लॉकडाउन के चलते सरकार को अप्रैल और मई के GST कलेक्शन में झेलना पड़ सकता है भारी नुकसान
नई दिल्ली। देशव्यापी लॉकडाउन का बुरा प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। देशबंदी की वजह से व्यापार बंद बड़े है जिस वजह से केंद्र सरकार को मिलने वाले टैक्स में भारी कमी आई है। एक अनुमान के मुताबिक अप्रैल और मई के महीने में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) कलेक्शन में भारी गिरावट की संभावना है। मार्च में माल की ढुलाई में 30 फीसदी की कमी आई वहीं, अप्रैल में यह 80 प्रतिशत कर नीचे आ गया है। इस महीने इलेक्ट्रॉनिक परमिट (ई-वे बिल) की संख्या में कमी आर्थिक रूप से गिरावट को दर्शाती है।
गुड्स एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) से उपलब्ध डेटा के मुताबिक 27 अप्रैल तक कुल व्यवसायों ने महीने में केवल 6.7 मिलियन ई-वे विल उत्पन्न किए जबकि पिछले महीने मार्च में यह 40.6 मिलियन था। अप्रैल में जनरेट किए गए ई-वे बिल में 83% से अधिक की गिरावट का असर मई में होने वाले जीएटी कलेक्शन पर प्रभाव डालेगा। बता दें कि मोदी सरकार ने मार्च में 97,597 करोड़ रुपये का GST कलेक्शन किया है।
मालूम हो कि हर महीने लेनदेन से संबंधित जीएसटी रिटर्न फाइल करने के लिए उद्योगपतियों के पास अगले महीने की 20 तारीख तक का समय है। देशव्यापी लॉकडाउन के कारण आर्थिक मोर्चे पर पड़ा प्रभाव इस बात को दर्शाता है कि मई में जीएसटी कलेक्शन उम्मीद से काफी कम रहने वाला है। बता दें कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए पूरे देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है। मार्च की बिक्री पर लॉकडाउन का असर अप्रैल में होने वाले जीएसटी संग्रह में देखने को मिलेगा जो 1 मई तक देश के सामने आएगा। बता दें कि मार्च से पहले लगातार चार महीने तक सरकार को जीएसटी कलेक्शन में 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मिला था।
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