हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणाम 2019 : हरियाणा त्रिशंकु सरकार बनाने का ये होगा फार्मूला
बेंगलुरु। हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 परिणाम से लगभग साफ हो चुका हैं कि की हरियाणा में त्रिशंकु सरकार बनेगी। जननायक जनता पार्टी (जजपा) 10 सीटों के साथ किंग मेकर की भूमिका में है। ऐसे में राज्य में सरकार बनाने की रस्साकसी काफी दिलचस्प चल रही है।
विशेषज्ञ के अनुसार चुनाव परिणाम के बाद बहुमत की सरकार बनाने का भाजपा का सपना टूट चुका है। इसके साथ ही भाजपा को बहुमत का जादुई आंकड़ा (46 सीट) छूने के लिए 7 विधायकों का साथ चाहिए । वहीं कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए 14 और विधायकों का साथ चाहिए। आंकड़ों से साफ है कि जजपा के बिना किसी भी दल का सरकार बनाना लगभग असंभव होगा।
माना जा रहा है कि हरियाणा की सरकार की चाभी जजपा के दुष्यंत चौटाला की मुट्ठी में हैं। अब सवाल उठता है कि जजपा सरकार बनाने के लिए किन शर्तों पर किसे समर्थन देगी। जजपा के दुष्यंत चौटाला शुरू से ही दावा कर रहे थे कि सत्ता की चाबी उन्हीं के हाथों में होगी। रुझानों में जब भाजपा 55 सीटों पर आगे दिख रही थी, तब भी दुष्यंत अपने दावों को लेकर आश्वस्त थे। जैसे-जैसे रुझान में परिवर्तन आना शुरू हुआ, दुष्यंत के दावे मजबूत होते गए। जाहिर है कि किंग मेकर की स्थिति में वह भी सरकार में बड़ी भूमिका की मांग करेंगे। हालांकि दुष्यंत ने अभी फैसला कल पर छोड़ दिया है। उन्होंने इसके संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है। सरकार को समर्थन देने के लिए दुष्यंत चौटाला क्या शर्त रखेंगे ये तो अभी स्पष्ट नहीं है।
भाजपा के लिए सबसे महत्वपूर्ण जजपा को बिना किसी बड़ी शर्त के साथ मनाने की होगी, ताकि वह आसानी से सरकार बना सके। हालांकि, जजपा के लिए भाजपा का साथ आसान नहीं होगा। इसकी वजह दोनों पार्टियों की पॉलिटिकल लाइन है। माना जाता है कि जाटों ने भाजपा के खिलाफ ही जजपा को किंग मेकर बनाया है। जाटों की नाराजगी ही भाजपा के सिमटने की मुख्य वजह भी मानी जा रही है। लिहाजा जजपा को अपने मतदाताओं की भावना के साथ सरकार में अपनी स्थिति का भी ख्याल रखना होगा।
जजपा अगर भाजपा के साथ जाती है तो दुष्यंत चौटाला को अधिकतम उपमुख्यमंत्री पद से ही संतोष करना होगा। हालांकि, अभी जोड़तोड़ की राजनीति शुरू ही हुई है। वहीं ऐसी भी चर्चा चल रही है कि भाजपा अगर निर्दलीय को सरकार में शामिल करने से चूकती है तो वह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का सहारा ले सकती है। कांग्रेस के समीकरण को ध्वस्त करने के लिए भाजपा प्रकाश सिंह को हरियाणा में सरकार बनवाने की जिम्मेदारी सौंप सकती है। दरअसल, प्रकाश सिंह बादल के दुष्यंत चौटाला परिवार से काफी घनिष्ठ संबंध हैं। ऐसे में बादल, हरियाणा में पार्टी के खेवनहार बन सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा के बीच सरकार बनाने के लिए फोन पर बातचीत हो चुकी है। हाईकमान ने उन्हें सरकार बनाने के लिए खुद फैसला लेने की खुली छूट दी है। हरियाणा में सरकार बनाने के लिए भाजपा हाईकमान भी एक्टिव हो चुका है। बताया जा रहा है कि भाजपा हाईकमान ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को दिल्ली बुला लिया है।
जजपा अगर कांग्रेस को समर्थन देती है तो भी मौजूदा रुझानों के मुताबिक सरकार बनाने के लिए फिर भी चार और विधायकों की जरूरत होगी। ये चार विधायक भी सरकार में अपनी भूमिका की शर्त रख सकते हैं। जजपा के लिए कांग्रेस का साथ इसलिए भी मुफीद है क्योंकि कांग्रेस किसी भी शर्त पर राज्य में सरकार बनाने को राजी हो सकती है। जैसा कि कांग्रेस ने कर्नाटक में जेडीएस के कुमार स्वामी को मुख्यमंत्री बनाया था। इसी तरह कांग्रेस ने झारखंड में निर्दलीय विधायक मधुकौड़ा को मुख्यमंत्री बना दिया था। ऐसे में दुष्यंत चौटाला कांग्रेस के साथ मुख्यमंत्री पद की शर्त रख सकते हैं। इसके अलावा वह सरकार में कुछ मंत्री पद की भी उम्मीद कर सकते हैं।