गोधरा कांड में बड़ा फैसला, Gujarat HC ने 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला
गुजरात हाईकोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार से ट्रेन में मारे गए कार सेवकों के परिजनों को 10 लाख रुपए मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं।
अहमदाबाद। विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच गुजरात हाईकोर्ट ने गोधरा में 2002 में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाकर 59 लोगों को जिंदा जलाने और उसके बाद भड़के दंगों के मामले में अहम फैसला सुनाया है। गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत का फैसला बदलते हुए 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। यानी अब इस केस में किसी को फांसी नहीं होगी। गुजरात हाईकोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार से ट्रेन में मारे गए कार सेवकों के परिजनों को 10 लाख रुपए मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा हाईकोर्ट ने दंगों के दौरान कानून-व्यवस्था ना संभालने को लेकर राज्य की तत्कालीन मोदी सरकार की आलोचना भी की है।
2011 में इस मामले में एसआईटी की एक विशेष अदालत ने 31 लोगों को दोषी करार दिया था जबकि 63 लोगों को बरी कर दिया गया था। एसआईटी के इस फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी। आपको बता दें कि 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एक डब्बे, एस-6 में आग लगा दी गई थी। उस आग में 59 लोग, जिनमें ज्यादातर अयोध्या से लौट रहे हिंदू कारसेवक थे, वो मारे गए थे। इस हादसे के बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे।
चुनावों पर क्या होगा फैसले का असर?
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 2008 में आरके राघवन के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी की अदालत ने 1 मार्च 2011 को इस मामले में फैसला सुनाते हुए 11 लोगों को फांसी और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। साथ ही 63 लोगों को बरी कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में अपील दायर कर चुनौती दी गई थी। वहीं राज्य सरकार ने भी 63 लोगों को बरी किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। बता दें गुजरात में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में यह तय माना जा रहा है गोधारा कांड पर इस फैसले का असर गुजरात चुनावों में भी देखने को मिलेगा।
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