हरियाणा विधानसभा चुनाव: देश के सबसे युवा सांसद किंगमेकर दुष्यंत चौटाला लाना चाहते हैं रामराज्य
बेंगलुरु। हरियाणा विधानसभा चुनाव में अभी तक आए रुझान में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। ऐसे में तय हो चुका है कि चौटाला परिवार किंगमेकर मेकर की भूमिका अदा करेगा। विधानसभा चुनाव में इनेलो से टूटकर जेजेपी बनाने वाले दुष्यंत चौटाला को जाटों का इस चुनाव में खूब प्यार मिला। महज 26 साल की उम्र में सांसद बनकर सुर्खियां अर्जित करने वाले दुष्यंत चौटाला में उनके समर्थक ताऊ देवी लाल का अक्स देखते हैं।
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चाचा अभय चौटाला से मतभेद के बाद नई पार्टी बनाने वाले दुष्यंत चौटाला नई नवेली जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के सबसे बड़े स्टार हैं। युवाओं में उनकी लोकप्रियता है। हरियाणी बोली में वह जबरदस्त संवाद करते हैं। दुष्यंत का स्लोगन लोक राज लोक लाज हैं। सांसद के तौर पर काम करने अनुभव, जनता के बीच अच्छी और सौम्य नेता की छवि है जिसने उनको यह सफलता दिलायी। उनके सपोर्टर कहते हैं दुष्यंत आएगा राम राज लाएगा।
दुष्यंत का स्लोगन लोक राज लोक लाज से चलता है
26 साल की उम्र में देश के पहले युवा सांसद बने का रिकॉर्ड दर्ज है। लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी इनका नाम भारत के सबसे युवा सांसद के तौर पर दर्ज है। सांसद रहने के साथ वकालत की पढ़ाई करने वाले दुष्यंत पर विधानसभा चुनाव में न सिर्फ खुद जीतने का दबाव था बल्कि पार्टी को स्थापित करने की बड़ी चुनौती थी। जिसमें वो शतप्रतिशत खरे उतरे। दुष्यंत की पार्टी ने पहला चुनाव जींद उपचुनाव का लड़ा था। इस चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहा था और वह दूसरे नंबर पर रही थी। छोटे भाई दिग्विजय चौटाला को अच्छे मत मिले थे, हालांकि पार्टी के लिए लोकसभा का चुनाव निराशाजनक रहा था। आप से गठबंधन के बाद भी बेहतर नतीजे नहीं आए थे। दुष्यंत का स्लोगन है कि लोक राज लोक लाज से चलता है।
जीते से ऊंचा हुआ कद
पांच साल तक सांसद रह चुके दुष्यंत विधानसभा चुनाव में उचाना से चुनाव लड़े। यहां उनका मुकाबला भाजपा नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र सिंह की पत्नी और मौजूदा विधायक प्रेमलता से था। दुष्यंत ने अपने दादा देवीलाल और पिता अजय चौटाला की तर्ज पर बड़े नेता को चुनौती देने का साहस दिखाया था। उनकी इस जीत ने निश्चित तौर पर उनका और उनकी पार्टी कद ऊंचा किया है साथ ही हरियाणा में किंग मेकर की भूमिका तक पहुंचना एक चमत्कार जैसा है। चुनाव से पहले माना जा रहा था कि उनके लिए यह सीट जीतना मुश्किल होगा, क्योंकि यह सीट वीरेंद्र सिंह की पैतृक सीट थी, इसी हल्के में उनका गांव है। ऐसे में दुष्यंत पर सबकी नजरें लगी थी। इस सब के इतर दुष्यंत के यहां से लड़ने की एक बड़ी वजह यह है कि पार्टी को लोकसभा चुनाव में अच्छे मत मिले थे, दुष्यंत और उनके रणनीतिकारों को उम्मीद है कि पार्टी को जीत मिलेगी। दुष्यंत के सामने इस मजबूत गढ़ में सेंध लगाने की चुनौती के साथ पार्टी को स्थापति करने और कुछ और सीटें जीताने का दबाव था। इतना ही नहीं उनकी कोशिश थी पार्टी दादा की पार्टी इनेलो से अच्छा प्रदर्शन करे जिसमें वो कामयाब हुए।
आसान नहीं था मुकाबला
दुशयंत चौटाला ने 2014 में 26 साल की उम्र हिसार से लोकसभा का चुनाव लड़ा और 4 लाख 95 हजार वोट से जीत हासिल की थी। 2018 के दिसंबर में इनेलो से अलग होकर नई पार्टी की बनाई और लाखों लोगों की भीड़ इकट्ठा कर बड़ी रैली की। विधानसभा चुनाव 2019 परिणाम से पहले लोगों का कहना था कि उनका नया संगठन है और पार्टी सिर्फ दस महीने पुरानी है, और उनका मुकाबला दो राष्ट्रीय दलों के नेताओं से हैं। ऐसे में उनकी जीत मुश्किल होगी। लेकिन दुष्यंत को सांसद के तौर पर किए गए काम के अनुभव और जनता के बीच अच्छी और सौम्य नेता की छवि के कारण जनता का प्यार उन्हें जीत के रुप में मिला।
खट्टर सरकार पर लगा चुके हैं बड़ा आरोप
बता दें पिछले दिनों दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर बड़ा आरोप लगाया है।उन्होंने कहा कि बेशक पी.एम. नरेंद्र मोदी ‘ना खाऊंगा और न खाने दूंगा' की बात करते हों लेकिन उन्हीं की पार्टी के मुख्यमंत्री धड़ल्ले से खा भी रहे हैं और अपनों को खिला भी रहे हैं। चौटाला ने कहा कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरैंस का दम भरने वाली सरकार के के कार्यकाल में कई घोटाले हुए हैं। उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार अपने चहेतों को लाभ पहुंचा रही है।सरकार के लोग टैंडर प्रक्रिया को धड़ल्ले से अपने कब्जे में ले रहे हैं।