गुजरात में मोदी-अमित शाह के टेस्टेड फॉर्मूला से डरे वर्तमान विधायक
नई दिल्ली। गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनावों की तरीख अब नजदीक आती जा रही है। बात अगर भारतीय जनता पार्टी की करें तो अभी तक उम्मीदवारों की सूची नहीं आई है। पार्टी के कई मौजूदा विधायकों को डर सता रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह सरकार विरोधी लहर से निपटने के लिए टिकटों के बंटवारे में अपना टेस्टेड फॉर्मूला आजमा सकते हैं। इसके तहत कई विधायकों के टिकट काटे जाने की बात है। हालांकि कुछ विधायकों को यह भी उम्मीद है कि राज्य के नए राजनीतिक समीकरण दल-बदल से बचने के लिए हाई कमान को शायद ऐसा कोई कदम उठाने से रोक दें।
आपको बता दें कि साल 2007 में मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने 47 मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया था। हालांकि 2012 में टिकट कटौती की सख्या में कमी आई थी। 2012 में सिर्फ 30 विधायकों के ही टिकट कटे थे। इससे पहले साल 2002 में जब मोदी पहली बार मुख्यमंत्री के तौर पर बीजेपी की अगुवाई की थी तो उस वक्त बीजेपी के 121 मौजूदा विधायकों में से 18 का टिकट काटा गया था। बात साल 2012 की करें तो उस वक्त केशुभाई पटेल बीजेपी के लिए खतरा बनते दिख रहे थे इसलिए संतुलन बनाए रखने के लिए 30 विधायकों का टिकट काटा गया था।
चुकि अब केशुभाई पटेल भारतीय जनता पार्टी के लिए खतरा नहीं हैं लेकिन हार्दिक पटेल सामने हैं। ऐसा माना जा रहा है कि हार्दिक पटेल बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बनेंगे। हार्दिक के कांग्रेस का समर्थन करने की पूरी संभावना है, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ, तो भी वह बीजेपी को तो किसी सूरत में नहीं समर्थन करेंगे। हार्दिक पटेल के साथ बातचीत किसी नतीजे पर पहुंच जाने के बाद ही कांग्रेस अपने उम्मीदवारों का ऐलान करेगी।
उसके पास पहले से ही ओबीसी नेता अल्पेश ठाकुर और दलित नेता जिग्नेश मेवानी का समर्थन है। ठाकुर ने अपनी इकाई का विलय कांग्रेस के साथ कर लिया है। चूंकि ठाकुर और हार्दिक के बीच हितों का टकराव है, लिहाजा अगर हार्दिक कांग्रेस से हाथ मिलाते हैं, तो पार्टी को कुछ चुनाव क्षेत्रों में टिकट बंटवारे के लिए आम-सहमति बनानी होगी, खासतौर से वैसी सीटों पर जहां दोनों पक्षों को अपने लिए बेहतर संभावना नजर आती है।
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