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Gujarat Verdict: भाजपा का वोट शेयर ज्यादा लेकिन इन वजहों से कम मिली सीट

By Rahul Sankrityayan
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गांधीनगर। गुजरात विधानसभा चुनाव के परिणाम आ गए हैं। राज्य में भारतीय जनता पार्टी छठीं बार सरकार बनाने जा रही है। इस बार चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा है, हालांकि उसकी सीटें पिछली बार से कम हो गईं। साल 2012 के चुनाव में जहां भाजपा को 115 सीट और कांग्रेस को 61 सीट मिली थी वहीं इस बार भाजपा 99 पर सिमट गई और कांग्रेस को 77 सीटें मिली हैं। राज्य में कांग्रेस के सहयोगी दल भारतीय ट्राइबल पार्टी को भी 3 सीटें मिलीं। इसके साथ ही अन्य को 3 सीटें मिलीं। गुजरात के कुल 55 शहरी क्षेत्रों में से 43 सीट पर भाजपा ने जीत हासिल की है और कांग्रेस को 12 सीटें मिली हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों की 127 में से 71 सीट कांग्रेस और 56 भाजपा को मिलीं। हर क्षेत्र, ग्रामीण / शहरी-ग्रामीण / शहरी इलाकों के लिए सच है और चाहे वह अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के आरक्षित सीटें या अनारक्षित सीटें हों, बेशक, इन दोनों मामलों में दो पार्टियों के वोट शेयरों के बीच अंतर होगा, लेकिन उनमें से हर एक में कांग्रेस, बीजेपी के पीछे है।

ग्रामीण इलाकों में उखड़ी भाजपा

ग्रामीण इलाकों में उखड़ी भाजपा

सीट के शेयरों को देखते हुए यह काफी आश्चर्यचकित करने वाला है। उदाहरण के लिए, कांग्रेस ने ग्रामीण इलाकों में सत्तारूढ़ पार्टी को उखाड़ दिया है। दरअसल, राज्य के इस चुनाव में भाजपा की 49.1 फीसदी वोट प्रतिशत मिला हालांकि साल 2012 में हासिल हुए 47.9% के मुकाबले इस बार मामूली सुधार है। हालांकि अगर यह लोकसभा 2014 के मुकाबले देखें तो भाजपा के वोट फिसदी में काफी गिरावट आई है। लोकसभा चुनाव में भाजपा को 59.1% वोट मिला था।

कांग्रेस को मामूली बढ़त

कांग्रेस को मामूली बढ़त

कांग्रेस ने भी पांच साल में 38.9% से अपना वोट शेयर बढ़ाकर 41.4% कर दिया। लेकिन कांग्रेस बीजेपी सेलगभग 8 फीसदी पीछे है। साल 2012 की तुलना में वोटों में केवल मामूली सी बढ़त मिली है।

भाजपा के लिए लड़ाई करीबी

भाजपा के लिए लड़ाई करीबी

इस बार बीजेपी के लिए लड़ाई बहुत ही करीब थी। भाजपा को इस बार बहुमत से सिर्फ 7 सीटें ज्यादा मिली हैं। वोटों को सीटों में ना बदल पाने के पीछे भाजपा की क्या असमर्थता दिख रही है? दरअसल इसकी पहली वजह है कि इन वोटों का हिस्सा शहरों में भारी जीत हासिल करने से आया है। जीतने वाली 33 शहरी सीटों में, भाजपा के जीतने का औसत मार्जिन 47,000 वोट है।

जहां वोट शएयर कम था...

जहां वोट शएयर कम था...

इसी तरह, भाजपा ने 26,000 के औसत मार्जिन से ग्रामीण शहरी सीट जीता। जीत के रूप में प्रभावशाली, यह वोटों के बढ़ोतरी का एक उदाहरण था जो वास्तव में सीटों में नहीं जुड़ा। कांग्रेस के वोट ज्यादा समान रूप से बढ़े। इसके परिणामस्वरूप यह उन क्षेत्रों में भी भाजपा की तुलना में अधिक सीटें जीतने में सक्षम रही जहां उनका वोट शेयर वास्तव में कम था।

सबसे नाटकीय उदाहरण सौराष्ट्र

सबसे नाटकीय उदाहरण सौराष्ट्र

इसका सबसे नाटकीय उदाहरण सौराष्ट्र था, जहां भाजपा ने कांग्रेस के लिए 30 की तुलना में सिर्फ 23 सीटों की जीत दर्ज की थी, हालांकि कांग्रेस का वोट शेयर 45.9% रहा जो कुल वोट शेयर 45.5% से ज्यादा है।

यहां भाजपा का 45.1% वोट शेयर

यहां भाजपा का 45.1% वोट शेयर

उत्तर गुजरात भी अलग नहीं था। यहां भाजपा का 45.1% वोट शेयर था जब कि कांग्रेस का 44.9% था। संयोग से, यह एकमात्र ऐसा क्षेत्र था जहां कांग्रेस ने 2012 में भाजपा के वोट हिस्से को बेहतर बनाया था लेकिन सीट का हिसाब लगभग समान था।

पाटीदार गुस्से का यह रहा फलसफा

पाटीदार गुस्से का यह रहा फलसफा

इन चुनावों में भाजपा के खिलाफ पाटीदार गुस्से का यह फलसफा रहा कि 52 सीटों में जो पाटीदारों निर्वाचन क्षेत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा बना था, यहां भाजपा को बहुमत (50.3%) और 28 सीटें मिलीं।

इन्हीं मामूली बदलावों के चलते

इन्हीं मामूली बदलावों के चलते

इन्हीं मामूली बदलावों के चलते भाजपा और कांग्रेस में लड़ाई इतनी करीब रही। इन्हीं वजहों से भाजपा का वोट शेयर तो बढ़ा लेकिन सीटें कम मिलीं। अब यह देखना होगा कि आगे भाजपा इसे कैसे बरकरार रख पाती है और कांग्रेस अपना वोट पर्सेंटेज बढ़ा पाएगी या नहीं।

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English summary
Gujarat Assembly elections 2017: BJP vote share is more but why less seats
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