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Handwara: शहीद कर्नल आशुतोष की पत्‍नी और बेटी बोलीं- आंसू नहीं बहाएंगे, एक मई को था कर्नल की बेटी का बर्थडे

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जयपुर। जम्‍मू कश्‍मीर के हंदवाड़ा में कई घंटों तक एनकाउंटर चला और एनकाउंटर में 21 राष्‍ट्रीय राइफल्‍स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा शहीद हो गए। कर्नल आशुतोष के साथ मेजर अनुज सूद, नायक राजेश, लांस नायक दिनेश और जम्‍मू कश्‍मीर पुलिस के सब-इंसपेक्‍टर शकील काजी शहीद हो गए। कर्नल आशुतोष शर्मा, 19 गार्ड्स के बहादुर ऑफिसर थे और दो बार वीरता पुरस्‍कार जीत चुके थे। पति की शहादत पर पत्‍नी और पापा की बहादुरी पर बेटी को गर्व है। दोनों ही कह रहे हैं कि आंसू नहीं बहाएंगे और उनकी शहादत एक गौरवशाली पल है।

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अब जयपुर में रहता है परिवार

अब जयपुर में रहता है परिवार

एक मई को ही कर्नल की पत्‍नी का बर्थडे था और 12 साल की बेटी तमन्‍ना ने अब अपने पिता को खो दिया है। मगर उसे इस बात का मलाल नहीं है और वह कहती है कि उसके पापा बहुत ही बहादुर थे। पत्‍नी पल्‍लवी शर्मा ने कहा, 'हमें उन पर गर्व है। उनकी यूनिट उनके लिए प्राथमिकता थी और वह उनका जुनून थी। उनकी जगह हमारी जिंदगी में कोई भर नहीं सकता और उनका जाना हमारे लिए एक कभी न पूरा होने वाला नुकसान है। लेकिन उन्‍होंने अपने जवानों और नागरिकों की सुरक्षा के लिए जो किया, उस पर मुझे गर्व है।' कर्नल शर्मा मूल रूप से उत्‍तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले थे लेकिन अब उनका परिवार राजस्‍थान के जयपुर में रहता है। सोमवार को उनका पार्थिव शरीर जयपुर पहुंचा।

काउंटर-ऑपरेशंस में माहिर थे कर्नल आशुतोष

काउंटर-ऑपरेशंस में माहिर थे कर्नल आशुतोष

पत्‍नी पल्‍लवी ने आगे कहा कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ सेना में आकर ही देश की सेवा हो सकती है। हर किसी को देश का एक जिम्‍मेदार नागरिक और एक अच्‍छा इंसान बनना चाहिए। साल 2018 और फिर 2019 लगातार उन्‍हें दो बार सम्‍मानित किया गया था। कर्नल आशुतोष पहले भी कई काउंटर-टेरर ऑपरेशंस को सफलता पूर्वक लीड कर चुके हैं। उनकी शहादत ने हर किसी को गमगीन कर दिया है। कर्नल आशुतोष ने जो व्‍हाट्एस स्‍टेटस लगाया था उस पर लिखा था, 'हिम्‍मत को परखने की गुस्‍ताखी मत करना पहले भी कई तूफानों का रुख मोड़ चुका है।' उनकी व्‍हाट्सएप डीपी एक बब्‍बर शेर की है और वह वाकई एक शेर की तरह लड़े।

20 साल में बटालियन ने गवांया दूसरा CO

20 साल में बटालियन ने गवांया दूसरा CO

हंदवाड़ा के जिस घर में कर्नल और उनकी टीम आतंकियों से मोर्चा ले रही थी, वहां पर कुछ लोगों को बंधक बनाया गया था। 21 आरआर ने 20 साल के अंदर अपने दूसरे सीओ को एनकाउंटर में खो दिया है। कर्नल आशुतोष से पहले कर्नल राजिंदर चौहान भी 21 अगस्‍त 2000 में एक एनकाउंटर शहीद हो गए थे। 21 राष्‍ट्रीय राफइल्‍स (आरआर) को राजवार टाइगर्स के तौर पर भी जानते हैं क्‍योंकि इस बटालियन ने कई खतरनाक आतंकियों का सफाया हंदवाड़ा के राजवार के जंगलों में किया है। ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स के ऑफिसर्स और जवानों के साथ तैयार की गई है 21 राष्‍ट्रीय राइफल्‍स और इस बटालियन को पिछले कुछ समय में काफी लोकप्रियता हासिल हुई है।

एक घंटे तक कर्नल ने रखा धीरज

एक घंटे तक कर्नल ने रखा धीरज

कर्नल आशुतोष कीबटालियन को 'ट्रिपल सेंचुरियंस' यानी तिहरा शतक मारने वाली बटालियन कहते है क्‍योंकि इसके नाम पर 300 से ज्‍यादा आतंकियों को मारने का रिकॉर्ड है। कर्नल आशुतोष ने शनिवार की शाम तक करीब एक घंटे तक धैर्य के साथ तब तक इंतजार किया जब तक आतंकियों ने आखिरी गोली फायर नहीं कर ली। घंटे भर बाद एक घर में कुछ लोगों को बंधक बनाकर रखे आतंकियों को जवाब देने के लिए वह अपनी टीम के साथ आगे बढ़े। कर्नल को करीब से जानने वाले एक किस्‍से के बारे में हमेशा बात करते हैं। वे याद करते हैं कि कैसे एक बार आतंकी अपने कपड़ों में ग्रेनेड छुपाकर उनके जवानों की तरफ बढ़ा थ। इस समय बहादुरी का परिचय देते हुए कर्नल आशुतोष ने उसे काफी नजदीक से गोली मारी थी।

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English summary
Handwara martyr Colonel Ashutosh Sharma wife and and daughter says, 'We are proud of him'.
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