गुजरात के Statue of Unity को टाइम मैगजीन में मिला स्थान, खुश होकर पीएम मोदी ने की ये अपील
अहमदाबाद। अमेरिका की मशहूर मैगजीन 'TIME' ने विश्व के 100 महानतम स्थानों को लेकर लिस्ट जारी की है। इसमें 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को भी शामिल किया गया है। इसपर पीएम मोदी ने खुशी जाहिर की है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा है- 'शानदार, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को 'टाइम' ने 100 महानतम जगहों की लिस्ट में शामिल किया है, कुछ दिन पहले 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' ने एक दिन में 34000 लोगों के आने का रिकॉर्ड बनाया, खुशी है कि ये जगह पॉपुलर टूरिस्ट प्लेस के रुप में भी उभर रही है।'
पीएम ने लोगों से 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' देखने जाने की उम्मीद जताई
इसको लेकर पीएम मोदी ने एक और ट्टीट कर लोगों से 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' देखने जाने की उम्मीद जताई है, पीएम मोदी ने लिखा है- सरदार सरोवर बांध का जल स्तर ऐतिहासिक 134.00 मीटर तक पहुंच गया है। पीएम मोदी ने डैम की कुछ फोटो भी ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा कि उम्मीद है कि आप इस प्रतिष्ठित स्थान पर जाएंगे और 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' देखेंगे। दरअसल, जल स्तर बढ़ने पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की गैलेरी से सरदार सरोवर बांध बहुत खूबसूरत दिखता है। इसके 15 गेट फिलहाल खुले हुए हैं। ऐसे में यहां आने वाले सैलानी बड़ी तादाद में स्टैच्यू के साथ-साथ सरदार सरोवर बांध का भी लुफ्त उठाते हैं।
स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुना ऊंचा है स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
गौरतलब है कि पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर को आजाद भारत के पहले गृह मंत्री लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 143वीं जयंती पर उनकी प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का अनावरण किया था। यह स्टैच्यू दुनिया में सबसे ऊंची है। इसकी ऊंचाई 182 मीटर (597 फीट) है। ऊंचाई में यह अमेरिका के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर) का दुगना है। जबकि रियो डी जेनेरियो के क्राइस्ट द रिडीमर टावर से चार गुना ऊंचा है। इसको बनाने में कुल 2,989 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
6 लाख ग्रामीणों ने मूर्ति स्थापना के लिए लोहा दान किया
इस स्मारक के लिए 6 लाख ग्रामीणों ने मूर्ति स्थापना के लिए लोहा दान किया। इसके लिए 5000 मीट्रिक टन लोहे का जमा किया गया। इस प्रतिमा को बनाने का जिम्मा प्रख्यात मूर्तिकार पद्म भूषण राम वनजी सुतार को दिया गया था। यह अहमदाबाद से 200 किमी दूर जनजाति जिले नर्मदा के सरदार सरोवर डैम के निकट बनाया गया है, यह मूर्ति पटेल को श्रद्धांजलि है। इस स्टैच्यू के निर्माण में 25,000 टन लोहे और 90,000 टन सीमेंट का इस्तेमाल किया गया है। मूर्ति को 7 किमी दूर से देखा जा सकता है।