केंद्र सरकार ने HCQ को लेकर जारी की एडवाइजरी, हेल्थ वर्करों को दवा लेने की दी इजाजत
नई दिल्ली। भारत में स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना से बचाव के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (HCQ) के इस्तेमाल की अनुमति मिली हुई है। भारत सरकार ने गुरुवार को इसके इस्तेमाल को लेकर जारी एडवाइजरी में बदलाव करते हुए इसका दायरा बढ़ा दिया। अब एसिम्प्टमेटिक हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर को भी दवाई लेने को कहा गया है। सरकार ने एम्स की तरफ से कोविड-19 के लिए गठित नेशनल टास्क फोर्स द्वारा एचसीक्यू के सुरक्षित इस्तेमाल के नतीजों की समीक्षा के बाद यह फैसला लिया।
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एडवाइजरी में कहा गया है कि, कोरोना प्रभावित और नॉन कोरोना प्रभावित इलाकों में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारी इस दवा का उपयोग कर सकते हैं। निगरानी क्षेत्र में तैनात कर्मचारी और अर्धसैनिक / पुलिस कर्मी कोविड-19 संबंधित गतिविधियों में शामिल होने वाले कर्मी भी इस दवा का प्रयोग कर सकते हैं।इसके अलावा प्रयोगशालाओं में काम करने वाले कर्मचारियों को भी एचसीक्यू लेने की सलाह दी गई है।
Central Govt revises the advisory on the use of Hydroxychloroquine (HCQ) as prophylactic for #COVID19 infection. Govt has now expanded it to asymptomatic healthcare and frontline workers deployed in non-COVID and COVID areas. pic.twitter.com/ORsfTCxwa5
— ANI (@ANI) May 22, 2020
वहीं आईसीएमआर ने शुक्रवार को स्पष्ट कहा कि इसके इस्तेमाल पर फिलहाल रोक लगाने का कोई मंशा नहीं है। आईसीएमआर ने कहा कि कई स्टडीज से पता चला है कि, इसे लेने पर हेल्थ वर्कर्स में कोरोना संक्रमण के मामले कम देखने को मिले। काउंसिल का कहना है कि इसे डॉक्टर की सलाह पर लिए जाने की जरूरत है और इसका सेवन शुरू करने से पहले ईसीजी किया जाना जरूरी है।
उधर मशहूर पत्रिका द लैंसेट का कहना है कि कोविड-19 मरीजों के इलाज में मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल आने वाली दवा क्लोरोक्वीन और हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन से फायदा मिलने का कोई सबूत नहीं मिला है। रिसर्च का हवाला देकर दावा किया गया है कि मर्कोलाइड के बिना या उसके साथ इस दवा के लेने से कोविड-19 मरीजों की मृत्युदर बढ़ जाती है। पत्रिका ने कहा कि ताजा रिसर्च करीब 15 हजार कोविड-19 मरीजों पर की गई है।
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