‘गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे’
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे गुमनामी बाबा, सहाय कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में माना, गत वर्ष किया गया था कमीशन का गठन, लोगों के बयान के बाद सहाय कमीशन ने सौंपी रिपोर्ट
नई दिल्ली। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत का रहस्य अभी भी एक रहस्य बना हुआ है। जस्टिस विष्णु सहाय कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में गुमनामी बाबा को ही सुभाष चंद्र बोस बताया है। जिन तमाम लोगों ने सहाय कमीशन के सामने अपना बयान दिया है, उसके आधार पर जस्टिस सहाय कमीशन ने गुमनामी बाबा को ही सुभाष चंद्र बोस बताया है। आपको बता दें जस्टिस सहाय कमीशन का गठन गत वर्ष जून माह में किया गया था, इसे गुमनामी बाबा के बारे में जांच करने का जिम्मा दिया गया था।
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अधिकतर लोगों ने माना
जस्टिस सहाय ने अपनी रिपोर्ट को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक को सौंप दी है। जस्टिस सहाय ने कहा कि जो प्राथमिक सबूत और गवाह मेरे सामने आए हैं, उसमे से अधिकतर लोगों ने या तो मेरे सामने आकर या फिर एफिडेविट के जरिए यह कहा है कि गुमनामी बाबा ही सुभाष चंद्र बोस थे, इन तमाम बयानों को मैंने खुद सुना है। बहुसंख्यक लोग इस बात को मानते हैं कि गुमनामी बाबा या तो नेताजी थे या फिर नेता जी हो सकते हैं। कुछ लोगों ने यह भी कहा है कि वह नेताजी नहीं थे।
तीन दशक बाद बयान दर्ज कराना मुश्किल
अपनी 347 पेज की रिपोर्ट में जस्टिस सहाय ने कहा है कि सबसे बड़ी चुनौती हमारे सामने यह थी कि गुमनामी बाबा की मौत के बाद काफी समय बीत चुका है और इसके बाद लोगों के बयानों को दर्ज करना। गुमनामी बाबा का निधन 1985 में हुआ था, लेकिन लोग 2016-17 में अपना बयान दे रहे हैं, यह समय तकरीबन तीन दशक का गैप है। यह स्वाभाविक है कि समय के बीतने के साथ ही लोगों की याददाश्त कमजोर हो जाती है, ऐसे में लोग कल्पना करने को मजबूर हो जाते हैं कि ऐसा हुआ था या नहीं।
कई वस्तुओं को भी देखा गया
जस्टिस सहाय ने कहा कि हमारा मुख्य लक्ष्य था गुमनामी बाबा की पहचान करना। अधिकतर लोगों ने इस बात को स्वीकार किया है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे। सहाय कमीशन ने अपनी जांच के दौरान उन तमाम वस्तुओं को भी देखा जोकि गुमनामी बाबा के निधन के बाद उनके निवास स्थान से प्राप्त हुई थीं। इन चीजों में कुछ मैप थे जोकि आजादी से पहले के थे, साथ ही कुछ पेन भी थे। लोगों का कहना है कि यह तमाम वस्तुएं नेताजी की ही थीं।