हरियाणा विधानसभा चुनाव: जो जीता लोकसभा चुनाव, उसी ने विधानसभा में भी मारी बाजी
नई दिल्ली। हरियाणा में आज शाम चुनाव प्रचार थम जाएगा। 21 अक्टूबर को चुनाव होगा। क्या भाजपा की फिर सरकार बनेगी ? इस सवाल का वाजिब जवाब तो 24 अक्टूबर को मिलेगा लेकिन एक चुनावी ट्रेंड भाजपा के पक्ष में है। पिछले चार लोकसभा चुनावों में जिस दल ने बाजी मारी है उसी को राज्य में सरकार बनाने का मौका मिला है। यानी लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले दल या गठबंधन को विधानसभा चुनाव में भी कामयाबी मिलती रही है। 1999 से 2014 तक का वोटिंग पैटर्न जारी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी दस की दस सीटें जीती हैं। इस लिहाज से मौजूदा विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत मिलती दिख रही है।
1999
1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और इंडियन नेशनल लोकदल ने मिल कर चुनाव लड़ा था। दोनों को पांच-पांच सीटें मिलीं थीं। इस गठबंधन ने सभी सीटों पर कब्जा जमा कर कांग्रेस को चित्त कर दिया था। भाजपा-इनेलो को 57.9 फीसदी वोट मिले थे। एक साल बाद 2000 में जब विधानसभा के चुनाव हुए तो भाजपा-इनेलो गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला। मतप्रतिशत में कुछ की आयी लेकिन सीटों की संख्या में इजाफा हो गया। इनेलो को 47 तो भाजपा को 6 सीटें मिलीं। इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस को 21 सीटें मिली थीं।
2004
2004 के लोकसभा चुनाव के समय भाजपा- इनेलो गठबंधन टूट गया। दोनों ने अलग- अलग चुनाव लड़ा। भाजपा तो किसी तरह एक सीट जीत गयी लेकिन चौटाला के इनेलो की दुर्गति हो गयी। पांच सांसदों वाली इस पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया। उसने 42.1 फीसदी वोटों के साथ नौ सीटें हासिल कीं। 2005 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस ने और भी बेहतर नतीजे हासिल किये। उसका मत प्रतिशत बढ़ कर 42.4 फीसदी हो गया। कांग्रेस की सीटों की संख्या 21 से बढ़ कर 67 हो गयीं। भूपेन्द्र सिंह हुड्डा पहली बार मुख्यमंत्री बने। इसी समय को याद कर के कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने 2019 में अपने दर्द का इजहार किया है। सूरजेवाला के मुताबिक कांग्रेस नेतृत्व ने 2005 में उनको सीएम प्रोजेक्ट कर चुनाव लड़ा था लेकिन जीत मिली तो भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बना दिया गया था।
2009
2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर अपना सिक्का जमाया। उसने एक बार फिर नौ सीटों पर जीत हासिल की। एक सीट भजनलाल जीते थे। इनेलो और भाजपा का सफाया हो गया था। दोनों को 27.9 फीसदी वोट मिले थे लेकिन एक भी सीट नसीब नहीं हुई। 2009 के अक्टूबर में ही विधानसभा के भी चुनाव हुए। समय से कुछ पहले हुए असेम्बली इलेक्शन में कांग्रेस को उम्मीद के मुताबिक फायदा नहीं हुआ। उसे 40 सीटें मिलीं और वह बहुमत से पांच अंक पीछे रह गयी। उस साल निर्दलीय और अन्य ने 15 सीटों पर कब्जा जमाया था। कांग्रेस ने निर्दलीयों के समर्थन से फिर सरकार बनायी। भाजपा और इनेलो ने मिल कर चुनाव लड़ा था लेकिन यह गठबंधन जादुई आंकड़े से बहुत पीछे रह गया। इनेलो के 31 तो भाजपा को केवल 4 सीटें मिलीं।
2014
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का इनेलो से फिर गठबंधन टूट गया। भाजपा ने हरियाणा जनहित पार्टी के साथ मिल कर चुनाव लड़ा। हरियाणा जनहित पार्टी का गठन भजनलाल ने किया था। जनहित पार्टी को तो कोई फायदा नहीं हुआ लेकिन भाजपा ने अब तक की अपनी सबसे बड़ी जीत हासिल की। ये मोदी मैजिक था कि भाजपा हरियाण में 7 लोकसभा सीटें जीत गयी। भाजपा के वोट शेयर में बम्पर उछाल आया और उसे 34.8 फीसदी वोट मिले। इस चुनाव में कांग्रेस को एक तो इनेलो को दो सीटें मिलीं थीं। पांच महीने बाद विधानसभा के चुनाव हुए तो भाजपा ने करिश्मा कर दिया। उसने 47 सीटें जीत कर अकेले ही पूर्णबहुमत हासिल कर लिया। 2009 में चार सीटें जीतने वाली भाजपा ने 2014 में 47 सीटें जीत कर एक नया इतिहास लिखा। मनोहर लाल खट्टर, भजनलाल के बाद दूसरे गैरजाट नेता हुए जो हरियाणा के मुख्यमंत्री बने।
2019
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। दस की दस लोकसभा सीटें जीत कर उसने विरोधियों का खाता जीरो कर दिया। लोकसभा चुनाव में भाजपा को 58 फीसदी वोट मिले हैं। अगर पिछले चार लोकसभा चुनावों का ट्रेंड इस बार भी रिपीट होता है तो भाजपा फिर सरकार बनाने में कामयाब हो जाएगी। वैसे वोटिंग पैटर्न के आधार पर यह एक अनुमान है । हालांकि ये अनुमान अभी तक सच साबित हुए हैं।
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