गुरु रविदास जयंती 2021: काशी में जन्मे थे संत रविदास, मीरा बाई भी मानती थीं उन्हें अपना गुरु
नई दिल्ली। Sant Ravidas Jayanti 2021 किसी भी व्यक्ति के जीवन को सही दिशा देने में एक गुरु या फिर संत का आश्रय बहुत जरूरी है। भारत देश कवियों और संतों का घर रहा है। हमेशा से ही हमारे यहां की संस्कृति और सभ्यता में गुरु को भगवान का दर्जा दिया जाता है। ऐसे ही ईश्वर का दर्जा प्राप्त एक गुरु थे संत कवि रविदास, जिनका जन्म पवित्र स्थली वाराणसी में हुआ था। हालांकि उनके जन्म की सही तारीख का ज्ञान किसी को नहीं है, लेकिन कहा जाता है हिंदू पंचाग के मुताबिक, उनका जन्म माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था और इसी दिन संत रविदास जयंती मनाई जाती है। इस बार रविदास जी की ये 639वीं जयंती है।
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गुरु ग्रंथ साहिब में हैं रविदास जी के गीत
संत रविदास ने कई भक्ति गीत लिखे जो भक्ति आंदोलन के दौरान लोकप्रिय हुए। साथ ही उन गीतों को गुरु ग्रंथ साहिब में भी सम्मिलित किया गया है। जानकारी के मुताबिक, लगभग रविदास जी की 40 कविताएं गुरु ग्रंथ साहिब में हैं। आम तौर पर यह माना जाता है कि रविदास पहले गुरु और सिख परंपरा के संस्थापक नानक से मिले थे। यह भी माना जाता है कि गुरु रविदास 21 वीं सदी के रविदासिया धर्म के संस्थापक हैं। रविदास जी को गुरु के रूप में उन्हें पंजाब, यूपी, राजस्थान और महाराष्ट्र में जाना जाता है। रविदास जी ने धार्मिक रूप से जातिगत व्यवस्था जैसी सामाजिक बुराइयों से लोगों को दूर करने की दिशा में काम किया। आपको बता दें कि रविदास जयंती को खासकर उत्तर-भारत के राज्यों में खासकर मनाया जाता है।
इसके अलावा कहते हैं संत रविदास जी भगवान कृष्ण की परमभक्त मीराबाई के भी गुरु थे। मीराबाई ने संत रविदास जी से ही प्रेरणा लेती थीं। कहते हैं संत रविदास ने कई बार मीराबाई की जान बचाई थी।
कैसे मनाई जाती है रविदास जयंती?
रविदास जयंती के दिन 'अमृतवाणी गुरु रविदास जी' का पाठ किया जाता है और एक विशेष आरती भी की जाती है। इस दिन पवित्र नदी में डुबकी भी लगाई जाती है। गुरु रविदास को समर्पित मंदिरों में भी पूजा की जाती है। सबसे भव्य उत्सव श्री गुरु रविदास जनम अस्थाना मंदिर में होता है। दुनिया भर से अनुयायी इस स्थान पर आते हैं और इस अवसर का जश्न मनाते हैं। इस नगर कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है।