दलित और आर्य के बाद अब हनुमान को बताया जैन, पढ़िए धर्मगुरु ने क्या कहा?
दलित और आर्य के बाद अब भगवान बजरंग बली को जैन धर्म का बताया गया है।
नई दिल्ली। देश की सियासत में इन दिनों भगवान भी घिरे हुए हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के भगवान हनुमान को 'दलित' बताने के बाद इस मामले पर सियासत गर्माई हुई है। योगी आदित्यनाथ ने हनुमान को 'दलित' बताया तो केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने उन्हें 'आर्य' बता दिया। विपक्ष भी इस मामले पर भाजपा और सीएम योगी पर हमला बोल रहा है। दलित और आर्य के बाद अब बजरंग बली को जैन धर्म का बताया गया है। जैन संत आचार्य निर्भय सागर ने कहा है कि हनुमान जी क्षत्रिय थे और उनका संबंध जैन धर्म से था।
आचार्य निर्भय सागर ने क्या कहा?
जैन संत आचार्य निर्भय सागर ने रविवार को समसगढ़ के पंच बालयति जैन मैंदिर में मीडिया से बात करते हुए कहा, 'बजरंग बली क्षत्रिय थे, हमारे पुराण-ग्रंथों में बहुत सारा भरा पड़ा है। क्षत्रिय होने के बाद उन्होंने वैराग्य धारण किया। वैराग्य के बाद उन्होंने ज्ञान की प्राप्ति की और मोक्ष प्राप्त किया, इसलिए उनका संबंध जैन धर्म से था।' आचार्य निर्भय सागर का यह वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है। आपको बता दें कि हाल ही में राजस्थान की एक चुनावी रैली में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हनुमान को दलित बताया था।
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'हनुमान गिरवासी हैं, दलित हैं, वचिंत हैं...'
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान के अलवर जिले में आयोजित एक चुनावी रैली में कहा, 'भगवान हनुमान एक ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिरवासी हैं, दलित हैं, वचिंत हैं। पूरे भारतीय समाज को उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक सबको जोड़ने का काम बजरंगबली करते हैं। इसलिए बजरंग बली का संकल्प होना चाहिए।' सीएम योगी के इस बयान के विरोध में ब्राह्मण महासभा ने उन्हें नोटिस जारी कर उनसे माफी की मांग की थी। वहीं, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा वोटों के लिए भगवान को भी जातियों में बांट रही है।
'दलित, वंचित नहीं आर्य थे हनुमान'
बजरंग बली की जाति को लेकर शुरू हुई बयानबाजी यहीं नहीं रुकी। सीएम योगी आदित्यनाथ के बाद केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने अलवर में चुनाव प्रचार के दौरान कहा, 'भगवान राम और हनुमान जी के युग में इस देश में कोई वर्ण व्यवस्था नहीं थी। कोई दलित, वंचित, शोषित नहीं था। वाल्मिकि रामायण और रामचरित मानस में अगर आप पढ़ेंगे तो आपको मालूम होगा कि उस वक्त कोई जाति व्यवस्था नहीं थी। भगवान हनुमान आर्य जाति के थे और उस वक्त केवल आर्य जाति ही थी।'
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हनुमान की जाति को लेकर बयानबाजी का दौर जारी
वहीं, इन बयानों के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद किशोर साय ने भगवान हनुमान पर अपना दावा ठोंक दिया। उन्होंने कहा, 'पवनपुत्र और केसरी नंदन कहे जाने वाले हनुमान दलित नहीं, बल्कि जनजाति के थे। आदिवासियों में कई जनजातियों का वानर गोत्र होता है, इसी आधार पर हनुमान को वानर कहा गया।' खैर, भगवान हनुमान की जाति को लेकर बयानबाजी का दौर जारी है और चुनावी मौसम में फिलहाल ये थमती हुई नजर नहीं आ रही है।
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