असम: गुवाहाटी HC ने खारिज की राज्य सरकार की याचिका, बंद नहीं होगा इंटरनेट
नई दिल्ली। असम में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हिंसक होने के बाद सरकार ने 11 दिसंबर को कई जिलों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी थी। हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि शुक्रवार तक इंटरनेट ने सुविधा बहाल की जाए। इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। आपको बता दें कि असम में इंटरनेट सुविधा फिर से शुरू कर दी गई है।
बता दे कि गुवाहाटी हाई कोर्ट ने सरकार को शुक्रवार की शाम 5 बजे तक राज्य में इंटरनेट सेवा बहाल करने का आदेश दिया था। लेकिन असम सरकार की तरफ से नेटवर्क ऑपरेटरों को इस सिलसिले में कोई अनुदेश जारी नहीं किया गया। हालांकि नागरिकता संशोधन कानून पर मचे बवाल के बीच अफवाहों को फैसले ने रोकने के लिए सरकार ने इंटनेट बंद कर दिया था। इसके 10 दिन बाद शुक्रवार की सुबह ही इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दी गई।
न्यायालय के फैसले के खिलाफ सरकार की याचिका पर जस्टिस मनोज भुइयां और सौमित्र सैकिया की खंडपीठ ने सुनवाई की और समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया। बता दें कि सरकार ने शुक्रवार की सुबह ही गुवाहाटी उच्च न्यायालय में समीक्षा याचिका दायर की और तत्काल लिस्टिंग के लिए आग्रह किया। सरकार की याचिका को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने दोपहर में इसे खारिज कर दिया।
CM
सर्बानंद
सोनोवाल
बोले-
डरें
नहीं
असम
के
मुख्यमंत्री
सर्बानंद
सोनोवाल
को
कहा
कि
नागरिकता
कानून
बाग्लादेश
से
आने
वाले
लोगों
को
बढ़ावा
नहीं
देगा
लेकिन
जो
पहले
से
ही
धार्मिक
प्रताड़ना
के
चलते
पड़ोसी
देश
से
भाग
कर
असम
में
आए
हैं
वह
भारतीय
नागरिकता
के
लिए
आवेदन
कर
सकते
हैं।
सीएम
ने
कहा
कि
राज्य
में
जो
इस
बात
से
डरे
हुए
हैं
कि
कानून
से
उनकी
पहचान
को
खतरा
है
और
असम
की
जनसंख्या
में
बढ़ोतरी
होगी
उन्हें
मैं
बता
दूं
कि
सीएए
के
जरिए
कोई
भी
बांग्लादेशी
असम
में
प्रवेश
नहीं
कर
सकता।
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