एयर इंडिया के प्राइवेटाइजेश पर केंद्रीय मंत्री का बड़ा बयान, बोले- सरकार चलाने की इच्छुक नहीं
नई दिल्ली: घाटे में चल रही एयर इंडिया मोदी सरकार के लिए बड़ा सर दर्द बनती जा रही है। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को सरकारी एयरलाइंस कंपनी के प्राइवेटाइजेशन पर बड़ा बयान दिया। दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एयर इंडिया के निजीकरण के लिए सरकार दृढ़ संकल्पित है। हमें कम समय में सबले बेस्ट डील करनी है। लोग एयरइंडिया के अधिग्रहण को लेकर बहुत उत्सुक हैं।
एयर इंडिया को होगा निजीकरण
उन्होंने आगे कहा कि जो भी एयर इंडिया का अधिग्रहण करेगा वह बहुत भाग्यशाली होगा और मजबूत निजी क्षेत्र के सिद्धांतों के अनुसार इसे चलाने में सक्षम होगा। हरदीप पुरी ने वैकेल्पिक तंत्र पर भी जोर देते हुए कहा कि गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले समूह ने इसकी जमीन तैयार करने के लिए एक मीटिंग की है। अगली मीटिंग अगले महीने होगी।
हम कोई छूट नहीं देंगे
निजीकरण पर सरकार के प्रयासों के बारें में बारे में बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम किसी भी तरह की कोई भी छूट नहीं देंगे जैसा कि पहले देखा गया है। हमारे पास एक एजेंडा होगा और जो भी होगा त्वरित होगा। इससे पहले, 23 अगस्त को, तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने बकाया भुगतान नहीं करने के कारण छह हवाई अड्डों पर एयर इंडिया को ईंधन की आपूर्ति रोक दी थी। हालांकि, एयरलाइन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उड़ान संचालन सामान्य और अप्रभावित है।
जीओएम में कौन-कौन?
एयर इंडिया के भविष्य का फैसला करने वाले ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स में गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, रेल और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी शामिल हैं। इस पैनल का नाम एयर इंडिया स्पेसिफिक अल्टरनेटिव मैकेनिज़्म (एआईएसएएम) है। इसके अगले सप्ताह मिलने की संभावना है, इसके बाद रिक्वेस्ट फॉर प्रपोज़ल (आरएफपी) जारी किया जाएगा।
एयर इंडिया के पास सैलरी देने के पैसे नहीं
गौरतलब है कि एयर इंडिया बड़े वित्तीय संकट की चपेट में है और गुरुवार को तेल कंपनियों ने बकाया भुगतान न करने के कारण, रांची, मोहाली, पटना, , विशाखापट्टनम, पुणे और कोच्चिन में कंपनी के हवाई जहाजों को मिलने वाली ईंधन की सप्लाई को रोक दिया है। लोगों के मुताबिक, एयर इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अश्वनी लोहानी ने पहले ही मंत्रालय को फंड संकट के बारे में सूचित कर दिया है। एयर इंडिया को वेतन के लिए प्रति माह 300 करोड़ की जरूरत है और उसके पास अक्टूबर से आगे वेतन देने के लिए पैसा नहीं है। वित्त वर्ष 2017-18 के मुकाबले वित्त वर्ष 2018-19 में एयर इंडिया पर कुल कर्ज 55,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 58,351.93 करोड़ रुपये हो गया है।
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