हज यात्रा के बहिष्कार की अपील क्यों कर रहे हैं कई देशों के मुसलमान
नई दिल्ली। दुनियाभर के मुसलमान हज के लिए सउदी अरब पहुंचना शुरू हो गए। भारत से भी हाजियों के जत्थे सउदी के लिए रवाना हो रहे हैं। हज को इस्लाम में बहुत अहम स्थान दिया गया है। ऐसे में इस्लाम को मानने वाले हज के लिए मक्का पहुंचते हैं लेकिन इस साल दुनिया के कई देशों से हज यात्रा के बहिष्कार की आवाजें उठ रही हैं। जिसके पीछे सउदी अरब के शासक प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के कुछ फैसले हैं।
लीबिया के मशहूर मौलवी ने किया था ऐलान
अप्रैल महीने में लीबिया के मुफ्ती सादिक अल-घरीआनी ने हज यात्रा के बहिष्कार की बात कही थी। उन्होंने दूसरी बार हज पर जाने को तो पाप जैसा कहा था। कहा जा रहा है कि हज के जरिए सऊदी अरब को भारी आमदनी होती है। इस पैसे का सउदी गलत इस्तेमाल कर रहाहै। बहिष्कार की बात कहने वालों का तर्क है कि सउदी यमन और अप्रत्यक्ष तौर पर सीरिया, लीबिया, ट्यूनीशिया, सूडान और अल्जीरिया में हमलों को अंजाम दे रहा है। मौलवी सादिक का कहना है कि हज पर जाना मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा करने में सऊदी की मदद करने जैसा है।
सोशल मीडिया पर चर्चा
सऊदी अरब के ही युसूफ अल-काराडावी ने पिछले साल अगस्त महीने में हज के बहिष्कार की बात कह चुके हैं। उन्होंने हज के बजाय जरूरतमंद की मदद करने की अपील की थी। इस दफा जैसे ही हज के लिए दुनियाभर से जत्थे सउदी के लिए रवाना होना शुरू हुए। सोशल मीडिया पर ये मुद्दा ट्रेंड में आ गया। दुनियाभर से लोग सउदी शासन के मानवाधिकारों का हनन करने वाला और कई देशों को अस्थिर करने वाला बताकर हज के लिए उसकी मदद से बचने को कह रहे हैं।
23 लाख लोग हर साल जाते हैं हज के लिए
फॉरेन पॉलिसी डॉट कॉम के एक आंकड़े अनुसार हर साल करीब 23 लाख हज यात्री मक्का की यात्रा करते हैं। इससे सऊदी अरब को एक बहुत भारी फायदा होता है।
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