गुरमेहर विवादः रिजिजू ने शेयर किया वीडियो, कहा-दर्द समंदर से भी ज्यादा गहरा
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने बुधवार को एक वीडियो ट्वीट कर लिखा है कि हमारे जवान इस तरह बोलने को मजबूर हैं।
नई दिल्ली। गुरमेहर कौर... के नाम पर सोशल मीडिया पर छिड़ा विवाद बंद होने का नाम ही नहीं ले रहा है। देशभक्ति बनाम देशद्रोह की इस जंग में जहां सेलिब्रेटियों और नेताओं ने अपने-अपने विचार लोगों के सामने रखे हैं, वहीं इस बीच केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने एक वीडियो शेयर करके इस बहस को और चोखा कर दिया है।
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ये वीडियो एक आर्मी जवान का
ये वीडियो एक आर्मी जवान का है, जिसमें एक जवान ने अपना दर्द बयान करते हुए कह रहा है कि दुख सरहद पर गोलियां खाने से नहीं होता, दुख तब होता है जब जेएनयू में संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु के लिए देशविरोधी नारेबाजी लगते हैं। दुख आतंकवादियों से लड़ने में नहीं होता, दुख तब होता है जब देश में लोग आतंकवादियो के मरने का शोक मनाते हैं।
दर्द समंदर से भी ज्यादा गहरा
रिजिजू ने वीडियो शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा- दर्द समंदर से भी ज्यादा गहरा हो जाता है। दुख की बात है कि हमारे जवानों को भी भारी दिल से कहना पड़ता है। मालूम हो कि पाकिस्तान और अपने पिता की शहादत को लेकर दिए बयान पर रिजिजू गुरमेहर पर तंज कसते हुए कहा था कि इस लड़की का दिमाग कौन खराब कौन रहा है और एक बार फिर से जवान के वीडियो के जरिए डीयू विवाद पर देश के विरोध में बात करने वालों को आड़े हाथ लिया है।
क्या है मसला?
आपको बता दें कि ये पूरा विवाद तब पनपा जब जब डीयू के रामजस कॉलेज में एक सेमिनार का आयोजन हुआ जिसमें जेएनयू के छात्र उमर खालिद और शेहला राशिद को कॉलेज की लिटरेरी सोसायटी ने हिस्सा लेने के लिए बुलाया था। उमर खालिद पर जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने का आरोप है जिसके खिलाफ एबीवीपी ने विरोध करना शुरू कर दिया।
उमर खालिद और शेहला राशिद का आमंत्रण रद्द
हंगामा बढ़ने पर रामजस कॉलेज ने उमर खालिद और शेहला राशिद का आमंत्रण रद्द कर दिया। जिसको लेकर लेफ्ट विचारधारा के छात्र संगठन आईसा ने विरोध मार्च निकाला। जिसमें एबीवीपी और आईसा समर्थकों के झड़प हुई।
कैप्टन मनदीप सिंह की बेटी और डीयू की छात्रा गुरमेहर कौर
इसी विवाद के बीच 1999 की करगिल लड़ाई में शहीद कैप्टन मनदीप सिंह की बेटी और डीयू की छात्रा गुरमेहर कौर ने सोशल मीडिया पर एक मुहिम शुरू की, जिसमें गुरमेहर ने लिखा कि वे वामपंथी नहीं हैं, लेकिन सहमत होने पर ही एबीवीपी का समर्थन करेंगी, मैं एबीवीपी को नकारती हूं क्योंकि वो भीड़ तंत्र और संविधान की तरफ से मिली मौलिक आजादी के खिलाफ है। फिलहाल बवाल बढ़ने पर गुरमेहर ने खुद को अभियान से अलग कर लिया है।