डिस्चार्ज हुए मरीजों में दीर्घकालिक जटिलताओं में मदद के लिए दिशा-निर्देश बना रही है सरकार
नई दिल्ली। कोरोना रोग से डिस्चार्ज होकर घर पहुंचे कुछ लोगों में दीर्घकालिक जटिलताओं की सूचना के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तकनीकी शाखा उनकी मदद और मामले के प्रबंधन के लिए एक दिशा-निर्देश तैयार करवा रही है। डिस्चार्ज हुए कुछ मरीजों में सुस्ती, अशांत नींद, शरीर में दर्द, भूख न लगना और बुखार जैसी समस्याएं महसूस की जाती है। इनमें अत्यधिक चिंता और अवसाद की भावना भी शामिल है।
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कोरोना से डिस्चार्ज होने के बाद कुछ अन्य जटिलताएं विकसित कर सकते हैं
दरअसल, स्वास्थ्य मंत्रालय ऐसे लोगों के लिए दिशानिर्देशों पर काम कर रही है, जो डिस्चार्ज होने के बाद से अन्य जटिलताएं विकसित कर सकते हैं। बताया गया है कि रिकवर रोगियों के एक वर्ग को श्वसन या हृदय से संबंधित मामले और कुछ में गुर्दे या यकृत की संबंधी जटिलताओं और कुछ में आंख से संबंधित दुष्प्रभावों का अनुभव हो सकता है।
डिस्चार्ज के बाद मरीजों को किन समस्यों को सामना करना पड़ सकता है?
स्वास्थ्य मंत्रालय में स्पेशल ड्यूटी अधिकारी राजेश भूषण ने बताया कि विशेषज्ञ एक दस्तावेज के निर्माण पर काम कर रहे हैं, जो लोगों को उनकी दीर्घकालिक देखभाल की जरूरतों के बारे में निर्देशित करेगी। मसलन, डिस्चार्ज के बाद कोई मरीजों को किन समस्यों को सामना करना पड़ सकता है अथवा कैसे उन्हें अपनी सुरक्षा और देखभाल करनी है।
मंत्रालय की तकनीकी शाखा में विभिन्न मामलों के कई विशेषज्ञ शामिल हैं
मंत्रालय की तकनीकी शाखा अथवा संयुक्त निगरानी समूह (JMG) में कई मामलों के विशेषज्ञ शामिल हैं, जिसकी अध्यक्षता स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. राजीव गर्ग करते हैं। समूह में नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञ, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और विश्व स्वास्थ्य संगठन के भारत कार्यालय के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।
समूह समय-समय पर विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञ की राय प्रदान करता है
यह समूह समय-समय पर विभिन्न विषयों पर एक विशेषज्ञ की राय प्रदान करता है। यह परीक्षण से संबंधित मुद्दों पर दिशानिर्देशों का मसौदा तैयार करने, रोगियों के आइसोलेशन, होम आइसोलेशन (क्या करना है और क्या नहीं करना है) और कोविद -19 मामलों में हॉस्पिटल के बाहरी और भीतरी क्लीनिकल प्रबंधन के लिए तकनीकी इनपुट प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है।
डिस्चार्ड के बाद रोगी में बुखार और सांस फूलने जैसे लक्षण दूर हो जाते हैं
नई दिल्ली के एम्स में पूर्व-पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डा. जीसी खिलनानी ने कहा, मेरा अनुभव है कि डिस्चार्ड होने के बाद रोगी बुखार और सांस फूलने जैसे लक्षण दूर हो जाते हैं और रोगी गैर-संक्रामक हो जाते हैं, लेकिन उन्हें सुस्ती, अशांत नींद, शरीर में दर्द, भूख न लगना, बुखार महसूस करना और कभी-कभी बुखार होने और फिर ठीक होने की समस्या महसूस की जाती है। इनमें अत्यधिक चिंता और अवसाद की भावना भी शामिल है।