कोख का कारोबार करने पर होगी 10 साल तक की कैद
नई दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को किराए पर कोख यानी कमर्शियल सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरोगेसी विनियमन विधेयक 2019 पेश किया। इस बिल को लोकसभा में सोमवार को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने पेश किया। इस बिल के जरिए नेशनल सरोगेसी बोर्ड, स्टेट सरोगेसी बोर्ड के गठन की बात कही गई है। इस विधेयक में कमर्शियल सरोगेसी को गैर-कानूनी ठहराया गया है। साथ ही सजा का भी प्रावधान किया गया है।
मोदी सरकार ने 2016 में ही सरोगेसी के दुरुपयोग को रोकने के लिए इस बिल को लाया था। बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस बिल के प्रारूप को मंजूरी मिली थी। इसका विधेयक का मकसद सरोगेसी का अंधाधुंध व्यवसायीकरण को रोकना है। हाल के वर्षो में भारत सरोगेसी हब के तौर पर उभरा है जिसके चलते सरोगेट माताओं के शोषण की खबरें आ रही हैं। सरोगेसी से पैदा हुए बच्चे को छोड़ देने और मानव भ्रूणों के इम्पोर्ट के मामले सामने आए हैं। जिसके चलते विधि आयोग ने भी अपनी 228वीं रिपोर्ट में कानून बनाकर कमर्शियल सरोगेसी पर रोक लगाने की सिफारिश की थी।
कमर्शियल सरोगेसी गैर-कानूनी
प्रस्तावित सरोगेसी रेगुलेशन 2019 में कई नए प्रावधान किए गए हैं। जिसके तहत सरोगेसी के व्यवसायिक इस्तेमाल के पहले अपराध पर पांच साल की सजा और पांच लाख रुपये जुर्माना हो सकता है। अगर यह अपराध दोबारा किया जाता है तो कारावास की अवधि बढ़कर 10 साल और जुर्माने की राशि 10 लाख रुपये हो सकती है। नए विधेयक में कमर्शियल सरोगेसी को गैर-कानूनी ठहराया गया है।
नजदीकी रिश्तेदार ही सरोगेट मदर बन सकती है
नए कानून के मुताबिक, सिर्फ उन भारतीय दंपतियों को ही सरोगेसी से संतान प्राप्त करने की अनुमति होगी जो संतान उत्पन्न करने में अक्षम हैं। ऐसे दंपती के लिए उनकी निकटवर्ती रिश्तेदार ही सरोगेट मां बन सकेगी। सरोगेट मां की उम्र 25 से 35 साल के बीच होनी चाहिए और उसका पहले से अपना एक बच्चा होना चाहिए। सरोगेट मां को सिर्फ एक बार ही सरोगेसी की अनुमति होगी। प्रस्तावित कानून के तहत सरोगेसी क्लीनिक का पंजीकरण अनिवार्य होगा और कोई भी व्यक्ति या क्लीनिक सरोगेसी का व्यवसायिक इस्तेमाल या प्रचार नहीं कर पाएगा।
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