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वित्त वर्ष 2017-18 की बजट जरूरत को पूरा करने के लिए सरकार को चाहिए 4.3 Trillion

2018 में जबकि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हो चुका है, अप्रत्यक्ष करों पर भी यही बात लागू होती है।

By Vikashraj Tiwari
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नई दिल्ली। वित्त वर्ष 17-18 के लिए जितनी बजट जरूरत तय की गई थी, उसे पूरा करना मुश्किल होता जा रहा है। विश्लेषकों का अनुमान है कि सरकार को बाकी के चार महीनों के लिए 4.3 खरब रुपयों का इंतजाम करना होगा। इस बार बजट में अप्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य 9.26 खरब रुपये का रखा गया था मगर अनुमान है कि 31 मार्च तक 5 खरब रुपए ही हो पाएगा। राज्यों ने भी जीएसटी के कारण राजस्व संग्रह में घटौती की शिकायत की है। इस कारण रेलवे को इस वित्त वर्ष में जितना पैसा मिलना था उससे 13 फीसदी कम मिलेगा। यह बहुत बड़ी कटौती है।

 रेलवे को अपनी नौकरी खुद करनी होगी

रेलवे को अपनी नौकरी खुद करनी होगी

नए बजट में 27 फीसदी कटौती के अनुमान हैं। रेलमंत्री चाहें जितना दावा कर लें कि हम बिना सरकार की मदद के चला लेंगे लेकिन हकीकत यह है कि इसका असर पड़ेगा। यही वजह है कि नौजवान नौकरी का इंतजार कर रहे हैं, नौकरी आ नहीं रही है। रेलवे सबसे अधिक नौकरी देती है। अब रेलवे को अपनी नौकरी खुद करनी होगी। उसे बाजार से लोन लेना होगा, अपनी संपत्ति बेचनी होगी। वर्ष 2018 में जबकि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हो चुका है, अप्रत्यक्ष करों पर भी यही बात लागू होती है। वे दिन बीत गए जब कारोबारी उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क आदि को लेकर कुढ़ा करते थे। अब अप्रत्यक्ष कर दरों में काफी स्थिरता आई है। अब बजट ऐसी सालाना घटना नहीं रहा जिसे लेकर मध्य वर्ग परेशान रहा करता था।

आम बजट में दिल खोलकर खर्च करने की तैयारी

आम बजट में दिल खोलकर खर्च करने की तैयारी

जीएसटी संग्रह में गिरावट के मद्देनजर सरकार के समक्ष भले ही राजकोषीय संतुलन साधने की चुनौती हो, लेकिन आम बजट में वह दिल खोलकर खर्च करने की तैयारी कर रही है। केंद्र प्रायोजित योजनाओं के आवंटन में खासा वृद्धि हो सकती है और आम बजट 2018-19 का आकार बढ़कर 23 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने 21,46,735 करोड़ रुपय का बजट पेश किया था। सूत्रों का कहना है कि इसमें लगभग 10 फीसद की वृद्धि हो सकती है और अगले वित्त वर्ष का आकार 23 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की संभावना है। खास बात यह है कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं और सेंट्रल सेक्टर स्कीम के आवंटन में भी औसतन 10 से 15 फीसद की वृद्धि हो सकती है। चालू वित्त वर्ष में इन योजनाओं के लिए 4.58 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। माना जा रहा है कि आम बजट 2018-19 में यह बढ़कर पांच लाख करोड़ रुपये को पार कर सकता है।

2018-19 मोदी सरकार के कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा

2018-19 मोदी सरकार के कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा

आम बजट 2018-19 मोदी सरकार के कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा, ऐसे में सरकार लोक कल्याण कार्यक्रमों पर खर्च करने में संकोच नहीं दिखाएगी। जिन क्षेत्रों के आवंटन में वृद्धि हो सकती है, उनमें कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण विकास भी प्रमुख हैं। इसके अलावा रोजगार देने वाले क्षेत्रों और योजनाओं के बजट में भी खासा वृद्धि की जा सकती है।सूत्रों ने कहा कि यह बात सही है कि सरकार के समक्ष राजकोषीय घाटे को काबू रखने की चुनौती होगी। चालू वित्त वर्ष में सरकार ने जीडीपी के मुकाबले राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.2 फीसद रखा है। ऐसे में कोशिश होगी अगले वित्त वर्ष में इसे अगर तीन फीसद पर न लाया जा सके तो कम से कम 3.2 फीसद पर ही बरकरार रखा जाए। इस तथ्य के बावजूद सरकार का प्रयास रहेगा कि 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले व्यय में कंजूसी न दिखे।

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English summary
Government needs another Rs 4.3 trillion to meet FY18 to achieve indirect tax target
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