गुजरात दंगों पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसलाः 14 दोषियों की उम्रकैद की सजा बरकरार
नई दिल्लीः गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को साल 2001 के सांप्रदायिक दंगों के 14 दोषियों की उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा है। वहीं, चार लोगों को बरी कर दिया गया है। बता दें, 23 लोगों को साल 2001 के गुजरात के आनंद जिले में नरसंहार का दोषी पाया गया था, जिसके बाद इन्हें साल 2012 में विशेष अदालत ने 23 लोगों का दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई, 18 लोगों को उम्र कैद, पांच को सात साल की सजा सुनाई गई।
न्यायमूर्ति अकिल कुरेशी के नेतृत्व में डिवीजन खंडपीठ ने पिछले हफ्ते 23 दोषियों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई विशेष जांच टीम भी कोर्ट के आदेश के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट पहुंची थी, जहां पांच आरोपियों( जिन्हें सात साल की सजा मिली) के खिलाफ सजा बढ़ाने की मांग की थी।
जांच टीम ने इस मामले में 47 लोगों के खिलाफ मुकद्दमा चलाया था। सभी आरोपियों के खिलाफ मौत की सजा की मांग की गई थी। बताया जाता है कि 1 मार्च 2002 को ओदे में 23 लोगों को जिंदा जला दिया गया था।
ये घटना गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती ट्रेन नरसंहार में 58 लोगों की मौत के बाद हुई थी। ये दंगा नौ प्रमुख देंगो में एक था, जिसकी जांच को सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को सौंपा था।
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