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हिंदी की अनिवार्यता पर 'हिंदी भाषा अनिवार्य' करने पर बवाल, अब सरकार उठाया ये बड़ा कदम

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नई दिल्ली। गैर-हिंदीभाषी राज्यों में हिन्दी की अनिवार्यता पर विरोध के बाद केंद्र सरकार ने कदम पीछे खींच लिए हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी ड्राफ्ट पर कहा है कि छात्र जो भाषा चाहें, पढ़ने के लिए आजाद हैं। किसी भी भाषा को जरूरी नहीं बनाया जाएगा। छात्र तीन भाषाओं में अपनी मर्जी से भाषा चुन सकेंगे। इसमें हिन्दी भाषा की अनिवार्यता नहीं होगी। जो छात्र तीन भाषाओं में कोई दो भाषा चुनना चाहते हैं वो छठीं या सातवीं कक्षा में चुन सकते हैं।

Govt revises draft education policy after outrage over Hindi imposition

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर के कस्तूरीरंगन समिति ने बीते बफ्ते केंद्र सरकार को सौंपे अपने ड्राफ्ट में त्रिभाषा फार्मूले को लागू करने का सुझाव दिया। इस मसौदे में क्लास 8 तक हिंदी अनिवार्य किए जाने की सिफारिश की गई है। इस दक्षिण भारत के राज्यों में कड़ा विरोध हो रहा है।

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केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने तीन भाषाओं वाले ड्राफ्ट को लेकर इससे पहले कहा, हमें नई शिक्षा नीति का मसौदा प्राप्त हुआ है। इस पर विभिन्न पक्षकारों की राय ली जायेगी, उसके बाद ही लागू करने को लेेकर फैसला होगा।इसे लेकर बेवजह राजनीतिक विवाद पैदा किया जा रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिए, यह तो केवल मसौदा है। हमारी सरकार, सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करती है और हम सभी भाषाओं के विकास को प्रतिबद्ध है। किसी प्रदेश पर कोई भाषा नहीं थोपी जाएगी। यही हमारी नीति है, इसलिए इस पर विवाद की जरूरीत नहीं है। सरकार के दूसरे मंत्रियों ने भी साफ किया है कि हिन्दी को थोपा नहीं जाएगा।

इस ड्राफ्ट को लेकर तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों से विरोध की आवाजें उठी हैं। द्रमुक के राज्यसभा सांसद तिरुचि सिवा और मक्कल नीधि मैयम नेता कमल हासन ने इसे लेकर विरोध जाहिर किया है। तिरूचि सिवा ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि हिंदी को तमिलनाडु में लागू करने की कोशिश कर केंद्र सरकार आग से खेलने का काम कर रही है। बीजेपी के सहयोगी एआईएडीएमके के नेताओं ने भी अब इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विरोध दर्ज कराया है।

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने इस मामले पर खुली चेतावनी देते हुए कहा कि हिंदी हमारी मातृ भाषा नहीं है, इसे हमपर थोपकर हमे उकसाएं नहीं। मनसे के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पार्टी के प्रवक्ता अनिल शिदोरे ने कहा कि हिंदी को हम पर थोपा ना जाए। पश्चिम बंगाल के शिक्षा जगत से जुड़े लोगों और लेखकों ने भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे का विरोध किया। इन लोगों ने कहा कि किसी भी भाषा को थोपने के प्रयास का चौतरफा विरोध किया जाएगा।

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English summary
Govt revises draft education policy after outrage over Hindi imposition
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