'टुकड़े-टुकड़े गैंग' को लेकर RTI में पूछा गया सवाल, सरकार ने दिया ये जवाब
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में कहा है कि उनके पास 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' से जुड़ी कोई जानकारी नहीं है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह अकसर अपने भाषणों में टुकड़े-टुकड़े गैंग का जिक्र करते हैं। इसे लेकर कार्यकर्ता साकेत गोखले ने 26 दिसंबर को एक आरटीआई दाखिल की थी। जिसके तहत उन्होंने ये पूछा था कि गृहमंत्री ने दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में कहा था कि टुकड़े-टुकड़े गैंग को सबक सिखाने की जरूरत है। इसी के बारे में आरटीआई में जिक्र किया गया।
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'आधिकारिक रूप से मौजूद नहीं है'
इसके जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा कि उनके पास टुकड़े-टुकड़े गैंग के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है। साकेत गोखले ने इस मामले में ट्वीट किया और कहा कि 'गृह मंत्रालय ने मेरी आरटीआई का जवाब दिया है। गृह मंत्रालय के पास टुकड़े-टुकड़े गैंग की कोई जानकारी नहीं है। वो झूठे हैं। 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' आधिकारिक रूप से मौजूद नहीं है और यह अमित शाह की कल्पना का एक अनुमान मात्र है।'
गृहमंत्री से पूछा सवाल
एक अन्य ट्वीट में गोखले ने कहा कि वे अब चुनाव आयोग से मामले पर संज्ञान लेने के लिए कहेंगे। उन्होंने कहा, 'गृहमंत्री अमित शाह बताएं कि उन्होंने रैली में इस शब्द का इस्तेमाल क्यों किया या फिर वे जनता से झूठ बोलने और गुमराह करने के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगें।' आरटीआई को दाखिल करते वक्त गोखले ने कहा था कि वह ये सवाल बेहद गंभीरता के साथ पूछ रहे हैं और अगर तय अवधि (26 जनवरी तक) जवाब नहीं मिला तो वो इस मामले को मुख्य सूचना आयुक्त तक लेकर जाएंगे।
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कब से शुरू हुआ टुकड़े-टुकड़े गैंग का जिक्र
बता दें टुकड़े-टुकड़े गैंग की चर्चा पहली बार फरवरी 2016 में हुई थी। उस वक्त दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में 'देश विरोधी नारे' लगाए गए थे। नारे लगाने वालों और उनका समर्थन करने वालों के लिए 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' का तभी से इस्तेमाल किया जाता है। बीते करीब पांच साल से टुकड़े-टुकड़े गैंग साधारण बोलचाल का शब्द बन गया है, जिसका कई नेताओं ने काफी इस्तेमाल भी किया है।