इस गांव के लोग नहीं लेकिन कुत्ते जरूर हैं अमीर, हर कुत्ता है करोड़ों का मालिक
गुजरात के एक गांव के कुत्ते इंसानों से भी ज्यादा अमीर हैं। यहं इंसान भले ही करोड़पति न हों, लेकिन गांव के कुत्ते जरूर करोड़पति हैं। मेहसाणा जिले के पंचोट गांव में कई ऐसे कुत्ते हैं जिनके पास करोड़ों रुपये हैं। पंचोट गांव में 'मढ़ नी पति कुतरिया ट्रस्ट' है, जिसके पास 21 बीघा जमीन है।
मेहसाणा। गुजरात के एक गांव के कुत्ते इंसानों से भी ज्यादा अमीर हैं। यहं इंसान भले ही करोड़पति न हों, लेकिन गांव के कुत्ते जरूर हैं। मेहसाणा जिले के पंचोट गांव में कई ऐसे कुत्ते हैं जिनके पास करोड़ों रुपये हैं। पंचोट गांव में 'मढ़ नी पति कुतरिया ट्रस्ट' है, जिसके पास 21 बीघा जमीन है। ये जमीन भले ही इन कुत्तों के नाम न हो, लेकिन इससे होने वाली पूरी कमाई कुत्तों की भलाई में लगा दी जाती है।
कुत्तों की भलाई में लगाई जाती है रकम
गुजरात के मेहसाणा जिले के गांव पंचोट में हर कुत्ते की ऐश हैं। यहां 'मढ़ नी पति कुतरिया ट्रस्ट' के पास 21 बीघा जमीन है, जिसकी प्रति बीघा कीमत लगभग 3.5 करोड़ रुपये है। ये सभी पैसे ट्रस्ट के करीब 70 कुत्तों के कल्याण में खर्च किए जाते हैं। हर साल बोवाई से पहले जमीन की बोली लगाई जाती है। जो सबसे ज्यादा बोली लगाता है, उसे एक साल के लिए जमीन दे दी जाती है। इस नीलामी में लगभग 1 लाख तक की रकम मिल जाती है जो ट्रस्ट और कुत्तों की देखभाल में खर्च होते हैं। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
सालों पुरानी है कुत्तों की भलाई की परंपरा
ट्रस्ट के अध्यक्ष छगनभाई पटेल कहते हैं कि कुत्तों के लिए अलग से संपत्ति रखने की परंपरा गांव में बहुत पुरानी है। इसकी शुरुआत अमीर घरानों द्वारा हुई थी, जो वो छोटी जमीनें दान में दे दिया करते थे, जिन्हें संभालने में दिक्कत होती थी। उन्होंने आगे कहा, 'उस वक्त जमीनों की कीमत ज्यादा नहीं हुआ करती थी। कई बार तो संपत्ति के मालिक इसलिए जमीन दान करते थे क्योंकि वो टैक्स नहीं भर पाते थे और दान उनकी जिम्मेदारी बांट देता था।' उन्होंने बताया कि इन जमीनों का रखरखाव 70-80 साल पहले कुछ पटेल किसानों ने शुरू किया था। लगभग 70 साल पहले सभी जमीन ट्रस्ट के पास आ गई। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
सिर्फ कुत्ते नहीं, सभी के कल्याण के लिए काम करता है ट्रस्ट
हालांकि पंचोट गांव और जमीन के बढ़ने के बाद लोगों ने जमीन दान करना बंद कर दिया। छगनभाई पटेल ने बताया कि भले ही जमीन ट्रस्ट को दे दी गई हो, लेकिन कागजात में अभी भी पुराने मालिक का ही नाम है। उन्होंने कहा, 'जमीन का कोई भी मालिक जमीन वापस लेने नहीं आया। जानवरों या सामाजिक कार्य के लिए दान में दी गई जमीन को वापस लेना गांव में बुरा माना जाता है।' ये ट्रस्ट सिर्फ कुत्तों के लिए ही नहीं, बल्कि बाकी जानवरों के कल्याण के लिए भी काम करता है। ट्रस्ट को हर साल पक्षियों के लिए 500 किलो तक दाना मिलता है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)