विदेशी राजदूतों का दल करेगा कश्मीर का दौरा, देखेगा जमीनी हालात
नई दिल्ली। विदेशी राजदूतों का एक दल जल्दी ही जम्मू कश्मीर का दौरा दौरा कर सकता है। 15 से 20 देशों के राजदूतों का शिष्टमंडल कश्मीर जाकर वहां जमीनी हालत की जानकारी लेगा। जानकारी के मुताबिक, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस के राजदूत भी इस दल में शामिल हो सकते हैं। ये दल इसी हफ्ते के आखिर में एक दिन के लिए जम्मू कश्मीर जा सकता है। दल वहां उपराज्यपाल जी सी मुर्मू और अन्य अधिकारियों से मुलाकात करेंगे और अगले दिन दिल्ली लौटेगा।
पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के केंद्र के फैसले के बाद ये दूसरहा मौका होगा जब कोई विदेशी शिष्टमंडल कश्मीर जाएगा। इससे पहले यूरोपीय संघ के 23 सांसदों का शिष्टमंडल दो दिन के कश्मीर दौरे परगया था। सरकार ने साफ किया था कि यूरोपीय सांसद निजी दौरे पर गये थे।
केंद्र की सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने का ऐलान किया था। सरकार ने राज्य से आर्टिकल 370 खत्म कर इसे दो केंद्र शासित राज्यों में बांटने का फैसला किया था। फैसले के ऐलान के साथ ही ना सिर्फ संचार साधनों पर पाबंदिया लगाई गई थीं बल्कि ज्यादातर मुख्यधारा के नेताओं को भी हिरासत में ले लिया गया था। संचार के साधनों पर पाबंदियां लगाते हुए उस समय तो फोन और इंटनेट पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। हालांकि बाद में लैंडलाइन और कुछ मोबाइल सेवा शुरू कर दिए गए हैं। कुछ नेटवर्क पर एक जनवरी से एसएमएस सेवा शुरू की गई है। इंटरनेट अभी भी कश्मीर में नहीं चला है।
5 अगस्त को ही राज्य के (भाजपा के ज्यादातर नेताओं को छोड़कर), खासतौर से घाटी में प्रभाव रखने वाले ज्यादातर पार्टियों के नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। वहीं सैकड़ों सामाजिक और राजनैतिक कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार नेताओं में तीन पूर्व मुख्यमंत्री, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक और उमर अब्दुल्ला, और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती भी शामिल हैं। इसके अलावा दर्जनों पूर्व मंत्री, सांसद, विधायक नेता कार्यकर्ताओं को अगस्त महीने से हिरासत में रखा गया है। इनकी रिहाई को लेकर अभी सरकार और राज्य प्रशासन ने अभी कुछ नहीं कहा है। जम्मू में जनजीवन सामान्य हो गया है लेकिन घाटी में अभी भी पूरी जनजीवन पूरी तरह से पटरी पर नहीं लौटा है।
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