रेमडेसिविर दवा के निर्यात पर पूरी तरह से रोक, कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते केंद्र का फैसला
नई दिल्ली: देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर और ज्यादा भयानक है। जिस वजह से अब रोजाना 1.5 लाख से ज्यादा मामले सामने आने लगे हैं। इसके अलावा अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। पिछले कुछ दिनों से देश के कई राज्यों में रेमडेसिविर दवा की किल्लत देखने को मिली, जिस वजह से केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। जिसके तहत रेमडेसिविर के निर्यात पर रोक लगा दी गई है।
केंद्र की ओर से जारी आदेश के मुताबिक रेमेडिसविर इंजेक्शन और रेमेडिसविर एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) का निर्यात पूरी तरह से रोक दिया गया है। बिना केंद्र की इजाजत कोई भी कंपनी दूसरे देश को ये दवा नहीं भेजगी। केंद्र ने साफ कर दिया है कि जब तक देश में कोविड-19 की स्थित में सुधार नहीं आता, तब तक ये आदेश लागू रहेगा। वहीं इसको बनाने वाली सभी कंपनियों को सलाह दी गई है कि वो अपनी वेबसाइट पर स्टॉक और डिस्ट्रीब्यूटर्स की जानकारी दें, ताकी प्रशासनिक टीम कालाबाजारी को रोक सके। आने वाले दिनों में दवा की मांग और बढ़ सकती है, जिस वजह से इसके उत्पादन को बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है।
तमिलनाडु चुनाव: कांग्रेस प्रत्याशी माधव राव का निधन, कोरोना से थे संक्रमित
कब
इस्तेमाल
होती
है
रेमडेसिविर?
डॉक्टरों
के
मुताबिक
रेमडेसिविर
एक
एंटी
वायरल
ड्रग
है।
ये
तब
लगाई
जाती
है
जब
सीटी
स्कैन
में
10%
संक्रमण
दिख
रहा
हो,
लेकिन
ऑक्सीजन
सेचुरेशन
94
से
कम
हो।
एक्सपर्ट
के
मुताबिक
कुछ
लोग
पॉजिटिव
आने
के
तुरंत
बाद
रेमडेसिविर
ले
रहे
हैं।
इसके
अलावा
डॉक्टर
भी
बिना
जरूरत
के
कई
बार
मरीजों
को
इसे
लेने
की
सलाह
दे
रहे
हैं,
जिस
वजह
से
इसकी
शॉर्टेज
हो
रही
है।
वहीं
दूसरी
ओर
दवा
की
कमी
देख
कालाबाजारी
करने
वाले
लोग
भी
सक्रिय
हैं
और
इसे
महंगे
दामों
पर
बेच
रहे
हैं।
ऑक्सीजन
की
भी
कमी
जिन
राज्यों
में
कोरोना
वायरस
के
केस
बढ़
रहे
हैं,
वहां
पर
अस्पताल
में
मरीजों
की
संख्या
भी
बढ़
रही
है।
ऐसे
में
रेमडेसिविर
के
साथ
ही
ऑक्सीजन
की
भी
कमी
अब
होने
लगी
है।
हालांकि
मेडिकल
ऑक्सीजन
सप्लाई
करने
वाली
कंपनियां
दिन-रात
काम
में
जुटी
हुई
हैं।