Gujarat Assembly Elections 2017: विजय रूपाणी का केशुभाई से मिलना बहुत कुछ कहता है...
अहमदाबाद। आज विजय रूपाणी एक बार फिर से गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, उनके साथ उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल भी अपने पद की गोपनियता का वचन लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के वरिष्ठ नेता और राजद शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री भी मौजूद रहेंगे। सियासत की दुनिया में विजय रूपाणी और नितिन पटेल दोनों को राम-लखन की जोड़ी के नाम से जाना जाता है, दोनों नेताओं ने शपथ ग्रहण समारोह से ठीक एक दिन पहले सोमवार को गुजरात में बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री रहे केशुभाई पटेल से मुलााकात की और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
इस मुलाकात के खास मायने हैं
फौरी तौर पर तो ये मुलाकात एक प्रेम और आदर का नमूना है लेकिन सियासी पंडितों का मानना है कि इस मुलाकात के खास मायने हैं। दरअसल इस बार गुजरात में छठी बार बीजेपी सरकार बनाने जा रही है लेकिन इस बार की जीत में उसका जनाधार काफी कम हो गया है।
बीजेपी को 25 सीटें
उसे खुद उम्मीद नहीं थी कि पीएम मोदी के राज्य में उसे इतना नुकसान होगा, इस बार सबसे तगड़ा झटका उसे सौराष्ट्र में मिला है, जो कि बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है, इस बार के चुनाव में उसे यहां 54 सीटों में से 25 सीटें मिली हैं जबकि कांग्रेस को 29 सीटें मिली हैं।
केशुभाई पटेल का इलाका
जबकि राज्य में जब पहली बार बीजेपी सत्ता में आई थी तब उसे यहां 44 सीटें मिली थी और तब से ही ये क्षेत्र बीजेपी का भारी वोट वाला क्षेत्र बन गया, ये केशुभाई पटेल का इलाका कहा जाता है, यहां के लोगों पर पटेल का काफी दबदबा है इसलिए रूपाणी और पटेल का केशुभाई से मिलना अहम माना जा रहा है।
विजय रूपाणी
आपको बता दें कि गुजरात की दूसरी बार सत्ता संभालने जा रहे विजय रूपाणी भी सौराष्ट के राजकोट से ही जीत कर आए हैं, ऐसे में वहां से बीजेपी की सीट घटना उनके लिए चिंता का विषय है, इसलिए ये मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है। बीजेपी केशुभाई पटेल के जरिए सौराष्ट्र में खिसके जनाधार को वापस लाने की कोशिश कर रही है क्योंकि साल 2019 में लोकसभा चुनाव है, ऐसे में सौराष्ट्र में जनाधार वापस पाना बीजेपी के लिए काफी अहम है।
भाजपा विधायक दल का नेता
मालूम हो कि राज्य में भाजपा की यह लगातार छठी सरकार बनने जा रही है। पार्टी ने 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा चुनाव में 99 सीटें जीती हैं। इस चुनाव में भाजपा को 2012 के चुनाव से 16 सीटें कम मिली हैं। कांग्रेस को उस समय 61 सीटें मिली थीं। इस बार कांग्रेस को 77 सीटों पर जीत हासिल हुई है।
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