वीके सिंह और सुहाग के बीच 'युद्ध', पार्रिकर ने मांगी सुहाग से जानकारी
नई दिल्ली। रिटायर्ड आर्मी चीफ और केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह और आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह सुहाग के बीच एक बार फिर से विवाद बढ़ गया है। जनरल सुहाग ने वर्ष 2012 के एक विवाद को लेकर वीके सिंह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दिया। अब सरकार दोनों के बीच जारी इस युद्ध में हस्तक्षेप करती नजर आ रही है। रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने जनरल सुहाग के साथ मीटिंग कर इस पूरे विवाद पर जानकारी मांगी है।
पढ़ें-जनरल दलबीर सिंह की लाइफ हिस्ट्री
सुहाग ने पैदा की परेशानियां
सुहाग ने वीके सिंह पर उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया है। सुहाग की ओर से दायर हलफनामे ने सरकार के सामने बड़ी ही दुविधा की स्थिति पैदा कर दी है। यह अब तक का पहला ऐसा मौका है जब एक सर्विंग आर्मी चीफ ने एक फॉर्मर आर्मी चीफ जो कि अब एक केंद्रीय मंत्री हैं, उन पर इस तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं।
क्या बताया सुहाग ने
गुरुवार को जनरल सुहाग ने रक्षा मंत्री के साथ मुलाकात की। सूत्रों की मानें तो सरकार ने उनके इस दावे को मान लिया है कि अपनी व्यक्तिगत क्षमता का प्रयोग करते हुए वह एक प्रतिक्रिया स्वरूप हलफनामा दायर करने के लिए बाध्य थे। सूत्रों ने यह जानकारी भी दी है कि रक्षा मंत्रालय का इस मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं था।
क्या था पूरा मसला
वर्ष 2012 में जब जनरल सुहाग कॉर्प्स कमांडर थे तो उस समय वीके सिंह आर्मी चीफ थे। सिंह ने जनरल सुहाग के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी। इसके बाद सुहाग ने आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल (एएफटी) में वीके सिंह के खिलाफ वैसा ही हलफनामा दायर किया था जो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया है। सुहाग ने उस समय भी कहा था वीके सिंह ने उनकी छवि खराब करने के लिए उन्हें सजा दी थी।
कैसे सुप्रीम कोर्ट पहुंचा विवाद
सुहाग ने यह आरोप उस याचिका का जवाब देते हुए वीके सिंह पर लगाए थे तो लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) रवि दस्ताने ने दायर की थी। दस्ताने, वीके सिंह पर आर्मी कमांडर के चयन के लिए भेदभाव का आरोप लगाया था।
दस्ताने ने कहा था कि वह कमांडर बनने के योग्य थे लेकिन एक और फॉर्मर आर्मी चीफ जनरल बिक्रम सिंह उनके पसंदीदा थे, इसलिए उन्हें इस पोस्ट के लिए तरजीह दे दी गई। एएफटी ने दस्ताने के आरोपों को वर्ष 2014 में खारिज कर दिया और यह मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा।