भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल से अब आप दर्ज करा सकते हैं शिकायत, सरकार ने जारी किया प्रारूप
नई दिल्ली। सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत करने के लिए सरकार ने एक साल पहले लोकपाल का गठन किया था। लोकपाल के गठन के बाद सरकारी कर्मचारियो के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत कैसे की जाए इस बाबत प्रारूप को सरकार ने जारी कर दिया है। कार्मिक मंत्रालय ने एक आदेश के जरिए इस बाबत जानकारी दी है। आदेश के अनुसार भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत आपको अनिवार्य रूप से एक हलफनामे के साथ गैर ज्यूडीशियल स्टांप पेपर पर देनी होगी। अहम बात यह है कि लोकपाल से प्रधानमंत्री से लेकर किसी भी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत की जा सकती है।
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पीएम
के
खिलाफ
शिकायत
की
पूरी
बेंच
करेगी
सुनवाई
अहम
बात
यह
है
कि
अगर
मौजूदा
या
पूर्व
प्रधानमंत्री
के
खिलाफ
भ्रष्टाचार
की
शिकायत
की
जाती
है
तो
इसकी
सुनवाई
लोकपाल
की
पूरी
बेंच
करेगी
और
इसका
फैसला
लेगी
कि
इस
मामले
में
जांच
होनी
चाहिए
या
नहीं।
प्रारूप
में
कहा
गया
है
कि
अगर
बेंच
शिकायत
को
खारिज
कर
देती
है
तो
जांच
के
रिकॉर्ड
को
सार्वजनिक
नहीं
किया
जाएगा
और
ना
ही
इसकी
जानकारी
किसी
को
उपलब्ध
कराई
जाएगी।
बता
दें
कि
सरकार
की
ओर
से
यह
प्रारूप
2
मार्च
को
जारी
किया
गया
है।
अहम
बात
यह
है
कि
प्रधानमंत्री
के
खिलाफ
जांच
के
लिए
कम
से
कम
बेंच
के
दो
तिहाई
सदस्यों
का
एकमत
होना
जरूरी
है।
शिकायत
खारिज
होने
पर
जानकारी
नहीं
सार्वजनिक
नहीं
लोकपाल
की
धारा
7
में
इसका
जिक्र
किया
गया
है
कि
मामले
की
जांच
करनी
है
या
नहीं
इसका
फैसला
फुल
बेंच
करेगी,
जिसमे
कम
से
कम
दो
तिहाई
सदस्यों
की
सहमति
अनिवार्य
है।
यही
नहीं
धारा
14(1)
में
कहा
गया
है
आगे
की
जांच
कैमरे
के
सामने
होगी।
अगर
लोकपाल
इस
निष्कर्ष
पर
पहुंचता
है
कि
इस
याचिका
को
खारिज
कर
देना
चाहिए
तो
जांच
को
सार्वजनिक
नहीं
किया
जाएगा
और
ना
ही
किसी
को
इसकी
जानकारी
को
उपलब्ध
कराया
जाएगा।
केंद्रीय
मंत्री
या
सांसद
के
खिलाफ
शिकायत
की
शर्त
वहीं
अगर
किसी
केंद्रीय
मंत्री
या
फिर
सांसद
के
खिलाफ
शिकायत
दर्ज
कराई
जाती
है
तो
नियम
के
अनुसार
लोकपाल
के
कम
से
कम
तीन
सदस्य
इस
बात
का
निर्णय
लेंगे
कि
क्या
इस
शिकायत
को
स्वीकार
किया
जाए
या
नहीं।
बता
दें
कि
लोकपाल
के
गठन
के
बाद
लोकपाल
जस्टिस
(सेवानिवृत्त)
चंद्र
घोष
शिकायतों
को
अब
लोकपाल
की
जांच
इकाई
के
पास
भेज
सकते
हैं।
जो
कि
यह
आदेश
दे
सकती
है
कि
मामले
की
शुरुआती
जांच
होनी
चाहिए
या
नहीं।
अगर
प्रथम
दृष्टया
यह
पाया
जाता
है
कि
मामले
की
जांच
होनी
चाहिए
तो
लोकपाल
इस
मामले
को
सीबीआई
या
अन्य
किसी
जांच
एजेंसी
को
दे
सकता
है।
शिकायतकर्ता
की
पहचान
गोपनीय
लोकपाल
से
शिकायत
के
लिए
सरकार
ने
जो
प्रारूप
जारी
किया
है
उसके
अनुसार
शिकायतकर्ता
की
पहचान
को
तबतक
गोपनीय
रखा
जाएगा
जबतक
मामले
की
जांच
चल
रही
है।
अगर
शिकायतकर्ता
खुद
अपनी
पहचान
को
उजागर
करना
चाहता
है
तो
इसमे
कोई
दिक्कत
नहीं
है।
नियम
में
यह
भी
कहा
गया
है
कि
लोकपाल
के
पास
की
जाने
वाली
शिकायतों
को
लोकपाल
खारिज
भी
कर
सकता
है।
इसके
लिए
तमाम
वजहों
का
भी
जिक्र
लोकपाल
के
प्रारूप
में
किया
गया
है।
लोकपाल
शिकायत
को
खारिज
भी
कर
सकता
है
अगर
उसे
लगता
है
कि
शिकायत
फर्जी,
निराधार,
तुच्छ
है
या
फिर
यह
मामला
किसी
कोर्ट
में
पहले
से
विचाराधीन
है
तो
वह
इसे
खारिज
कर
सकता
है।
यही
नहीं
झूठी
या
फंसाने
वाली
शिकायत
करना
दंडनीय
अपराध
माना
जाएगा
और
इसके
लिए
एक
साल
की
सजा
और
एक
लाख
रुपए
तक
का
जुर्माना
लगाया
जा
सकता
है।
किसी
भी
भाषा
में
दर्ज
करा
सकते
हैं
शिकायत
नियम
के
अनुसार
अगर
कोई
शिकायत
डिजिटल
माध्यम
से
की
गई
है
तो
इसकी
हॉर्ड
कॉपी
15
दिन
के
भीतर
लोकपाल
को
जमा
करानी
होगी।
शिकायत
को
हिंदी,
गुजराती,
मराठी
सहित
आठवीं
अनुसूचि
में
शामिल
सभी
22
भाषाओं
में
दर्ज
कराया
जा
सकता
है।
साथ
ही
जो
भारत
के
नागरिक
नहीं
हैं
वह
भी
लोकपाल
से
शिकायत
दर्ज
करा
सकते
हैं।
लेकिन
इसके
लिए
शिकायतकर्ता
को
अपने
पासपोर्ट
की
प्रति
बतौर
पहचान
पत्र
के
रूप
में
देनी
होगी,
किसी
भी
अन्य
दस्तावेज
को
बतौर
पहचान
पत्र
स्वीकार
नहीं
किया
जाएगा।
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