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मोदी को सीधे चुनौती देने वाली गुजरात के तीन लड़कों के लिए ये हैं भविष्‍य की चुनौतियां

By Rahul Sankrityayan
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नई दिल्ली। गुजरात में भारतीय जनता पार्टी को जनता ने स्पष्ट बहुमत दिया है। 99 सीटों के साथ भाजपा अब राज्य में सरकार बनाने की ओर है। हालांकि कांग्रेस उस स्तर पर नहीं उभर पाईं, जिसकी उम्मीद पार्टी को थी। फिर भी यह चुनाव कांग्रेस के लिए बीते कई चुनावों से बेहतर रहा। कांग्रेस के इस प्रदर्शन का श्रेय अकेले पार्टी और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी को ही नहीं बल्कि उस तिकड़ी को भी दिया जाएगा जिन्होंने बीते 22 साल बाद राज्य में चुनाव की लड़ाई का तरीका भी बदला। साल 2016 से लेकर बीते कुछ महीनों में नए तरह के सामाजिक राजनीतिक आंदोलन को खड़ा किया, उसके सहारे कांग्रेस का प्रदर्शन उचित रहा। इस तिकड़ी में हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी और अल्पेश ठाकोर शामिल हैं। हालांकि अब जबकि चुनाव संपन्न हो चुके हैं और कांग्रेस हार गई है, ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं इस तिकड़ी का राजनीति में क्या भविष्य होगा।

कांग्रेस-हार्दिक गठबंधन ने चुनाव को बनाया दिलचस्प

कांग्रेस-हार्दिक गठबंधन ने चुनाव को बनाया दिलचस्प

बात हार्दिक पटेल की करें तो पाटीदार अनामत आंदोलन समिति बना कर पाटीदार आंदोलन शुरू करने के बाद उनकी साख दांव पर थी। गुजरात में केशुभाई पटेल के बाद हार्दिक को पटेलों का विकल्प माना गया। हार्दिक खुद तो चुनाव नहीं लड़े लेकिन कांग्रेस का समर्थन किया। राज्य में कांग्रेस के साथ उनके गठबंधन ने चुनाव को दिलचस्प बना दिया।

क्या पहले जैसा होगा चुनाव

क्या पहले जैसा होगा चुनाव

ऐसे में अब जबकि कांग्रेस को हराकर गुजरात में भाजपा छठीं बार सरकार बनाने जा रही है तो उन्हें अपनी हैसियत बचाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी पटेल आंदोलन को बचाना होगा। दरअसल, हार के बाद पाटीदारों में आरक्षण के लिए दोबारा पहले सरीखा समर्थन हासिल करना कठिन हो सकता है। आंदोलन की शुरुआत और फिर चुनाव के बीच में ही आपसी नेतृत्व का संकट शुरू हो गया था। ऐसे में हार के बाद पहले जैसा समर्थन पाना मुश्किल होगा।

जिग्नेश मेवानी क्या करेंगे?

जिग्नेश मेवानी क्या करेंगे?

तिकड़ी में दूसरे शख्स हैं जिग्नेश मेवाणी। दलित आंदोलन के जरिए राज्य की राजनीति में उभरे मेवाणी कांग्रेस में शामिल तो नहीं हुए लेकिन बनासकांठा स्थित वडगांव सीट से चुनाव लड़ा। मेवाणी की अपील पर कांग्रेस ने कोई प्रत्याशी नहीं खड़ा किया। मेवाणी ने अपनी सीट पर चुनाव तो जीत लिया लेकिन अब उनके सामने संकट यह है कि वो अपने दलित आंदोलन को कैसे दिशा देंगे। उन पर अपने आंदोलन को संगठित रखने की जिम्मेदारी होगी।

अल्पेश अब कांग्रेस में

अल्पेश अब कांग्रेस में

इस तिकड़ी में आखिरी लेकिन महत्वपूर्ण शख्स अल्पेश ठाकोर ने पाटीदारों के आरक्षण का विरोध किया और ओबीसी एकता मंच बनाया। ठाकोर, जिग्नेश के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ राजनीति खड़ा करने की कोशिश की लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान ही अल्पेश कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने राधनपुर सीट से चुनाव जीता। दरअसल ठाकोर, हार्दिक की खिलाफत कर रहे हैं ऐसे में कांग्रेस में रह कर उनकी खुद की राजनीति प्रभावित हो सकती है।

आगे क्या होगा?

आगे क्या होगा?

अब जबकि कांग्रेस चुनाव हार चुकी है। हालांकि तीनों का कांग्रेस के साथ बने रहना उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। हालांकि मुश्किल यह है कि अल्पेश, हार्दिक के आंदोलन का विरोध करते हैं। तो क्या हार्दिक और अल्पेश एक ही दल के साथ रह सकते हैं, यह आगे देखना होगा। वहीं जिग्नेश ने एक टीवी चैनल से 17 दिसंबर को दिए साक्षात्कार में कहा था कि वो अगर जीतते हैं तो सरकार किसी भी रहे विपक्ष में ही रहेंगे।

2 विधानसभा में 1 बाहर

2 विधानसभा में 1 बाहर

अब अल्पेश और जिग्नेश चुनाव जीत कर विधानसभा मेें रहेंगे तो हार्दिक बाहर रहेंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव के दौरान कांग्रेस के साथ मंच साझा कर रहे तीनों नेता आगे समन्वय कैसे बनाएंगे?

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English summary
gujarat assembly election 2017:Future of hardik patel,jignesh mewani and alpesh thakor
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