जीएसटी काउंसिल: GSTN बनी सरकारी कंपनी, कैशलेस लेनदेन पर 2 फीसदी की छूट
केंद्र के पास जीएसटीएन की 50 फीसदी हिस्सेदारी और राज्यों के पास सामूहिक रूप से इसकी 50 फीसदी हिस्सेदारी रहेगी
नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक में जीएसटीएन को सरकारी कंपनी बनाने पर फैसला हुआ है। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने जीएसटीएन में केंद्र और राज्यों की मौजूदा 49 फीसदी हिस्सेदारी को बढ़ाकर 51 फीसदी से अधिक किए जाने का ऐलान किया। जीएसटी से जुड़े आंकड़े संवेदनशील होने के नाते जीएसटीएन को सरकारी नियंत्रण में रखने का फैसला लिया गया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ इस बैठक में फाइनेंस सेक्रेट्री हसमुख अधिया भी उपस्थित थे। वित्त सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि जीएसटी के लिए एकल मासिक रिटर्न की नई प्रणाली छह महीने में लागू होगी।
वित्त मंत्री जेटली ने कहा, जीएसटीएन ढांचे पर विस्तृत चर्चा हुई। जीएसटीएन का 49 प्रतिशत हिस्सा सरकार के पास रहेगा जबकि 51 प्रतिशत हिस्सेदारी अन्य कंपनियों के पास रहेगी। मैंने सुझाव दिया है कि समय के साथ इस 51 प्रतिशत हिस्सेदारी को सरकार ले ले और बाद में इसे राज्यों और केंद्र के बीच बराबर हिस्से में बांट दिया जाए।
जीएसटी काउंसिल की बैठक की मुख्य बातें
- केंद्र के पास जीएसटीएन की 50 फीसदी हिस्सेदारी और राज्यों के पास सामूहिक रूप से इसकी 50 फीसदी हिस्सेदारी रहेगी।
- जीएसटी परिषद ने जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) को सरकारी कंपनी बनाने की मंजूरी दी। सरकार जीएसटीएन में निजी इकाइयों से 51 फीसदी हिस्सेदारी लेगी।
- कैशलेस लेनदेन करने वालों को 2 फीसदी की छूट मिलेगी। यह छूट अधिकतम 100 रुपये की होगी।
- चीनी उत्पादकों पर सेस लगाने पर विचार किया जाएगा। इसके लिए मंत्रियों के एक समूह बनाने पर सहमति बनी है।
- बैठक के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि जीएसटी के पहले साल में जीएसटी कलेक्शन बहुत अच्छा रहा।
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