GROUND REPORT: अमित शाह की बाइक रैली का आँखों देखा हाल
भारत माता की जय, वंदे मातरम और बीच-बीच में जय श्रीराम के नारे की गूंज.
गुरुवार को हरियाणा के जींद में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैली में ये नारे थोड़ी-थोड़ी देर में सुनाई पड़ते रहे.
दोपहर बाद अमित शाह हेलिकॉप्टर से उतरे और हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला के साथ बुलेट पर बैठकर रैली स्थल तक पहुँचे.
भारत माता की जय, वंदे मातरम और बीच-बीच में जय श्रीराम के नारे की गूंज.
गुरुवार को हरियाणा के जींद में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैली में ये नारे थोड़ी-थोड़ी देर में सुनाई पड़ते रहे.
दोपहर बाद अमित शाह हेलिकॉप्टर से उतरे और हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला के साथ बुलेट पर बैठकर रैली स्थल तक पहुँचे.
ये दोनों नेता पिछले दिनों अपने बेटों को लेकर चर्चा में रहे हैं. अमित शाह के बेटे जय शाह जहाँ अपनी रिकॉर्ड कमाई की वजह से चर्चा में रहे, वहीं बराला के बेटे विकास एक वरिष्ठ अधिकारी की बेटी का पीछा करने की वजह से जेल गए और कुछ ही दिन पहले छूटे हैं.
जींद की रैली को लेकर दावा किया गया था कि इसमें एक लाख मोटर साइकिलें आएँगी लेकिन रैली मैदान देखकर ऐसा लगा नहीं.
सियासी शो देखने के अभ्यस्त लोग
भाजपा देश की सबसे अमीर पार्टी है. उनकी मोटरसाइकिल रैली में बुलेट बाइक की गड़गड़ाहट और हेलिकॉप्टर के आने से उड़ी धूल, जो लोगों के चेहरों पर बैठ रही थी, उसे देखकर साफ़ महसूस हुआ कि रैली में मौजूद जनसमूह इन तौर-तरीक़ों से हैरान नहीं था.
मैदान पर ऐसा लगा कि ये लोग इस किस्म की सियासी शो देखने के अभ्यस्त हैं.
भाजपा की इस रैली में हर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी नेताओं को एक हज़ार से ज़्यादा मोटरसाइकिल लाने की ज़िम्मेदारी दी गई थी.
रैली में झज्जर से आए एक नौजवान, रामवीर सिंह ने कहा कि उन्हें पेट्रोल और खाने के पैसे मिले हैं.
'एक अलग किस्म की रैली'
क्या भाजपा को हरियाणा में बाइक पर चलने वाले युवाओं की ही ज़रूरत है? अगर रैली स्थल तक अमित शाह बुलेट बाइक की जगह साइकिल पर पहुंचते तो तस्वीर कैसी होती?
इस सवाल के जवाब में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने सिर्फ़ इतना कहा कि कई तरह रैलियां उनकी पार्टी करती है. ये इस मामले में एक अलग किस्म की रैली थी.
उन्होंने कहा कि भाजपा ट्रैक्टर रैली भी करती है. ज़ाहिर है, ट्रैक्टर और मोटरसाइकिल रखने की हैसियत हरियाणा और हिन्दुस्तान में सबकी नहीं है.
अमित शाह या मोदी की रैलियों में कौन लोग आते हैं? रैली स्थल पर जमा लोगों को ध्यान से देखें तो पाएंगे कि लोगों के बदन पर साफ़ कपड़े होते हैं. पांव में जूते. बाल बनाने का भी एक-सा अनुशासन. इनके बैठने के लिए कुर्सियां होती हैं. इनके मन में राष्ट्र, धर्म, क्षेत्र और जातीय अस्मिता का एक स्थायी भाव होता है. इन्हें देखने पर क़तई नहीं लगता कि ये लोग किसी तरह 'कमज़ोर' हैं.
जाटों ने दी थी चेतावनी
गुरुवार को अमित शाह की रैली में जो दीन-हीन दिख रहे थे वो मैदान से बाहर किसी कोने में सिमटे हुए थे. सब कुछ हैरानी से देख रहे थे. चंदा देवी भी उन्हीं में से एक थीं. उनसे पूछा कि किसकी रैली है तो उन्होंने कहा कि मोदी की.
वो आगे बोलीं, ''मोदी बोलकर चला गया. हम ग़रीबों को कुछ फ़ायदा नहीं मिला.''
मायावती और लालू यादव की रैली में आए लोग और मोदी-शाह की रैली में आए लोगों को ध्यान से देखें तो अंतर साफ़ पता चलता है.
ऑल इंडिया जाट आरक्षण समिति ने शाह की मोटर साइकिल रैली को 50 हज़ार ट्रैक्टरों से रोकने की चेतावनी दी थी. इस चेतावनी से प्रदेश की भाजपा सरकार हरक़त में आई और साल 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के समय जाटों के ख़िलाफ़ दर्ज हुईं क़रीब 70 एफ़आईआर वापल लेने का ऐलान कर दिया.
सरकार की इस घोषणा के साथ ही जाटों के इस संगठन ने अपनी चेतावनी वापस ले ली.
हत्याओं पर ख़ामोशी
जींद की रैली में बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस के पास कलेजा और हिम्मत नहीं है कि वो भाजपा सरकार से आंदोलन के दौरान हुई रोहतक में हुई हिंसा पर हिसाब माँगे लेकिन उन्होंने अपनी सरकार के कलेजे और हिम्मत के बारे में ये नहीं बताया कि हिंसा को लेकर उनकी सरकार और प्रशासन पर जो आरोप लगे उसके बारे में उन्होंने क्या किया?
अमित शाह ने रैली में मनोहर लाल खट्टर सरकार को भ्रष्टाचार मुक़्त सरकार कहा लेकिन उन हत्याओं पर ख़ामोश रहे जो पिछले साल अगस्त में गुरमीत सिंह राम रहीम की गिरफ़्तारी के बाद हुईं. प्रदेश की क़ानून व्यवस्था चौपट होने की वजह से राम रहीम के समर्थकों की हिंसा में 30 लोगों की जान गई.
हरियाणा में पिछले कुछ महीनों में हत्या और बलात्कार की वारदातों में काफ़ी तेज़ी आई है जिसके लिए खट्टर सरकार को आलोचना झेलनी पड़ी है.
हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में आइएएस अधिकारी अशोक खेमका के तबादले को भ्रष्टाचार की मिसाल के तौर पर पेश किया जाता था लेकिन खट्टर की सरकार में भी उनका तबादला नहीं थमा है.
कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद राजकुमार सैनी ने अमित शाह की इस रैली का बहिष्कार किया. माना जा रहा है कि वो अगले कुछ दिनों में ही भाजपा का साथ छोड़ सकते हैं.
2016 के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक़, आबादी के अनुपात में हरियाणा में सबसे ज़्यादा गैंगरेप की वारदातें हुई हैं. पिछले महीने ही एक दलित लड़की की गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई थी. उसका शव जींद में ही मिला था.
रैली में ट्रैफ़िक नियमों पर छूट थी क्या?
मोदी सरकार में मंत्री कृष्णपाल गुर्जर से पूछा गया कि रैलियों की तरह भाजपा ऐसी गोलबंदी इन ज़ुल्मों के ख़िलाफ़ क्यों नहीं कर रही? तो उनका जवाब था, ''ऐसा नहीं है. क़ानून-व्यवस्था पर मनोहर जी का पूरा ध्यान है. अन्याय किसी के साथ हो, मनोहर लाल की सरकार में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.''
हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु से पूछा कि क्या रैली के लिए ट्रैफ़िक नियमों में छूट दी गई है? रैली में आ रहे मोटरसाइकिल सवारों के सिर पर हेलमेट नहीं हैं. तो उन्होंने कहा कि उनके साथ जो आए हैं उन्होंने पहन रखा था. जब उनके पूछा गया कि क्या सबके पास ड्राइविंग लाइसेंस था, तो वे इस सवाल को टाल गए.
हरियाणा में भाजपा 4 विधायकों से 47 तक पहुंची है. इन 47 विधायकों में जाट विधायक महज पांच हैं, लेकिन सरकार पर जाटों का प्रभाव कम नहीं हुआ है. बीजेपी ने ग़ैर जाट मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया है. अब तक जाट विपक्षी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल और कांग्रेस के साथ रहे हैं.
भाजपा ने ग़ैर जाट वोटों को अपने साथ करने में कामयाबी हासिल की है. हरियाणा में भाजपा के भीतर एक तबक़ा वो है जिन्हें लगता है कि भाजपा भी जाटों के प्रभाव की उपेक्षा नहीं कर सकती. कैप्टन अभिमन्यु वित्त मंत्री हैं, जाट हैं. साथ ही सुभाष बराला प्रदेश अध्यक्ष हैं, वो भी जाट हैं.
जब अमित शाह ने लोगों को उठते देखा...
अमित शाह ने लोगों से कहा कि देश में शहीदों की सूची बनाई जाए तो हरियाणा के लोगों के नाम सबसे ज़्यादा होंगे.
वो मोदी शैली में लोगों से पूछते रहे कि ऐसा है कि नहीं है. लोगों की ठंडी प्रतिक्रिया आई तो उन्होंने कहा कि ऐसा बोलो कि त्रिपुरा में मोदी जी रैली कर रहे हैं और उन तक आवाज़ जाए.
शाह के संबोधन के बीच से ही लोग कुर्सी से उठने लगे. इसे अमित शाह ने भी देखा होगा. उन्होंने भी अपना भाषण 20 मिनट के भीतर समाप्त कर दिया.
ऐसा लगा कि रैली में लोगों को अहसास हो गया कि अब भाषण ख़त्म होने वाला है या अमित शाह को महसूस हुआ कि अब लोग सुनने के मूड में नहीं है. और एक बार फिर से भारत माता का जयकारा लगा. उसके बाद रैली ख़त्म.