हरियाणा चुनाव: पिहोवा में हॉकी के ‘सूरमा’ संदीप सिंह भाजपा के लिए करेंगे पहला गोल !
नई
दिल्ली।
2019
का
हरियाणा
विधानसभा
चुनाव
जीतने
के
लिए
भाजपा
ने
उन
सीटों
पर
भी
खूब
जोर
लगाया
है
जहां
पहले
उसे
कभी
जीत
नहीं
मिली।
पिहोवा
ऐसी
ही
एक
सीट
है।
इस
सीट
को
जीतने
के
लिए
भाजपा
ने
हॉकी
के
सूरमा
संदीप
सिंह
पर
दांव
खेला
है।
भारत
के
पूर्व
हॉकी
कप्तान
संदीप
सिंह
ने
पहली
बार
भाजपा
को
इस
सीट
पर
मजबूत
स्थिति
में
पहुंचा
दिया
है।
शुक्रवार
को
जब
पूर्व
क्रिकेटर
और
भाजपा
सांसद
गौतम
गंभीर
ने
संदीप
सिंह
के
लिए
रोड
शो
किया
तो
खेल
प्रेमियों
और
युवाओं
का
उत्साह
चरम
पर
था।
राजनीति
में
इस
नये
और
युवा
चेहरे
ने
नौजवान
वोटरों
को
खासा
आकर्षित
किया
है।
संदीप
खेल
के
दम
पर
राष्ट्रीय
नायक
रहे
हैं।
उनको
मिल
रहा
जनसमर्थन
दलीय
सीमाओं
से
बिल्कुल
परे
है।
संदीप सिंह की साफगोई लोगों को पसंद
32 साल के संदीप सिंह चूंकि गैरराजनीति चेहरा हैं इस लिए पिहोवा में उनके लिए कोई नकारात्मक धारणा नहीं है। हॉकी में नेशनल हीरो रहने के बाद अब वे हरियाणा में एक अकेडमी चलाते हैं। यहां बच्चों को हॉकी का मुफ्त प्रशिक्षण दिया जाता है। इस अकेडमी का खर्च वे पूर्व खिलाड़ियों, बड़े किसानों और अपने पूर्व परिचितों से चंदा लेकर जुटाते हैं। इसकी वजह से पिहोवा में उनके लिए खास सम्मान है। उन्होंने छोटी-छोटी जनसभाएं की हैं। वे लोगों से बिल्कुल खिलाड़ी की तरह मिले। उन्होंने कहा है कि जीत मिले या हार, वे एक खिलाड़ी के तरह हरदम पिहोवा में डटे रहेंगे। संदीप सिंह की यह साफगोई लोगों को भा गयी है। संदीप सिंह की छवि और उनका गैरराजनीति चेहरा भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हुआ है। भाजपा के बागी स्वामी संदीप ओंकार की वजह से संदीप सिंह को थोड़ी परेशानी है लेकिन मोदी मैजिक से इसकी भरपायी होती लग रही है। वैसे भी पिहोवा सिख बहुल चुनाव क्षेत्र है। यह संदीप सिंह के लिए प्लस प्वाइंट है। 2014 में इस सीट पर इनेलो के जसविंदर सिंह तो 2009 और 2005 में कांग्रेस को हरमोहिंदर सिंह जीते थे। भाजपा आज तक कभी ये सीट जीत नहीं पायी है। अगर संदीप भाजपा की तरफ से पहली बार यहां गोल करते हैं तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।
संदीप सिंह की चुनौती
इस साल के शुरू में विधायक जसविंदर सिंह का कैंसर से उनका निधन हो गया था। उनके निधन के बाद परिवार ने इनेलो से किनारा कर लिया। इनेलो 2014 की तरह नहीं रही थी। इस सीट पर इनेलो ने मनजीत सिंह को टिकट तो दिया था लेकिन उनकी जमीनी हकीकत कमजोर थी। इसलिए इनेलो ने भाजपा को हराने के लिए अपना समर्थन निर्दलीय प्रत्याशी स्वामी संदीप ओंकार को दे दिया। स्वामी संदीप ओंकार पहले भाजपा में थे। संदीप सिंह को टिकट मिलने के बाद स्वामी संदीप ओंकार ने बगावत कर दी। स्वामी को अकाली दल ने भी अपना समर्थन दिया है। इसलिए उनके निर्दलीय लड़ने से मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है। पूर्व विधायक हरमोहिंदर सिंह के पुत्र मनजीत सिंह चट्ठा के लिए कांग्रेस ने भी जोर लगाया है। दुष्यंत चौटाला ने अपने उम्मीदवार रणजीत सिंह के इनेलो के बेस बोटबैंक को टारगेट किया है। लेकिन कुल मिला कर संदीप सिंह इन तीनों उम्मीदवारों से आगे दिखायी पड़ रहे हैं।
संदीप की नायक की छवि
अर्जुन पुरस्कार विजेता संदीप सिंह भारत के मशहूर पेनाल्टी कॉर्नर विशेषज्ञों में एक रहे हैं। हॉकी में उनकी विशिष्ट उपलब्धियों को दर्शाने के लिए फिल्म निर्माता शाद अली ने 'सूरमा' नाम से एक फिल्म बनायी है जो 2018 में रिलीज हुई थी। दिलजीत दोसांझ ने संदीप सिंह की भूमिका निभायी है। संदीप की कप्तानी में ही भारत ने 2009 में 13 साल बाद अजलान शाह कप हॉकी प्रतियोगिता जीती थी। 2006 में संदीप सिंह के साथ एक हादसा हो गया था। जब वे विश्वकप ट्रायल के लिए दिल्ली आ रहे थे तो ट्रेन में उन्हें अचानक गोली लग गयी। गोली लगने के बाद उनके शरीर का कुछ हिस्सा पैरालाइसिस का शिकार हो गया था। उनका खेल जीवन खत्म होने के कगार पर था। लेकिन संदीप सिंह ने अपने फौलादी इरादों से नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया। उन्होंने रिकवर होने के लिए दिनरात मेहनत की। जब शरीर कुछ ठीक हुआ तो मैदान पर घंटों पसीना बहाया। मेहनत कामयाब हुई। जब दोबारा मैदान पर लौटे तो और निखर चुके थे। 2009 में जब वे पेनाल्टी कॉर्नर पर गोल के लिए हिट लगाते तो गेंद की रफ्तार 145 किलोमीटर प्रतिघंटा की होती। ड्रैग फ्लिक की इस ताकत को देख कर उन्हें फ्लिकर सिंह कहा जाने लगा था। उस समय दुनिया के किसी ड्रैग फ्लिकर के पास ये रफ्तार नहीं थी। ऐसे महान खिलाड़ी की लोकप्रियता दलीय सीमाओं से परे होती है।