तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में सरकार बोली- इसे राजनीतिक चश्मे से न देखें
नई दिल्ली। लोकसभा से पास होने के बाद तीन तलाक बिल मंगलवार को राज्यसभा में पेश किया है। बिल को पेश करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए सरकार ये बिल लेकर आई है। इसे राजनीतिक परिदृश्य से न देखा जाए। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से तीन तलाक पर बैन लगाने के बाद इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी सामने आए सैकड़ों केस
रविशंकर प्रसाद ने सदन में बिल पर अपनी बात रखते हुए कहा कि एक बार में तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 574 केस सरकार की नजर आए हैं। इसके अलावा जब तीन तलाक को अपराध मानने वाले सरकार के आखिरी अध्यादेश के बाद 101 केस सामने आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद भी तीन तलाक देने के मामलों में कमी नहीं आई। इसी लिए हम यह कानून लेकर आ रहे हैं। ताकि कानून के जरिए इसका निवारण किया जाए।
इसे वोट बैंक के तराजू पर न तौला जाए
उन्होंने सदन के सभी सदस्यों से इस बिल का समर्थन करने और इसको पास कराने की अपील की। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को बिल में कुछ खामियां लगी, उन्हें लगा इसका दुरुपयोग हो सकता है तो हमने इसमें बदलाव किए। अब इसमें बेल और समझौता का प्रावधान भी रखा गया है। इसलिए इसे वोट बैंक के तराजू पर न तौला जाए, यह सवाल नारी न्याय, नारी गरिमा और नारी उत्थान का सवाल है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस तरीके से जब हम सबको लेकर चलने की बात करते हैं। तब कुछ लोग आज कहते हैं कि आपने क्या किया।
विपक्षी नेताओं ने भी रखी अपनी बात
वहीं पत्नी को मजिस्ट्रेट के सामने लाने वाले सवाल का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक की सबसे अधिक पीड़ित महिलाएं गरीब घर की है। इसलिए इसमें बेल का भी प्रावधान रखा गया वही इस बिल पर कई विपक्षी नेताओं ने भी अपनी बात रखी है। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह कानूनन राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं। इसलिए अल्पसंख्यक अपने आप में लड़ने में व्यस्त हैं। पति और पत्नी एक दूसरे के खिलाफ वकील करेंगे और वकील को पैसे देंगे। सजा खत्म होने तक वे कंगाल हो चुके होंगे।
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