बॉर्डर पर तनाव को कम करने के लिए मोदी-जिनपिंग ने सेनाओं को दिए ये निर्देश
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच पिछले दिनों सेंट्रल चीन के वुहान में मुलाकात हुई। दोनों की इस मुलाकात के बाद चीन और भारत की सेना को नए निर्देश जारी किए गए हैं। इन निर्देशों के तहत बॉर्डर के आसपास के इलाकों में शांति और स्थिरता को बरकरार रखना है।
नई दिल्ली। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच पिछले दिनों सेंट्रल चीन के वुहान में मुलाकात हुई। दोनों की इस मुलाकात के बाद चीन और भारत की सेना को नए निर्देश जारी किए गए हैं। इन निर्देशों के तहत बॉर्डर के आसपास के इलाकों में शांति और स्थिरता को बरकरार रखना है। एनडीटीवी ने भारतीय सेना के सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि बॉर्डर से सटे इलाकों में सेना को आक्रामक गश्त से बचने के लिए कहा गया है।आपको बता दें कि पिछले वर्ष जून में दोनों देशों की सेनाएं डोकलाम विवाद के बाद आमने-सामने थीं। 73 दिनों के तनाव के बाद जाकर सेनाएं पीछे हटी थीं।
लद्दाख में हुई बॉर्डर पर्सनल मीटिंग
सूत्रों की ओर से जो जानकारी दी गई है उसके तहत, 'डोकलाम विवाद के बाद दोनों ही पक्ष काफी सतर्क है। हम किसी भी तरह से कुछ ऐसा नहीं करना चाहते हैं जिसके बाद मामला अगले स्तर पर पहुंच जाए।' पिछले वर्ष जून में उस समय चीन और भारत की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं जब चीनी सेना ने डोकलाम में सड़क निर्माण का काम शुरू किया था। यह विवाद 73 दिन के बाद अगस्त में जाकर खत्म हो सका था। लद्दाख के चुशुल में बुधवार को बॉर्डर पर्सनल मीट (बीपीएम) हुई है जिसमें दोनों देशों की सेनाओं के अधिकारी मौजूद थे। यह मीटिंग डोकलाम विवाद के बाद पहली बार हुई थी। इस मीटिंग में सैनिकों के परिवार वाले भी बॉर्डर के इस तरफ आए थे।
पिछले दिनों वुहान में मिले मोदी-जिनपिंग
भारत और चीन दोनों ही इस बात पर सहमत हुए हैं कि अगर द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना है तो फिर बॉर्डर पर शांति और स्थिरता को बरकरार रखना काफी जरूरी है। इसके अलावा दोनों ही देशों ने बॉर्डर पर तनाव को कम करने की बात पर भी रजामंदी जाहिर की है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम मोदी की ओर से अपने-अपने देशों की सेनाओं को रणनीतिक निर्देश दिए गए हैं। इन निर्देशों का मकसद संपर्क को मजबूत करना और आपसी भरोसे का निर्माण करना है। दोनों नेता पिछले शुक्रवार को वुहान में दो दिनों की एक अनौपचारिक मुलाकात के लिए मिले थे। सूत्रों की ओर से जो जानकारी दी गई है कि सेनाओं को 'आक्रामक पेट्रोलिंग से बचने' और 'किसी भी तरह के शारीरिक संपर्क' से भी बचने की सलाह दी गई है।
बैनर के जरिए करेंगे चीनी सैनिकों को आगाह
इसके अलावा भारतीय सैनिक विवादित हिस्से में बैनर ड्रिल का पालन करेंगे। इस ड्रिल के तहत अगर ऐसी किसी भारतीय सीमा में चीनी सैनिक दाखिल होते हैं जहां पर किसी भी तरह का कोई लैंडमार्क नहीं है तो फिर उन्हें बैनर के जरिए चीनी सैनिकों को इस बारे में आगाह करना होगा। बैनर पर जो मैसेज लिखा होगा वह इंग्लिश और चीन की मैंड्रिन भाषा में लिखा होगा। इस प्रक्रिया के तहत दोनों देशों के सैनिकों के बीच किसी भी तरह के टकराव को रोकना है। इसके साथ ही लोकल कमांडर्स को भी मौके की नजाकत को समझते हुए सतर्क रहना होगा।
शुरू होगी दोनों देशों के बीच हॉटलाइन सर्विस
भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों की सेनाओं के बीच टेलीफोन हॉटलाइन की शुरू की जाएगी। भारत और चीन इस बात पर राजी हैं कि भारतीय सेना और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना आर्मी (पीएलए) के बीच डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) स्तर की हॉटलाइन शुरू की जाएगी। चीन और भारत की सेनाएं एक-दूसरे पर एलएसी पर तनाव को बढ़ाने का आरोप लगाते रहते हैं। भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर का है जो अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से होकर गुजरता है।
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