ग्राउंड रिपोर्टः 'नीरव मोदी ने धोखे से ले ली हमारी ज़मीन'
नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के बाद से फ़रार हैं. उनकी कंपनी ने अहमदनगर के इन गांवों में 85 एकड़ ज़मीन खरीदी थी. इसमें से 37 एकड़ ज़मीन नीरव मोदी के नाम पर खरीदी गई थी और 48 एकड़ फायरस्टोन ट्रेडिंग लिमिटेड कंपनी के नाम पर खरीदी गई. नीरव मोदी ही इस कंपनी के निदेशक हैं. अहमदनगर के तीन गांवों के किसानों का आरोप है कि नीरव मोदी ने धोखे से उनकी ज़मीन हथिया ली.
"जिस गांव में सरकारी बस सेवा तक नहीं पहुंची, ऐसे इलाके में नीरव मोदी पहुंच गया और हमारे साथ धोखा किया. हमें अपनी पुश्तैनी ज़मीन कौड़ियों के भाव बेचनी पड़ी. हम नीरव मोदी के लोगों की बातों में आ गए और अब मुसीबत झेल रहे हैं."
ये शिकायत करने वाले पोपटराव माने महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले के खंडाला गांव में किसान हैं. सिर्फ पोपटराव ही नहीं जो ऐसा कह रहे हैं. उनके जैसे कई और किसान खंडाला के अलावा ज़िले के गोयकरवड़ा और कापरेवड़ी गांवों में भी हैं. बीबीसी ने इन गांवों में जाकर किसानों की बात सुनी.
नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के बाद से फ़रार हैं. उनकी कंपनी ने अहमदनगर के इन गांवों में 85 एकड़ ज़मीन खरीदी थी. इसमें से 37 एकड़ ज़मीन नीरव मोदी के नाम पर खरीदी गई थी और 48 एकड़ फायरस्टोन ट्रेडिंग लिमिटेड कंपनी के नाम पर खरीदी गई. नीरव मोदी ही इस कंपनी के निदेशक हैं.
फ़िलहाल ये ज़मीन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कब्ज़े में है. पोपटराव और बाकी किसान आरोप लगा रहे हैं कि उनसे ये ज़मीन बेहद कम दामों में खरीदी गई थी और अब उन्हें वापस मिलनी चाहिए.
'हमें कहा कि ज़मीन का अधिग्रहण होगा'
पोपटराव बताते हैं, "इस इलाके में खेती ही होती है. हम ज्वार और दालें उगाते थे. किसी और रोज़गार की संभावना यहां है नहीं क्योंकि ये इलाका सूखाग्रस्त है. हम अपने खाने के लिए फसल उगाते थे और जो बच जाता था उसे मंडी में बेच आते थे. मैंने 12 एकड़ में से सात एकड़ ज़मीन बेच दी. अब पांच एकड़ में पर्याप्त फसल नहीं हो पाती."
खुद 70 साल के पोपटराव अपनी बूढ़ी मां, पत्नी, दो बेटों और बहुओं के साथ रहते हैं.
पोपटराव के बेटे संतोष ने बताया, "हम 2007 तक आराम से यहां खेती कर रहे थे. कुछ लोग पुणे से हमारे गांव आए और कहने लगे कि हमारी ज़मीन बर्ड सेंक्चयूरी बनाने के लिए ले ली जाएगी. इसलिए हमने आनन-फ़ानन में ज़मीन उनके बताए दामों पर बेच दी. हमने सात एकड़ ज़मीन 10 हज़ार प्रति एकड़ के दाम पर बेच दी. आज 11 साल हो गए लेकिन कोई बर्ड सेंक्चयूरी तो बनी नहीं. उन लोगों ने वो ज़मीन नीरव मोदी और उसकी कंपनी के नाम कर दी."
"जब नीरव मोदी का नाम पीएनबी घोटाले में आया तो हमें पता चला कि हमारे साथ भी धोखा हुआ है. हमें हमारी ज़मीन वापस चाहिए."
'देश को लूटा और हमें भी'
खंडाला के एक और किसान बबन टकले ने हमें बताया, "नीरव मोदी ने देश को लूटा और उसी ने हमसे भी धोखे से हमारी ज़मीन सस्ते में ले ली. धरती हमारे लिए मां है और दुख ये है कि ये गलत हाथों में गई."
बबन के परिवार में उनकी पत्नी, बेटे-बहू और पोते-पोती हैं.
वो आगे बताते हैं, "मैंने तो अपनी साढे चार एकड़ ज़मीन इसी डर से बेच दी कि बर्ड सेंक्चयूरी के लिेए सरकार अधिग्रहण कर लेगी. बेच कर जो पैसे मिले, उससे अपनी बेटियों की शादी कर दी. अब मेरे पास कोई ज़मीन नहीं है और मैं मज़दूरी करता हूं."
पोपटराव और बबन की तरह ही कई और किसानों की कहानी है.
खंडाला गांव के सरपंच नवनाथ पंधारे ने बीबीसी को बताया, "इस ज़मीन पर ग्राम पंचायत की इजाज़त से एक सोलर प्लांट भी बनाया गया. लेकिन 2011 से अब तक ग्राम पंचायत को इसके लिए कोई टैक्स नहीं मिला है."
ये प्लांट भी अब प्रवर्तन निदेशालय के कब्ज़े में है.
किसानों को चाहिए अपनी ज़मीन
इन तीनों गांव के किसान अपनी ज़मीन वापस पाने को लेकर काफ़ी गुस्से में हैं. कुछ दिन पहले किसानों ने ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश भी की. किसानों का कहना है कि वे अपना विरोध जारी रखेंगे.
बीबीसी ने इस मामले पर प्रशासन से भी प्रतिक्रिया ली.
इस इलाके के तहसीलदार ने बीबीसी से कहा, "किसान अपनी ज़मीन वापस चाहते हैं लेकिन ये विवादित ज़मीन अब प्रवर्तन निदेशालय के नियंत्रण में है."
बीबीसी ने नीरव मोदी की कंपनी से भी बात करने की कोशिश की. हमने फायरस्टोन ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड की अधिकारिक मेल आईडी पर अपने सवाल भेजे. लेकिन ये आईडी अब सक्रिय नहीं है.
इसके बाद नीरव मोदी के वकील विजय अग्रवाल से इस मामले पर बात की तो उन्होंने कहा कि वो इसके बारे में नहीं जानते हैं.