एयर इंडिया बेचेगी सरकार, नए खरीदार को 23,286.5 करोड़ रुपये के कर्ज की लेनी होगी जिम्मेदारी
नई दिल्ली। सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार ने बोलियां मांगी हैं। इसकी आखिरी तारीख 17 मार्च 2020 है। इसके साथ ही सरकार ने सब्सिडियरी कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस और एयरपोर्ट सर्विस कंपनी AISATS को भी बेचने के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। एयर इंडिया के निजीकरण के लिए 7 जनवरी को ही गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने एक मंत्री समूह ने निजीकरण से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
भारत सरकार की तरफ से जारी दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि बोली लगाने वाले किसी भी व्यक्ति को अन्य देनदारियों के साथ, एयर इंडिया के लगभग 23,286.5 करोड़ रुपये के कर्ज को चुकाने पर अपनी सहमति जतानी होगी। बकाया कर्ज एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग लिमिटेड (AIAHL) को आवंटित कर दिया जाएगा। पिछले साल 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की बात कही गई थी लेकिन बात नहीं बन पाई। जिसके बाद इस बार सरकार ने पूरी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है। साथ ही शर्तों में भी ढील दी गई है।
इस बार शर्त के अनुसार बोली लगाने वाले के पास कम से कम 3500 करोड़ रुपये की संपत्ति होना जरूरी है। इससे पहले संपत्ति 5000 करोड़ रुपये तय की गई थी। साथ ही एक अन्य शर्त ये थी कि खरीदार को कुल 33,392 करोड़ रुपये के कर्ज की जिम्मेदारी लेनी होगी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एयर इंडिया पर 60 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है।
बता दें एयर इंडिया लंबे समय से घाटे में चल रही है। इसे 2018-19 में 8,556.35 करोड़ रुपये का घाटा (प्रोविजनल) हुआ। यही वजह है कि सरकार एयर इंडिया को बेचना चाहती है। मार्च तक बिक्री प्रक्रिया पूरी करने की योजना है। वहीं सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान भी कहा था कि संकट के दौर से गुजर रही एयर इंडिया को अगर कोई नया खरीदार नहीं मिला तो इसे बंद करना पड़ सकता है। इसके पीछे की एक वजह ये भी है कि छोटी-छोटी पूंजीगत व्यवस्था की मदद से कंपनी का परिचालन जारी रखना मुश्किल हो रहा है।
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