आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलने के लिए अध्यादेश लाए सरकार- पासवान
नई दिल्ली- अनुसूचित जाति-जनजातियों के नौकरी और प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले को लेकर मोदी सरकार के मंत्री रामविलास पासवान ने बड़ा बयान दिया है। पासवान ने कहा है कि सरकार को इसपर अध्यादेश लाकर इसे बदल देना चाहिए। गौरतलब है कि केंद्र सरकार पहले ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर असहमति जता चुकी है, जिसके बाद पासवान की ओर से आया ये बयान काफी अहमियत रखता है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा है कि 'अनुसूचित जातियों-जनजातियों के नौकरियों में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले में 'सुधार' करने के लिए सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए।'
Govt should bring ordinance to 'rectify' Supreme Court's recent decision on SC/ST reservation in jobs: Ram Vilas Paswan to PTI
— Press Trust of India (@PTI_News) February 14, 2020
पासवान ने इससे भी बड़ी बात ये कही है कि 'अनुसूचित जातियों-जनजातियों से संबंधित सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को संविधान की नौवीं सूची में डालना चाहिए, ताकि वे न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर रह सकें। '
All issues important for SCs/STs should be placed in Constitution's Ninth Schedule to insulate them from judicial review: Ram Vilas Paswan
— Press Trust of India (@PTI_News) February 14, 2020
बता दें कि केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय पहले ही सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर असहमति जता चुका है। मंत्रालय के मुताबिक अनुसूचित जातियों-जनजातियों को नौकरियों और प्रमोशन संवैधानिक व्यवस्था के दायरे में आता है, जिसे इधर-उधर नहीं किया जा सकता।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक 'राज्य सरकार आरक्षण देने को बाध्य नहीं है। पदोन्नति में आरक्षण का दावा कोई मौलिक अधिकार नहीं है। यह पूरी तरह से राज्य सरकारों के विवेक पर निर्भर है कि उसे एससी और एसटी को आरक्षण या पदोन्नति में आरक्षण देना है या नहीं। इसलिए राज्य सरकारें इसको अनिवार्य रूप से लागू करने के लिए बाध्य नहीं हैं।'
सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले पर सियासी बवाल मचा हुआ है और राजनीतिक दल इसको मुद्दा बनाकर मोदी सरकार पर दबाव बनाने की कोशिशों में जुटे हैं। जाहिर है कि इसी वजह से पासवान ने अपनी ही सरकार पर अदालत के फैसले को पलटने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है, जैसा कि दो साल पहले भी इसी तरह के एक मामले में हो चुका है।
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