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Happy Birthday Gulzar: उम्र 86 लेकिन दिल बच्चा, आज भी जिगर में आग लगाती है गुलजार की कलम

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नई दिल्ली। मां सरस्वती के उपासक और मशहूर शायर गुलजार आज 86 बरस के हो गए हैं, अपनी शायरी और गीतों से लोगों को मदमस्त करने वाले गुलजार को शब्दों में परिभाषित करना कठिन ही नहीं नाममुमकीन है। दूसरे शब्दों में कहे तो गालिब अगर उर्दू के चांद हैं तो गुलजार बॉलीवुड के नायाब हीरे । उनकी ताकत उनके जज्बात हैं, जो कि शब्दों के रूप में सामने आते हैं, जो इश्क से भी मोहब्बत कराते हैं और जिंदगी की सच्चाई का आईना भी दिखाते हैं।

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86 बरस की उम्र में 'जिगर में आग लगाती है' है गुलजार की कलम

86 बरस की उम्र में 'जिगर में आग लगाती है' है गुलजार की कलम

जिनकी कलम 86 बरस की उम्र में 'जिगर में आग लगाती है' तो जिनकी शायरी से 'दिल बच्चा' बन जाता है। गुलजार जिनका असली नाम संपूर्ण सिंह कालरा है, का जन्म 18 अगस्त 1934 को पंजाब के झेलम में हुआ था, जो कि अब पाकिस्तान में है। बंटवारे के समय उनका पूरा परिवार अमृतसर में आकर बस गया था। लेकिन गुलजार का मन अमृतसर में ना लगा और वो मुंबई चले आए और फिर यहां आकर उन्हें जीविका के लिए गैराज में काम करना पड़ा।

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शेरो-शायरी के शौक ने संपूर्ण सिंह को 'गुलजार साहब' बना दिया

शेरो-शायरी के शौक ने संपूर्ण सिंह को 'गुलजार साहब' बना दिया

शेरो-शायरी के शौक ने उन्हें साहित्य जगत का गुलजार साहब बना दिया। गुलजार ने बॉलीवुड में बतौर गीतकार शुरुआत की बिमल रॉय की 1963 में बनी फिल्म 'बंदिनी' से की थी, जिसमें उन्होंने सचिन देव बर्मन के संगीत से सजी फिल्म के लिए 'मोरा गोरा अंग लइले' गीत लिखा था, जिसने धूम मचा दी थी। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक सुपरहीट गीत लिखे। गुलजार ने हिंदी सिनेमा को निर्देशक के रुप में 'परिचय', 'आंधी', 'मौसम', 'अंगूर', 'नमकीन', 'इजाजत' और 'माचिस' जैसी फिल्में दीं।

'जय हो' के लिए जीता ऑस्कर

'जय हो' के लिए जीता ऑस्कर

गीतकार गुलजार की फिल्मों की तो लंबी लिस्ट है, 'घरौंदा' का दो दिवाने शहर में, 'गोलमाल' का आनेवाला पल जानेवाला है, 'थोड़ी-सी बेवफ़ाई' के हजार राहें मुड़ के देखीं, 'इजाज़त' के मेरा कुछ सामान, 'दिल से' के चल छैंय्या छैंय्या और 'बंटी और बबली' के कजरारे के लिए उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड से भी नवाजा गया है तो वहीं 'स्लमडॉग मिलेनियर 'के गाने 'जय हो' के लिए गुलजार को मिले ऑस्कर पुरस्कार की धूम से तो सभी वाकिफ हैं।

पद्मभूषण से सम्मानित हैं गुलजार

पद्मभूषण से सम्मानित हैं गुलजार

गुलजार ने अभी तक 20 से अधिक फिल्‍मफेयर,कई राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार और अंतर्राष्ट्रीय ग्रैमी अवार्ड अपने नाम किए हैं। साहित्य में बेहतरीन योगदान के चलते उन्हें पद्मभूषण और साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार से नवाजा जा चुका है, मां सरस्वती के इस महान उपासक को वनइंडिया परिवार भी जन्मदिन की बहुत सारी शुभकामनाएं देता है।

पढ़ें गुलजार सााहब की कुछ मशहूर शायरी...

पढ़ें गुलजार सााहब की कुछ मशहूर शायरी...

शायर बनना बहुत आसान हैं,
बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।

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मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में,
बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका।

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वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं,

हम भूल गए हैं रख के कहीं।

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तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चांद भी था, मगर नींद नहीं।

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रोई है किसी छत पे, अकेले ही में घुटकर,
उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश।

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English summary
Gulzar, one of the most celebrated and respected lyricist-directors in the film industry, turned 86. Read his loving and Touching Shayrai and some unknown Facts.
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