सरकार की कोयला नीति आई काम, कम होने लगे बिजली के दाम
NTPC ने पहली बार अपनी कोयला खपत में 5.5 फीसदी तक की कटौती की है जिससे उसकी ईंधन लागत में 1.65 रुपये प्रति यूनिट की कमी लाने में मदद मिल रही है।
नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार में कोयला नीति काम करने लगी है। इसके चलते देश अब उर्जा संकट से उभरने लगा है और बिजली के दाम भी कम हो रहे हैं। वहीं कोल इंडिया कारोबार विविधीकरण योजना के तहत कोयले से रसायन बनाने के क्षेत्र में कदम रखेगी। कोयला आधारित मेथेनॉल संयंत्र स्थापित करेगी। एक अधिकारी ने बताया कि कोल इंडिया (सीआईएल) की कोयला से रसायन कारोबार में जाने की योजना है। इसके तहत कंपनी उच्च गुणवत्ता वाले कोयले को रसायन में बदलेगी।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 23, 349 करोड़ के विकल्पों को आयात किया गया है जो तेल की कीमतों को बचाने का काम करेंगी। जबसे कोयले की कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई है तबसे उर्जा उत्पादकों ने उपभोक्ताओं पर इसका भार डाल दिया है। लेकिन अब उच्च गुणवत्ता वाले कोयले को उर्जा में बदलकर इसे कम कर दिया जाएगा।
आंकड़ों के मुताबिक उर्जा स्टेशनों पर अब पहले से 8 प्रतिशत कम कोयले का प्रयोग होने लगा है। तीन से पहले एक यूनिट बिजली के लिए इससे ज्यादा कोयले की खपत होती थी। देश की सबसे बड़ी विद्युत उत्पादक कंपनी NTPC ने पहली बार अपनी कोयला खपत में 5.5 फीसदी तक की कटौती की है जिससे उसकी ईंधन लागत में 1.65 रुपये प्रति यूनिट की कमी लाने में मदद मिल रही है। लेकिन साथ ही कंपनी ने अपनी बिजली बिक्री बढ़ाकर 250 अरब यूनिट कर ली है। परिचालन में यह भारी फेरबदल लागत घटाने और अपने राजस्व को विकास की राह पर बनाए रखने के प्रयास का हिस्सा है।
इसके परिणामस्वरूप एनटीपीसी ने औसत पीएलएफ के संदर्भ में सुधार दर्ज किया है। साथ ही कंपनी 2016-17 में बिजली बिक्री के लिहाज से 250 अरब यूनिट का आंकड़ा पार करने में भी सफल रही। एनटीपीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हम संयंत्रों को उच्च प्लांट लोड फैक्टर (पीएलएफ) पर संचालित कर रहे हैं और इसमें पिटहेड प्लांट भी शामिल हैं। इसका मतलब है कि न्यूनतम परिवहन लागत के साथ संयंत्र में बेहतर गुणवत्ता वाले कोयले का इस्तेमाल किया जाता है। एनटीपीसी की सभी इकाइयों में कोयले की अदला-बदली और ईंधन आपूर्ति को तर्कसंगत बनाने पर जोर दिया गया है।'