इंटरनेशनल वेबिनार के लिए अब नहीं लेनी होगी मंजूरी, केंद्र ने वापस लिया अपना आदेश
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने नवंबर 2020 के अपने उस आदेश को वापस ले लिया है, जिसमें विदेशी भागीदारों के साथ ऑनलाइन क्रॉन्फ्रेंस या सेमीनार करने से पहले राजनीतिक मंजूरी लेना अनिवार्य किया गया था। इस मामले में वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने आपत्ति जताई, जिसके बाद सरकार ने यह कदम उठाया। विदेश मंत्रालय के नए आदेश के मुताबिक, 'कोरोना वायरस महामारी के दौरान 25 नवंबर 2020 को एक आदेश जारी हुआ था, जिसमें इंटरनेशनल सेमीनार, कॉन्फ्रेंस या ट्रेनिंग के लिए राजनीतिक मंजूरी जरूरी थी, अब वह मान्य नहीं है। नए आदेश में यह भी बताया गया है कि कोरोना वायरस महामारी से पहले के अन्य नियम इस मामले में लागू रहेंगे।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, 25 नवंबर 2020 को विदेश मंत्रालय की तरफ से जो आदेश जारी हुआ, उसे 15 जनवरी को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने दोहराते हुए कहा कि सभी सरकारी संस्थान और सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित संस्थानों को किसी भी ऐसे ऑनलाइन इवेंट, जिसमें विदेशी भागीदारी शामिल है, के लिए प्रशासकीय सचिव से अनुमति लेनी होगी। इसके साथ ही आदेश में यह भी कहा गया कि संस्थानों को सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह के किसी भी इवेंट का विषय देश की सुरक्षा, सीमा सुरक्षा, उत्तर-पूर्वी राज्यों, जम्मू कश्मीर, लद्दाख या किसी भी ऐसे मुद्दे से संबंधित ना हो, जो पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है।
आदेश को लेकर टॉप साइंस अकादमियों ने लिखी थी चिट्ठी
इस आदेश को लेकर देश की दो टॉप साइंस अकादमियों ने चिंता जताते हुए शिक्षा मंत्री को चिट्ठी लिखकर कहा कि इस तरह का निर्देश किसी भी खुली वैज्ञानिक चर्चा को आयोजित करने में मुश्किल खड़ी करेगा। चिट्ठी में यह भी कहा गया कि इस आदेश से भारत में विज्ञान की प्रगति में रुकावट आ सकती है। जिन दो अकादमियों ने यह चिट्ठी लिखी, वे 1500 से ज्यादा वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने नया आदेश जारी करते हुए अपने पुराने आदेश को वापस ले लिया।
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