अर्धसत्य: महाराष्ट्र में इतिहास रचकर भी कैसे इतिहास रचने से चूक गए देवेंद्र फडणवीस
नई दिल्ली- महाराष्ट्र की राजनीति में देवेंद्र फडणवीस ने 50 साल बाद सत्ता में रहकर सत्ता में वापसी का इतिहास रचा। लेकिन, पहली बार शिवसेना की वजह से और दूसरी बार अजित पवार की वजह से वह इतिहास कायम रख पाने में गच्चा खा गए। आइए जानते हैं कि महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले 50 दशकों का क्या है ऐसा इतिहास, जिसने फडणवीस को प्रदेश के दो कद्दावर नेताओं बालासाहेब ठाकरे और शरद पवार की बराबरी में तो खड़ा कर दिया है, लेकिन किसी दूसरे राजनेता की वजह से वह इतिहास कायम रख पाने से चूक गए हैं। क्योंकि, इस बार के विधानसभा चुनाव में 1972 के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि सत्ताधारी गठबंधन ही अपने मुख्यमंत्री की अगुवाई में ही चुनाव जीतकर वापस लौटा। हालांकि, चुनाव के बाद घड़ी की सूई ऐसी उलट गई कि सबकुछ उलट-पुलट हो गया।
50 साल बाद रचा था इतिहास
पिछले 24 अक्टूबर को तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन दोबारा चुनाव जीतकर सत्ता के मुहाने पर पहुंच गया। इससे पहले महाराष्ट्र की राजनीति में 1972 में ऐसा हुआ था, जब तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री वसंतराव नाइक अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद फिर से सत्ता की दहलीज पर पहुंचे और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुए। उसके बाद किसी मुख्यमंत्री को ऐसा सौभाग्य प्राप्त नहीं हो सका था। लेकिन, पांच दशक बाद एकबार फिर से महाराष्ट्र की राजनीति में फडणवीस ने वह इतिहास रचकर दिखा दिया और पांच साल तक सत्ता में रहने के बाद अपने गठबंधन को दोबारा सत्ता में वापसी का मौका उपलब्ध करा दिया।
शिवसेना के अड़ने के बाद दोबारा नहीं बन सके सीएम
महाराष्ट्र की राजनीति में 24 अक्टूबर,2019 के पहले 1967 के मार्च में ऐसा मौका आया था, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री वसंत राव नाइक अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद फिर से चुनाव जीतकर सत्ता में लौटे थे। यह मौका जनता ने फडणवीस की अगुवाई वाले गठबंधन को भी दिया था। लेकिन, शिवेसना के अड़ंगे ने फडणवीस को इतिहास रचने के बावजूद इतिहास बनाने से रोक दिया। गठबंधन के जीतते ही शिवसेना ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर मुख्यमंत्री बनाने की मांग को लेकर अड़ गई और देवेंद्र फडणीस को राज्यपाल से जाकर कह देना पड़ा कि उनके पास सरकार बनाने लायक संख्या बल नहीं है।
अजित पवार की मदद से दूसरी बार मिला सीएम बनने का मौका
22 नवंबर की रात में एकबार फिर से देवेंद्र फडणवीस को इतिहास रचने का मौका मिल गया। शिवसेना की वजह से वे दोबारा मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे, लेकिन इस बार एनसीपी के नेता अजित पवार ने उन्हें यह मौका दे दिया। 23 अक्टूबर को सुबह करीब 8 बजे दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर वे दोबारा चुनाव जीतकर इतिहास रचने वाले मुख्यमंत्री बन गए। लेकिन, इसबार वे पांच साल के बजाय ठीक से 4 दिन भी मुख्यमंत्री पद पर नहीं रह पाए और जिस अजित पवार के दम पर दोबारा सीएम बने थे, उन्हीं के इस्तीफे के बाद पद छोड़ देने को मजबूर हो गए। यानि, इस तरह से वह दोबारा मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का इतिहास बनाने से चूक हो गए।
महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा कद बनाया
आज की कड़वी सच्चाई ये है कि फडणवीस को विधानसभा में मौजूदा संख्या बल के सामने नतमस्तक होना पड़ा है। लेकिन, ये भी हकीकत है कि प्रदेश की राजनीति में उन्होंने आज अपना कद इतना ऊंचा कर लिया है, जितना कभी बालासाहेब ठाकरे का होता था या फिर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार का रहा है। हकीकत ये है कि हालिय विधानसभा चुनाव भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने फडणवीस के विकासवादी चेहरे के दम पर ही जीता, लेकिन राजनीति की शातिर गुलाटी ने उन्हें इतिहास रचकर भी इतिहास रचने से वंचित कर दिया है।
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