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मजदूरों के गांव और जिलों की पहचान कर रही सरकार, 'हाई रिस्क' की कैटेगरी में रखे गए UP-बिहार

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नई दिल्ली। भारत सरकार के लिए विभिन्न राज्यों से पलायन कर रहे मजदूरों को रोकना अब बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। कोरोना वायरस के चलते देशभर में लॉकडाउन से प्रवासी मजदूर भूख-प्यास की तलाश में अब अपने मूल निवास स्थान की ओर पलायन कर रहे हैं। मजदूरों का कहना है कि भूख से मरने से अच्छा है कि वह अपने घर कोरोना वायरस से मर जाएं। लॉकडउन के नियमों की धज्जियां उड़ाते मजदूर बड़ी संख्या में दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों से पैदल ही घर की तरफ जा रहे हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार द्वारा लिए गए सभी फैसलों पर अब मजदूरों का पलायन भारी पड़ रहा है।

पलायन से बना लॉकडाउन का मजाक

पलायन से बना लॉकडाउन का मजाक

गौरतलब है कि देश में वैश्विक महामारी से संक्रमिल लोगों की संख्या 1000 के करीब पहुंच गई है और 25 लोगों की जान भी जा चुकी है। भारत सरकार ने महामारी पर कापू पाने के लिए लॉकडाउन तो लागू कर दिया लेकिन अब यही फैसला मजदूरों की आजीविका पर खतरा बन गया है। हालांकि सरकार ने गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों के लिए 1.70 लाख करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान किया है लेकिन पैदल निकले ये लोग अब वापस जाने को तैयान नहीं है। ऐसे में केंद्र की ओर से कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में कई बड़े फैसले लिए गए।

14 दिनों तक क्वारंटाइन सेंटर में रहेंगे मजदूर

14 दिनों तक क्वारंटाइन सेंटर में रहेंगे मजदूर

बैठक में देशभर के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को पलायन करने वालों का क्वारंटाइन सुनिश्चित करवाने की जिम्मेदारी दी गई है। सरकार ने आदेश दिया कि स्थानीय प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि पलायन कर रहे मजदूर अपने गावों और शहरों में पहुंचकर वहां के लोगों को किसी तरह से संक्रमित होने का खतरा पैदा न कर पाएं। केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से कहा है कि लॉकडाउन तोड़कर अपने घरों की ओर रवाना हुए हजारों मजदूरों को किसी भी कीमत पर सीधे उनके घर न जाने दें। बल्कि, उन्हें सभी राज्य सरकारें 14 दिनों तक प्रदेशों की ओर से बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में अनिवार्य रूप से रखें।

उत्तर प्रदेश और बिहार 'हाई रिस्क' पर

उत्तर प्रदेश और बिहार 'हाई रिस्क' पर

दूसरी और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) ने पलायन कर रहे मजदूरों से कोरोना वायरस के फैलने की आशंका जताई है। एनसीडीसी ने इस चुनौती से भी निपटने के लिए योजनाएं बनानी शुरू कर दी है। एनसीडीसी को ऐसी जानकारी मिली है कि घर वापसी पर निकले मजदूर ज्यादातर उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान से हैं, ऐसे में सरकार ने इन राज्यों को 'हाई रिस्क' का टैग दे दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब सरकार को इंटिग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (आईडीएसपी) शुरू करने की जरूरत है जिसके तहत महामारी की निगरानी तंत्र को इन राज्यों में पहले से और भी ज्यादा मुस्तैद करना होगा।

मजदूरों के साथ रहेंगी रैपिड रेस्पॉन्स टीमें

मजदूरों के साथ रहेंगी रैपिड रेस्पॉन्स टीमें

बता दें कि लॉकडाउन की वजह से महानगरों हजारों की संख्या में प्रवासी श्रमिक और दिहाड़ी मजदूर जैसे-तैसे ही अपने गांवों की ओर रवाना हो गए हैं। यूपी में राज्य सरकार की ओर से कुछ के लिए बसों का इंतजाम क्या किया गया, ऐसे पलायन करने वालों की संख्या बढ़ती ही चली गई। सैकड़ों की तादाद में ऐसे लोग पैदल ही अपने-अपने गांवों की ओर मार्च कर रहे हैं। कोरोना वायरस गांवों तक ना फैले इसलिए सरकार ने अब आईडीएसपी के तहत इन लोगों की मॉनिटरिंग की रणनीति बनाई है। अब पलायन कर रहे मजदूरों के साथ केंद्र द्वारा बनाई गईं रैपिड रेस्पॉन्स टीमें इनके गंतव्य स्थान तक जाएंगी और इनकी सेहत पर कड़ी निगरानी रखेंगी।

यह भी पढ़ें: Coronavirus: चीन में आ सकती है कोरोना वायरस की दूसरी सुनामी, विदेश से आए मामलों ने बढ़ाया खौफ

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English summary
Government identifying villages and districts of laborers UP-Bihar placed in high risk category
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