर आ रही है। कांग्रेस ने जैसे ही संकल्प पत्र के रूप में अपना चुनावी मैनिफेस्टो जारी किया, यह साफ हो गया कि वह विरोधियों के बहकावे में नई आएगी। इस चुनाव में पार्टी ने बेरोजगारी को अपना सबसे बड़ा एजेंडा बनाया है। पार्टी को लगता है कि बेरोजगारी दर अगर 28 या 29 फीसदी को पार कर चुकी है तो आम जनता, खासकर युवाओं के बीच माहौल क्या होगा।
सिर्फ जनता से जुड़े मुद्दों पर फोकस
कांग्रेस सिर्फ स्थानीय मुद्दों पर भाजपा से जवाब मांग रही है, क्योंकि उसे 5 साल में राज्य सरकार के काम का हिसाब चाहिए। कांग्रेस की नीति में बदलाव का अंदाजा इसी से लग रहा है कि अब वह रक्षात्मक होने की जगह सरकार की कमजोर कड़ियों की ओर मतदाताओं का ध्यान खींचने में सफल होती दिख रही है। इस चुनाव में भाजपा का नारा है- अबकी बार 75 पार। जनता का ध्यान खींचने के लिए कांग्रेस इस नारे को उन जमीनी हकीकत से जोड़ने की कोशिश में है, जिससे जनता परेशान है। मसलन- पार्टी के नेता कहते हैं कि कई चीजें 75 के पार हो चुकी हैं। जैसे- पेट्रोल करीब-करीब 75 के पार , दाल 75 पार, प्याज-टमाटर करीब-करीब 75 पार और डॉलर भी 75 पार।
नेतृत्व के मुद्दे पर भी पार्टी दिखा रही है समझदारी
कांग्रेस को पता है कि हर प्रदेश के चुनाव में उसके सामने नेतृत्व का मुद्दा बहुत पेंचीदा होता है। यही वजह है जब हरियाणा में कांग्रेस से पूछा जाता है कि आपका कैप्टन कौन है तो अब पार्टी उलझती नहीं दिख रही है। उसके नेता बहुत ही गंभीरता और जिम्मेदारी के साथ चुनावी माहौल को ध्यान में रखते हुए अपनी बात रखते हैं। पार्टी ने इसका बहुत ही अच्छा जवाब तलाश लिया है कि 2014 में जब बीजेपी हरियाणा विधानसभा का चुनाव लड़ रही थी तो क्या उन्होंने कोई नेता घोषित किया था?
'संकल्प पत्र' में पार्टी ने दिखाया है विजन
इसलिए, हरियाणा में कांग्रेस वही पार्टी है, लेकिन वह बदले-बदले अंदाज और नए तेवर में नजर आ रही है और इसके दम पर वो बढ़त बनाती दिख रही है। पार्टी ने महिलाओं, युवाओं, बेरोजगारी, किसान, पिछड़े और दलित सबके कल्याण को ध्यान में रखकर उनके प्रति अपना संकल्प जताया है। इसे इस तरीके से पेश किया गया है जिससे मतदाताओं तक मैसेज सही तरीके से पहुंच जाय, उनमें कोई असमंजस की स्थिति पैदा न हो जाए, जैसा कि कई बार पहले हो चुका है और पार्टी धोखा भी खा चुकी है।
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