हरियाणा-महाराष्ट्र में जीतकर भी BJP को नुकसान, राज्यसभा में घट सकती हैं इतनी सीटें
हरियाणा और महाराष्ट्र में जीत के बावजूद सीटें घटने से राज्यसभा में भाजपा का गणित बिगड़ सकता है।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद दोनों राज्यों में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार बनना तय हो गया है। महाराष्ट्र में जहां भाजपा और शिवसेना गठबंधन ने बहुमत का आंकड़ा पार किया है, तो वहीं हरियाणा में जेजेपी के समर्थन से भगवा पार्टी एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है। हालांकि इन दोनों राज्यों में ही 2014 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार भाजपा की सीटें घटी हैं। महाराष्ट्र में इस बार भाजपा को 17 और हरियाणा में 7 सीटों का नुकसान हुआ है। दोनों राज्यों में फिर से सरकार बनाने के बावजूद ये घटी हुई सीटें राज्यसभा में भाजपा का गणित बिगाड़ सकती हैं।
हरियाणा में क्या है राज्यसभा का समीकरण
एचटी की खबर के मुताबिक राज्यसभा में महाराष्ट्र से 19 और हरियाणा से 5 सदस्य चुनकर जाते हैं। वर्तमान में हरियाणा की इन 5 सीटों में से एक कांग्रेस के पास, जबकि तीन भाजपा के पास हैं। वहीं, सुभाष चंद्रा निर्दलीय सांसद हैं। हालांकि उन्हें भाजपा का समर्थन मिला था। हरियाणा की पांच राज्यसभा सीटों में से दो सीटों पर 2020 और दो सीटों पर 2022 में चुनाव होने हैं। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, राज्यसभा की एक सीट का चुनाव करने के लिए हरियाणा में 30 और महाराष्ट्र में 36 विधायक चाहिए। ऐसे में भाजपा हरियाणा की 2 राज्यसभा सीटों के लिए 2020 में होने वाले चुनाव में केवल एक सीट ही हासिल कर पाएगी।
महाराष्ट्र में एक सीट के लिए चाहिए 36 विधायक
इसी तरह महाराष्ट्र की 19 राज्यसभा सीटों में से सात कांग्रेस और एनसीपी के पास हैं, जबकि 11 सीटें एनडीए को मिली हुई हैं। महाराष्ट्र की सात सीटों पर 2020 में और 6 सीटों पर 2022 में चुनाव होंगे। इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को 163 सीटें मिली हैं और राज्यसभा की एक सीट के लिए 36 विधायक चाहिएं। ऐसे में 2020 में होने वाले 7 राज्यसभा सीटों के चुनाव में भाजपा और शिवसेना केवल 4 सीटों पर ही अपनी दावेदारी कर पाएगी।
कांग्रेस को मिल सकता है फायदा
वहीं, कांग्रेस राज्यसभा में हरियाणा से एक सीट हासिल कर लेगी, जबकि 103 विधायकों के वोटों के आधार पर महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी मिलकर 2 सीटें पा लेगी। ठीक इसी तरह की स्थिति हरियाणा और महाराष्ट्र में 2022 में भी रहेगी। भाजपा और कांग्रेस के गठबंधन से अलग चुनाव लड़ने वाले दलों को हरियाणा में 18 और महाराष्ट्र में 20 सीटें मिली हैं। राज्यसभा के चुनाव में इन दलों की भी भूमिका काफी अहम रह सकती है। 2020 और 2022 में महाराष्ट्र की जिन 13 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें से फिलहाल 7 सीटें एनडीए के खाते में है, जबकि 5 सीटें कांग्रेस और एनसीपी के पास हैं। हरियाणा में 2020 और 2022 में जिन चार सीटों पर चुनाव होना है, उनमें से फिलहाल कांग्रेस के पास केवल एक सीट है। दोनों राज्यों की बची हुई अन्य राज्यसभा सीटों पर 2024 में चुनाव होने हैं। वर्तमान में राज्यसभा में भाजपा के 82 और कांग्रेस के 45 सांसद हैं।
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की हार से नुकसान
दूसरी तरफ, 2018 में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा को मिली हार के बाद उसे राज्यसभा में थोड़ा नुकसान हो सकता है। छत्तीसगढ़ में भाजपा के पास केवल 15 विधायक हैं, जो राज्यसभा में एक सांसद को भेजने के लिए आवश्यक 30 से कम है। राजस्थान में भाजपा के पास केवल 73 विधायक हैं और यहां राज्यसभा की एक सीट के लिए 50 विधायक होने चाहिएं। ऐसे में राजस्थान में भाजपा केवल एक सीट पर ही दावा कर पाएगी। मध्य प्रदेश में भाजपा के पास 109 विधायक हैं और यहां राज्यसभा की एक सीट के लिए 58 विधायक होने चाहिएं। यानी यहां भी भाजपा को राज्यसभा की केवल एक सीट ही मिल पाएगी। वर्तमान में भाजपा के पास छत्तीसगढ से 3, मध्य प्रदेश से 8 और राजस्थान से 9 राज्यसभा सांसद हैं।
तो भरपाई कर देते महाराष्ट्र और हरियाणा
दरअसल, महाराष्ट्र और हरियाणा में अगर भाजपा का प्रदर्शन 2014 के मुकाबले इस बार बेहतर होता तो इससे पार्टी को राज्यसभा में उस संभावित नुकसान को पूरा करने में मदद मिलती, जो 2018 में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव मिली हार से भाजपा को हो सकता है। गुरुवार को घोषित हुए हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा और शिवसेना दोनों की राज्यसभा सीटों में थोड़ी गिरावट होगी। वहीं, कांग्रेस को इसका फायदा मिल सकता है।
ये भी पढ़ें- भाजपा को दुष्यंत चौटाला के समर्थन पर भड़के तेज बहादुर, उठाया ये बड़ा कदम